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रामनगर: 18 सितंबर को खुलेगा गर्जिया देवी मंदिर, जानिए मंदिर से जुड़ी मान्यता - मंदिर में आने से पहले भक्तों को रजिस्ट्रेशन कराना

18 सितंबर से गर्जिया देवी मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे. मंदिर आने से पहले भक्तों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिर्वाय होगा.

Garjia Devi temple
18 सितंबर को खुलेगा गर्जिया देवी मंदिर
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Published : Aug 30, 2020, 8:09 PM IST

रामनगर: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में देवताओं का वास है. पुराणों में भी सभी देवी-देवताओं का निवास उत्तराखंड अंचल में ही माना जाता है. सभी हिंदू देवी-देवताओं के साथ स्थानीय रूप से पूजे जाने वाले कई देवी-देवताओं का भी यहां की संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है.

रामनगर से करीब दस किमी दूर ढिकाला मार्ग पर गर्जिया नामक स्थान पर पर मां गिरिजा का मंदिर स्थापित है. जिसे गर्जिया देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मां गिरिजा हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं. कोसी नदी के बीच एक टीले पर स्थापित अद्भुत मंदिर भक्तों को अपनी ओर खींचता है. कोरोना वायरस के कारण मार्च में गर्जिया देवी मंदिर को भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था. लेकिन, अनलॉक-4 के तहत अब 18 सितंबर से मां गर्जिया देवी के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे.

गर्जिया देवी मंदिर के पुजारी जितेंद्र पांडे ने बताया कि समिति द्वारा तय किया गया है कि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. मंदिर परिसर तक वाहन नहीं जा पाएंगे. मुख्य मंदिर में एक बार में 20 श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाएगा.

18 सितंबर को खुलेगा गर्जिया देवी मंदिर

मुख्य मार्ग पर ही थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजर की व्यवस्था होगी. रजिस्ट्रेशन हेतु आधार कार्ड अनिवार्य रूप से लाना होगा. साथ ही मुख्य मंदिर में पूजा एवं प्रसाद सामग्री ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा. मंदिर में श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग अनिवार्य होगा. श्रद्धालुओं को केवल दर्शन की अनुमति होगी और मंदिर सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक खुलेगा.

ये भी पढ़ें: 16 महीनों से दफन 'परिवार' का खुला राज, बस एक गलती ने खोली पोल

मंदिर की मान्यता

स्थानीय लोगों ने जंगल में स्थित इस टीले पर कुछ मूर्तियों को देखा और उन्हें यहां माता की उपस्थिति का अहसास हुआ. कहा जाता है कि इस टीले के पास शेर गर्जना किया करते थे. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार शेरों को इस टीले की परिक्रमा करते हुए भी देखा है. वहीं, इतिहासकारों का कहना है कि कोसी नदी के किनारे बसे रामनगर का नाम पहले वैराट पत्तन या वैराटनगर था और यहां कुरु राजवंश के राजा राज्य करते थे.

रामनगर: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में देवताओं का वास है. पुराणों में भी सभी देवी-देवताओं का निवास उत्तराखंड अंचल में ही माना जाता है. सभी हिंदू देवी-देवताओं के साथ स्थानीय रूप से पूजे जाने वाले कई देवी-देवताओं का भी यहां की संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है.

रामनगर से करीब दस किमी दूर ढिकाला मार्ग पर गर्जिया नामक स्थान पर पर मां गिरिजा का मंदिर स्थापित है. जिसे गर्जिया देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मां गिरिजा हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं. कोसी नदी के बीच एक टीले पर स्थापित अद्भुत मंदिर भक्तों को अपनी ओर खींचता है. कोरोना वायरस के कारण मार्च में गर्जिया देवी मंदिर को भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था. लेकिन, अनलॉक-4 के तहत अब 18 सितंबर से मां गर्जिया देवी के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे.

गर्जिया देवी मंदिर के पुजारी जितेंद्र पांडे ने बताया कि समिति द्वारा तय किया गया है कि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. मंदिर परिसर तक वाहन नहीं जा पाएंगे. मुख्य मंदिर में एक बार में 20 श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाएगा.

18 सितंबर को खुलेगा गर्जिया देवी मंदिर

मुख्य मार्ग पर ही थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजर की व्यवस्था होगी. रजिस्ट्रेशन हेतु आधार कार्ड अनिवार्य रूप से लाना होगा. साथ ही मुख्य मंदिर में पूजा एवं प्रसाद सामग्री ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा. मंदिर में श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग अनिवार्य होगा. श्रद्धालुओं को केवल दर्शन की अनुमति होगी और मंदिर सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक खुलेगा.

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मंदिर की मान्यता

स्थानीय लोगों ने जंगल में स्थित इस टीले पर कुछ मूर्तियों को देखा और उन्हें यहां माता की उपस्थिति का अहसास हुआ. कहा जाता है कि इस टीले के पास शेर गर्जना किया करते थे. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार शेरों को इस टीले की परिक्रमा करते हुए भी देखा है. वहीं, इतिहासकारों का कहना है कि कोसी नदी के किनारे बसे रामनगर का नाम पहले वैराट पत्तन या वैराटनगर था और यहां कुरु राजवंश के राजा राज्य करते थे.

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