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हल्द्वानी: पूर्व फौजी ने कैनवास पर उकेरी बेहतरीन तस्वीरें, लोग हुए मुरीद

पंकज संभल भारतीय सेना में कार्य कर चुके हैं और सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने अपनी इस कला को नहीं छोड़ा. जो भी उनकी इस कला को देख लेता है, वह उनकी कलाकारी का मुरीद हो जाता है.

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हल्द्वानी
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Published : Sep 6, 2020, 2:11 PM IST

हल्द्वानी: कहते हैं कि कला किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है, बस एक सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है. लालकुआं के रहने वाला एक पूर्व फौजी सेवानिवृत्त के बाद कैनवास पर खूबसूरत कलाकारी को उकेर रहा है. जो भी उनकी इस कला को देख लेता है, वह उनकी कलाकारी का मुरीद हो जाता है.

बता दें कि, पंकज संभल भारतीय सेना में कार्य कर चुके हैं और सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने अपनी इस कला को नहीं छोड़ा. पंकज ने स्कूल के दिनों से स्केच आर्ट शुरू की, आगे जाकर पंकज फौज में भर्ती हो गए. पंकज ने बताया कि उन्होंने कभी भी अपने पेंटिंग की प्रतिभा को नहीं छोड़ा. जैसे ही उनको मौका मिलता वह कुछ न कुछ पेंटिंग बनाते रहते थे. उनकी पेंटिंग की ललक को देख सेना में उनके अधिकारियों ने भी उन्हें काफी प्रोत्साहित करते थे. सेना में रहते हुए पंकज ने कई वीर सैनिकों की फोटो बनाई.

पूर्व फौजी ने कैनवास पर उकेरी बेहतरीन तस्वीरें.

पंकज संभल का शौक कब उनके हुनर से प्रोफेशनल आर्टिस्ट के रूप में बदल गया उन्हें पता ही नहीं चला. अब उनकी तस्वीरें जो भी देखता है, बस एकटक निहारते रहता है. कैनवास पर उतारी गई उनकी सोच, उनके कलम और ब्रश से बने चित्र सीधे लोगों के दिलों पर असर करते हैं. यही वजह है कि वे रिटायरमेंट के बाद अब उत्तराखंड की लोक संस्कृति के साथ-साथ धार्मिक तस्वीरें और आध्यात्मिक तस्वीरें भी बना रहे हैं.

पढ़ें: बेरोजगारों के समर्थन में उतरे हरीश रावत, घंटी बजाकर जताया विरोध

पंकज का कहना है कि फौज से रिटायर्ड होने के बाद अब वह पूरा समय फ्री हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने इस हुनर को और तराशने में लगे हैं. वे जल्द कुछ तस्वीरें उत्तराखंड के ट्रेडिशनल को लेकर सामने आएंगे, जिन पर अभी वह काम कर रहे हैं.

हल्द्वानी: कहते हैं कि कला किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है, बस एक सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है. लालकुआं के रहने वाला एक पूर्व फौजी सेवानिवृत्त के बाद कैनवास पर खूबसूरत कलाकारी को उकेर रहा है. जो भी उनकी इस कला को देख लेता है, वह उनकी कलाकारी का मुरीद हो जाता है.

बता दें कि, पंकज संभल भारतीय सेना में कार्य कर चुके हैं और सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने अपनी इस कला को नहीं छोड़ा. पंकज ने स्कूल के दिनों से स्केच आर्ट शुरू की, आगे जाकर पंकज फौज में भर्ती हो गए. पंकज ने बताया कि उन्होंने कभी भी अपने पेंटिंग की प्रतिभा को नहीं छोड़ा. जैसे ही उनको मौका मिलता वह कुछ न कुछ पेंटिंग बनाते रहते थे. उनकी पेंटिंग की ललक को देख सेना में उनके अधिकारियों ने भी उन्हें काफी प्रोत्साहित करते थे. सेना में रहते हुए पंकज ने कई वीर सैनिकों की फोटो बनाई.

पूर्व फौजी ने कैनवास पर उकेरी बेहतरीन तस्वीरें.

पंकज संभल का शौक कब उनके हुनर से प्रोफेशनल आर्टिस्ट के रूप में बदल गया उन्हें पता ही नहीं चला. अब उनकी तस्वीरें जो भी देखता है, बस एकटक निहारते रहता है. कैनवास पर उतारी गई उनकी सोच, उनके कलम और ब्रश से बने चित्र सीधे लोगों के दिलों पर असर करते हैं. यही वजह है कि वे रिटायरमेंट के बाद अब उत्तराखंड की लोक संस्कृति के साथ-साथ धार्मिक तस्वीरें और आध्यात्मिक तस्वीरें भी बना रहे हैं.

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पंकज का कहना है कि फौज से रिटायर्ड होने के बाद अब वह पूरा समय फ्री हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने इस हुनर को और तराशने में लगे हैं. वे जल्द कुछ तस्वीरें उत्तराखंड के ट्रेडिशनल को लेकर सामने आएंगे, जिन पर अभी वह काम कर रहे हैं.

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