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OPS Protest Haldwani: सड़कों पर उतरा जनसैलाब, पुरानी पेंशन बहाली के लिए सरकार को दी चेतावनी

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे ने अहम भूमिका निभाई थी. सरकार बनते ही कांग्रेस सरकार ने लागू भी कर दी. इसी तरह अन्य राज्य भी पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने का संकल्प ले चुके हैं. लिहाजा, अब उत्तराखंड में पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग तेज होती जा रही है. आज हल्द्वानी में ओपीएस की मांग को लेकर जनसैलाब उमड़ा. कर्मचारियों का साफ कहना है था कि सरकार पुरानी पेंशन बहाल करें, नहीं तो इसका परिणाम आगामी लोकसभा चुनाव को देखने को मिलेगा.

Old Pension Scheme Demand in Uttarakhand
हल्द्वानी में कर्मचारियों का प्रदर्शन
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Published : Feb 26, 2023, 4:12 PM IST

हल्द्वानीः उत्तराखंड में पुरानी पेंशन बहाली की मांग तेज हो गई है. आज हल्द्वानी में कुमाऊं मंडल के हजारों कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. इन कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर जुलूस भी निकाला. इस प्रदर्शन में एनएमओपीएस (NMOPS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार भी कर्मचारियों की आवाज को बुलंद करने के लिए हल्द्वानी पहुंचे. उन्होंने सरकार से पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग रखी.

सरकार ने छीनी बुढ़ापे की लाठी, लोकसभा चुनाव में भुगतना होगा परिणामः नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के बुढ़ापे की लाठी को छीन लिया है. पेंशन कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा है. उन्होंने कहा कि देश के 5 राज्यों में पुरानी पेंशन लागू कर दिया गया है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार को भी ओपीएस लागू कर देना चाहिए. अगर ओपीएस बहाल नहीं हुई तो इसका खामियाजा उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा.
ये भी पढ़ेंः OPS vs NPS : कौन सी पेंशन योजना है बेहतर, यहां विस्तार से जानें

कर्मचारियों का कहना है कि एक अक्टूबर 2005 के बाद नौकरी कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन के स्थान पर नई पेंशन स्कीम लागू की गई है. जो शेयर बाजार पर आधारित है. वर्तमान में सेवानिवृत्त हुए कई कार्मिकों को डेढ़ हजार से दो हजार रुपए के बीच पेंशन मिल रही है. इसकी वजह से इन कर्मचारियों का जीवन अंधकारमय हो गया है. ऐसे में एक अक्टूबर 2005 के बाद उत्तराखंड में करीब 80 हजार कर्मचारी, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Old Pension Restoration: पुरानी पेंशन बहाली को लेकर श्रीनगर में उमड़ा जन सैलाब, नतीजा भुगतने की चेतावनी

कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना के अंतर्गत मात्र कर्मचारियों को ₹2000 पेंशन मिलेगा, जो कर्मचारियों के साथ न्याय संगत है. कर्मचारियों का कहना है कि पूरी जिंदगी नौकरी करने के बाद कर्मचारियों के साथ यह धोखा है. विधायक और सांसद कुछ महीने महीने व साल सत्ता में बैठकर पेंशन हासिल कर लेते हैं, लेकिन दिन रात सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियो पेंशन से वंचित कर दिया गया है.

हल्द्वानीः उत्तराखंड में पुरानी पेंशन बहाली की मांग तेज हो गई है. आज हल्द्वानी में कुमाऊं मंडल के हजारों कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. इन कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर जुलूस भी निकाला. इस प्रदर्शन में एनएमओपीएस (NMOPS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार भी कर्मचारियों की आवाज को बुलंद करने के लिए हल्द्वानी पहुंचे. उन्होंने सरकार से पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग रखी.

सरकार ने छीनी बुढ़ापे की लाठी, लोकसभा चुनाव में भुगतना होगा परिणामः नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के बुढ़ापे की लाठी को छीन लिया है. पेंशन कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा है. उन्होंने कहा कि देश के 5 राज्यों में पुरानी पेंशन लागू कर दिया गया है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार को भी ओपीएस लागू कर देना चाहिए. अगर ओपीएस बहाल नहीं हुई तो इसका खामियाजा उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा.
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कर्मचारियों का कहना है कि एक अक्टूबर 2005 के बाद नौकरी कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन के स्थान पर नई पेंशन स्कीम लागू की गई है. जो शेयर बाजार पर आधारित है. वर्तमान में सेवानिवृत्त हुए कई कार्मिकों को डेढ़ हजार से दो हजार रुपए के बीच पेंशन मिल रही है. इसकी वजह से इन कर्मचारियों का जीवन अंधकारमय हो गया है. ऐसे में एक अक्टूबर 2005 के बाद उत्तराखंड में करीब 80 हजार कर्मचारी, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं.
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कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना के अंतर्गत मात्र कर्मचारियों को ₹2000 पेंशन मिलेगा, जो कर्मचारियों के साथ न्याय संगत है. कर्मचारियों का कहना है कि पूरी जिंदगी नौकरी करने के बाद कर्मचारियों के साथ यह धोखा है. विधायक और सांसद कुछ महीने महीने व साल सत्ता में बैठकर पेंशन हासिल कर लेते हैं, लेकिन दिन रात सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियो पेंशन से वंचित कर दिया गया है.

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