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हायर ज्यूडिशियरी परीक्षा: खंडपीठ ने हाईकोर्ट से मांगा जवाब, याचिकाकर्ता दे सकते हैं एग्जाम

हायर ज्यूडिशियरी मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने हाईकोर्ट को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

Nainital High Court news
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Published : Sep 27, 2021, 5:04 PM IST

Updated : Sep 27, 2021, 5:13 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने (एचजेएस) हायर ज्यूडिशियरी परीक्षा में याचिकाकर्ताओं का आवेदन निरस्त करने सम्बन्धी याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए हैं. साथ में याचिकाकर्ताओं को यह भी निर्देश दिए हैं कि उनके फार्मो में जो भी कमियां पाई गई हैं, उसे पन्द्रह दिन के भीतर दूर करें.

खंडपीठ ने हाईकोर्ट को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. मामले के अनुसार मीनाक्षी परिहार, पूजा, बांगा, प्रभावती, रचना गांधी और दीपा रानी ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर कहा था कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जून 2021 में हायर जूडिशियल सर्विस (एचजेएस ) हेतु विज्ञप्ति जारी की थी, जो अधिवक्ता कोटे से भरे जानी थीं.

पढ़ें- कुंभ कोरोना फर्जी टेस्ट मामला, याचिकाकर्ताओं ने याचिकाओं में संशोधन के लिए मांगा समय

याचिकाकर्ताओं ने इसके लिए आवेदन किया था. हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2021 को उनके अलावा कई अन्य आवेदकों के फार्म इसलिए निरस्त कर दिए कि उनके फार्मो में कई कमियां हैं, जिसकी वजह से वे लोग इस परीक्षा से वंचित हो गए हैं.

उन्होंने अपनी याचिकाओं में कोर्ट से यह प्रार्थना की है कि उनको परीक्षा में शामिल किया जाय और उनके आवेदन में जो कमियां हैं उनको दूर करने हेतु समय दिया जाय, ताकि वे परीक्षा से वंचित न हों. खंडपीठ में हाईकोर्ट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इन्होंने फार्म को उसमें वर्णित शर्तो के अनुसार नहीं भरा है. इसलिए इनका फार्म निरस्त किया गया. सभी फार्मो की बारीकी से जांच की गई, जांच के उपरांत फार्मो में अलग-अलग कमियां पाई गईं. जैसे किसी के फार्म में मार्कशीट नहीं लगी है. किसी के प्रमाण पत्र नहीं हैं. जबकि यह परीक्षा 6 व 7 अक्टूबर को होनी है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने (एचजेएस) हायर ज्यूडिशियरी परीक्षा में याचिकाकर्ताओं का आवेदन निरस्त करने सम्बन्धी याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए हैं. साथ में याचिकाकर्ताओं को यह भी निर्देश दिए हैं कि उनके फार्मो में जो भी कमियां पाई गई हैं, उसे पन्द्रह दिन के भीतर दूर करें.

खंडपीठ ने हाईकोर्ट को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. मामले के अनुसार मीनाक्षी परिहार, पूजा, बांगा, प्रभावती, रचना गांधी और दीपा रानी ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर कहा था कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जून 2021 में हायर जूडिशियल सर्विस (एचजेएस ) हेतु विज्ञप्ति जारी की थी, जो अधिवक्ता कोटे से भरे जानी थीं.

पढ़ें- कुंभ कोरोना फर्जी टेस्ट मामला, याचिकाकर्ताओं ने याचिकाओं में संशोधन के लिए मांगा समय

याचिकाकर्ताओं ने इसके लिए आवेदन किया था. हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2021 को उनके अलावा कई अन्य आवेदकों के फार्म इसलिए निरस्त कर दिए कि उनके फार्मो में कई कमियां हैं, जिसकी वजह से वे लोग इस परीक्षा से वंचित हो गए हैं.

उन्होंने अपनी याचिकाओं में कोर्ट से यह प्रार्थना की है कि उनको परीक्षा में शामिल किया जाय और उनके आवेदन में जो कमियां हैं उनको दूर करने हेतु समय दिया जाय, ताकि वे परीक्षा से वंचित न हों. खंडपीठ में हाईकोर्ट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इन्होंने फार्म को उसमें वर्णित शर्तो के अनुसार नहीं भरा है. इसलिए इनका फार्म निरस्त किया गया. सभी फार्मो की बारीकी से जांच की गई, जांच के उपरांत फार्मो में अलग-अलग कमियां पाई गईं. जैसे किसी के फार्म में मार्कशीट नहीं लगी है. किसी के प्रमाण पत्र नहीं हैं. जबकि यह परीक्षा 6 व 7 अक्टूबर को होनी है.

Last Updated : Sep 27, 2021, 5:13 PM IST
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