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दिव्यांग सीटिंग वॉलीबॉल खिलाड़ी शबाना ने जीता गोल्ड मेडल, हुईं सम्मानित

रामनगर की रहने वाली बायें पैर से दिव्यांग और गरीब परिवार की बेटी शबाना ने मलेशिया में आयोजित सीटिंग वॉलीबॉल में गोल्ड मेडल जीत कर देश और राज्य का नाम रोशन किया है. वहीं, पालिकाध्यक्ष ने शबाना को आगामी 15 अगस्त को नगर पालिका की ओर से पुरस्कृत करने की घोषणा की है.

gold medalist shabana
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Published : Jul 12, 2019, 2:14 AM IST

रामनगरः कहते हैं मन के हारे हार है, मन के जीते जीत. हौसले बुलंद हो तो दिव्यांगता कभी आड़े नहीं आती है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है, बायें पैर से दिव्यांग और गरीब परिवार की बेटी शबाना ने. शबाना ने मलेशिया में आयोजित सीटिंग वॉलीबॉल में गोल्ड मेडल जीत कर देश और राज्य का नाम रोशन किया है. वहीं, शबाना को रामनगर नगर पालिका में सभासदों और महिला कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सम्मानित किया गया.

दिव्यांग सीटिंग वॉलीबॉल गोल्ड मेडलिस्ट शबाना हुईं सम्मानित.

बता दें कि रामनगर की रहने वाली शबाना बाएं पैर से विकलांग है. वो गरीब परिवार से ताल्लुख रखती है. दिव्यांगता के बावजूद शबाना ने अपने हुनर से मलेशिया में आयोजित सीटिंग वॉलीबॉल में गोल्ड मेडल जीता है. इसी कड़ी में शबाना को नगर पालिका सभासदों और महिला कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सम्मानित किया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष हाजी मोहम्मद अकरम ने शबाना की उपलब्धियों पर उन्हें बधाई दी. इस दौरान उन्होंने शबाना को आगामी 15 अगस्त को नगर पालिका की ओर से पुरस्कृत करने की घोषणा भी की.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शबाना ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और खेल मंत्री अरविंद पांडे का भी आभार जताया. शबाना ने बताया कि मलेशिया में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेने और फीस जमा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. जिस पर उसने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके निवास पर मुलाकात की थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उसे 45 हजार रुपये देकर उसका हौसला बढ़ाया था.

ये भी पढ़ेंः देश का प्रतिनिधित्व करेंगी देवभूमि की दो बेटियां, भारतीय जूनियर बैडमिंटन टीम में चयन

जिससे वो गोल्ड मेडल जीतकर उनके भरोसे को कायम रख पाई है. वहीं, शबाना का लक्ष्य भविष्य में एशियाड जीतना है. साथ ही सरकारी नौकरी हासिल कर अपनी जीविका के लिए संसधान जुटाना है. शबाना अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, कोच और अपने सहयोगी को देती है.

गोल्ड मेडलिस्ट शबाना का सफर
दिव्यांग गोल्ड मेडलिस्ट शबाना जन्म से बायें पैर से दिव्यांग है, लेकिन शबाना ने परिवार की गरीबी और विकलांगता को अपनी बुलंद इरादों के आगे आने नहीं दिया. शबाना ने कोच मंजीत सिंह से दिव्यांगों के लिए होने वाली सीटिंग वॉलीबॉल में दक्षता हासिल की और उत्तराखंड टीम का हिस्सा बनी.

शबाना ने साल 2016-17 में जयपुर के अर्जुन स्टेडियम, 2018 में तमिलनाडु के कोटमयूर में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. जिसमें कई कांस्य और सिल्बर मेडल हासिल किए थे. इसी कड़ी में इस बार 17 से 22 अप्रैल तक मलेशिया में आयोजित प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है.

रामनगरः कहते हैं मन के हारे हार है, मन के जीते जीत. हौसले बुलंद हो तो दिव्यांगता कभी आड़े नहीं आती है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है, बायें पैर से दिव्यांग और गरीब परिवार की बेटी शबाना ने. शबाना ने मलेशिया में आयोजित सीटिंग वॉलीबॉल में गोल्ड मेडल जीत कर देश और राज्य का नाम रोशन किया है. वहीं, शबाना को रामनगर नगर पालिका में सभासदों और महिला कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सम्मानित किया गया.

दिव्यांग सीटिंग वॉलीबॉल गोल्ड मेडलिस्ट शबाना हुईं सम्मानित.

बता दें कि रामनगर की रहने वाली शबाना बाएं पैर से विकलांग है. वो गरीब परिवार से ताल्लुख रखती है. दिव्यांगता के बावजूद शबाना ने अपने हुनर से मलेशिया में आयोजित सीटिंग वॉलीबॉल में गोल्ड मेडल जीता है. इसी कड़ी में शबाना को नगर पालिका सभासदों और महिला कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सम्मानित किया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष हाजी मोहम्मद अकरम ने शबाना की उपलब्धियों पर उन्हें बधाई दी. इस दौरान उन्होंने शबाना को आगामी 15 अगस्त को नगर पालिका की ओर से पुरस्कृत करने की घोषणा भी की.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शबाना ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और खेल मंत्री अरविंद पांडे का भी आभार जताया. शबाना ने बताया कि मलेशिया में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेने और फीस जमा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. जिस पर उसने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके निवास पर मुलाकात की थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उसे 45 हजार रुपये देकर उसका हौसला बढ़ाया था.

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जिससे वो गोल्ड मेडल जीतकर उनके भरोसे को कायम रख पाई है. वहीं, शबाना का लक्ष्य भविष्य में एशियाड जीतना है. साथ ही सरकारी नौकरी हासिल कर अपनी जीविका के लिए संसधान जुटाना है. शबाना अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, कोच और अपने सहयोगी को देती है.

गोल्ड मेडलिस्ट शबाना का सफर
दिव्यांग गोल्ड मेडलिस्ट शबाना जन्म से बायें पैर से दिव्यांग है, लेकिन शबाना ने परिवार की गरीबी और विकलांगता को अपनी बुलंद इरादों के आगे आने नहीं दिया. शबाना ने कोच मंजीत सिंह से दिव्यांगों के लिए होने वाली सीटिंग वॉलीबॉल में दक्षता हासिल की और उत्तराखंड टीम का हिस्सा बनी.

शबाना ने साल 2016-17 में जयपुर के अर्जुन स्टेडियम, 2018 में तमिलनाडु के कोटमयूर में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. जिसमें कई कांस्य और सिल्बर मेडल हासिल किए थे. इसी कड़ी में इस बार 17 से 22 अप्रैल तक मलेशिया में आयोजित प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है.

Intro:summary- बाये पैर से विकलांग होने व परिवार में गरीबी होने के बाद भी शबाना विदेश में अपने हुनर से मलेशिया में आयोजित सीटिंग गोल्ड मेडल जीत कर देश,उत्तराखंड व रामनगर का नाम रोशन किया है। उन्होंने इसका श्रय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत,खेल मंत्री अरविंद पांडे,माता पिता के साथ साथ अपने कोच का आभार व्यक्त किया है। उनकी इस उपलब्धि पर महिला कांग्रेस, नगरपालिका अध्यक्ष समेत सभासदों ने उनका सम्मान किया है। नगरपालिका की ओर से 15 अगस्त को उन्हें पुरस्कृत करने की घोषणा की है।

intro- मलेशिया में गोल्ड मेडल जीतने वाली नगर की होनहार दिव्यांग सीटिंग बास्केटबॉल खिलाड़ी शबाना का आज नगर पालिका सभासदों व महिला कांग्रेस के द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष हाजी मोहम्मद अकरम ने शबाना की उपलब्धियों पर उन्हें बधाई देते हुए आगामी 15 अगस्त को नगर पालिका की ओर से पुरस्कृत किए जाने की घोषणा की।


Body:v o.- रामनगर बाएं पैर के विकलांग होने व परिवार में गरीबी होने के बाद भी शबाना ने विदेश में अपने हुनर से मलेशिया में आयोजित सेटिंग वॉलीबॉल में गोल्ड मेडल जीतकर देश, उत्तराखंड व रामनगर का नाम जिस तरह से रोशन किया है वो काबिले तारीफ है। शबाना उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत,खेल मंत्री अरविंद पांडे का भी आभार व्यक्त करती है क्योंकि विदेश में खेलने जाने के लिए मुख्यमंत्री ने उसे 45 हजार रुपए देकर उसका हौसला बढ़ाया और उसने भी गोल्ड मेडल जीतकर उनके भरोसे को कायम रखा। दिव्यांग गोल्ड मेडलिस्ट शबाना का जन्म 19 अप्रैल 1994 को नगर के वार्ड नंबर 12, मौहल्ला खताड़ी, ऊटपड़ाब निवासी शफीक अहमद पेंटर व जरीना बेगम के परिवार में हुआ जन्म से ही शबाना का बाया पैर खराब था। मगर उसने परिवार की गरीबी व विकलांगता को अपनी बुलंद इरादों के आगे आने नहीं दिया और जीजीआईसी रामनगर से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट तथा डिग्री कॉलेज से भूगोल विषय में एम ए तक की शिक्षा हासिल की। इस बीच गूलरभोज (बाजपुर) निवासी कोच मंजीत सिंह ने से दिव्यांगों के लिए होने वाली सेटिंग वॉलीबॉल में दक्षता हासिल की तथा उत्तराखंड की टीम का हिस्सा बनी। शबाना ने वर्ष 2016-17 में जयपुर के अर्जुन स्टेडियम, 2018 में तमिलनाडु के कोटमयूर मैं बेहतरीन प्रदर्शन करके सुबे का नाम रोशन किया तथा कई कांस्य व सिल्बर मेडल हासिल किये तथा वर्ष 2019 में 17 से 22 अप्रैल तक मलेशिया में खेले गयी प्रतियोगिता मैं गोल्ड मेडल हासिल करके नगर व सूबे का नाम रोशन किया। शबाना के अनुसार मलेशिया में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेने व फीस जमा करने के लिए उनके पास रकम नहीं थी तो वह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके निवास पर मिली तो उन्होंने 45 हजार रुपये दिए जाने का आश्वासन दिया था तथा अब मुख्यमंत्री ने अपना वायदा निभाया व विगत दिवस शहर पटवारी ताराचंद्र घिल्डियाल ने उसे 45 हजार रुपये का चेक सौंपा है। शबाना का लक्ष्य भविष्य में एशियाड जीतना है तथा सरकारी नौकरी हासिल करने अपनी जीविका के संसधान अर्जित करना है। शबाना अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, अपने कोच मनजीत सिंह,अपने सहयोगी रजत ठाकुर, को देती है।

byte- कुमारी शबाना (खिलाड़ी,सिटिंग वॉलीबॉल)


Conclusion:fvo.- आपके इरादे बुलंद और नेक हो तो कोई भी आसमान छू सकता है। दिव्यांग शबाना ने यह मिसाल जमाने के समाने मलेशिया में सीटिंग वॉलीबॉल में गोल्ड मेडल जीत कर सही साबित कर दिया है। यह मिसाल उन नवयुवको और युवतियों के लिए भी जो सही सलामत होते हुए भी आगे बढ़ने में हिम्मत हार जाते हैं। उन्हें शबाना की कामयाबी को देखते हुए अपने अंदर जीत का जज्बा पैदा करना पड़ेगा।
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