हल्द्वानी: किसानों को पारंपरिक खेती में घाटे का सामना करना पड़ा है, कभी तो किसानों की लागत तक नहीं निकल पाती है क्योंकि मौसम की मार पहाड़ों की खेती पर ज्यादा पड़ती है. इस वजह से किसानों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता हैं लेकिन अब मटर की खेती किसानों की तस्वीर बदल रही है, क्योंकि जब मैदानी क्षेत्रों में मटर का सीजन समाप्त हो जाता है तब मार्केट में पहाड़ की मटर धूम मचा रही है. जिसकी मांग हल्द्वानी मंडी ही नहीं अन्य राज्यों की मंडियों से भी खूब आ रही है. जिससे किसानों के चेहरे खिले हुए हैं.
किसानों का बढ़ा रूझान: मैदानी क्षेत्रों में मटर का सीजन खत्म होते ही अब पहाड़ की मटर बाजारों में आने लगी है. पहाड़ के मटर की क्वालिटी बेहतर होने के चलते मांग उत्तराखंड के साथ-साथ देश के कई मंडियों में खूब मांग आ रही है. ऐसे में पहाड़ की हरी और लंबी फली वाला स्वादिष्ट मटर ने बाहर की मंडी में अपनी अलग पहचान बना रही है. जिसके चलते पहाड़ के किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. वहीं, काश्तकार अब पारंपरिक खेती छोड़ मटर की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिसका नतीजा है कि कुमाऊं के सबसे बड़े हल्द्वानी मंडी से रोजाना बाहर के अन्य मंडियों में करीब 700 से 800 कुंतल मटर जा रही है. मैदान क्षेत्रों में फरवरी से मार्च मटर का सीजन चलता है, वहीं पहाड़ों में मटर का सीजन अप्रैल और मई में होता है.
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मटर की जैविक खेती: दरअसल, मटर की खेती का सीजन खत्म हो गया है. लेकिन पहाड़ में ठंड होने के चलते यहां पर इस समय भारी मात्रा में मटर का उत्पादन हो रहा है. नैनीताल जिले के साथ-साथ अल्मोड़ा जिले के अधिकतर किसान अन्य पारंपरिक खेती के साथ-साथ मटर की खेती कर रहे हैं, जो इनकी आर्थिकी को मजबूत कर रहा है. मटर की जैविक खेती से उत्पादन से काफी स्वादिष्ट है, जिसके चलते मटर की मांग कई मंडियों से भारी मांग आ रही है. उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली के अलावा अन्य मंडियों तक यहां की मटर पहुंच रही है.
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मटर की मंडियों में भारी मांग: व्यापारियों की मानें तो पहाड़ की डिमांड अधिक है. यहां से रोजाना करीब 700 से 800 कुंतल मटर अन्य मंडियों में जा रही है. पहाड़ में कीमत ₹30 से लेकर ₹40 प्रति किलो है, जिसके चलते किसानों की भी अच्छी आमदनी हो रही है. बताया जा रहा है कि पहाड़ में बरसात कम होने के चलते मटर की फसल में थोड़ी गिरावट आई है. लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि बरसात होते ही मटर की क्वालिटी और अच्छी हो जाएगी. वहीं, पहाड़ में मटर का सीजन जून तक चलेगा.