हल्द्वानी: दीपावली 4 नवंबर को है. इस दिन धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में दीपावली के त्योहार का खास महत्व है. खुशियों और प्रकाश का पर्व दीपावली पर मां महालक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है. महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए दीपावली का पर्व सबसे उत्तम माना जाता है. ऐसे में दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से महालक्ष्मी समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देती हैं.
दीपावली के दिन किस तरह से करें महालक्ष्मी की पूजा, पूजा का क्या है शुभ मुहूर्त?
दीपावली के दिन प्रातः काल स्नान इत्यादि करने के घर में मां लक्ष्मी की पूजन करना चाहिए और इस दिन विशेष कर सायंकाल प्रदोष काल में माता लक्ष्मी का पूजन 5:20 से 7:55 तक शुभ का मुहूर्त है. इसके साथ ही जो स्थिर लग्न वृष 6:10 से 8:50 तक महालक्ष्मी का विशेष पूजन होगा. जो अत्यंत शुभ रहेगा. दुकान और प्रतिष्ठानों में स्थिर मुहूर्त में पूजन करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी. इसके साथ ही चौघड़िया अमृत योग में भी पूजन किया जाता है जिसका समय 5:20 से 8:40 तक रहेगा. इसके साथ ही अर्धरात्रि में महानिशा मुहूर्त में जो पूजन 11:30 से 12:30 तक का महानिशा काल में पूजन होगा. तंत्र साधना काल जो तंत्रोक्त निधि से माता लक्ष्मी का जो पूजन होगा रात्रि 12:30 से लेकर के 2:50 तक का रहेगा. इस काल में जप, होम इत्यादि के द्वारा मंत्र की सिद्धि की जाती है.
ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक महालक्ष्मी के पूजन की विधि और पूजा सामग्री अपने सामर्थ्य अनुसार करें, महालक्ष्मी की मट्टी, तांबा या सोने-चांदी की मूर्ति के साथ भगवान गणेश के मूर्ति की स्थापना करें. प्रतिमा को दूध और पंचामृत से स्नान कराकर गंगा जल या जल से स्नान कराएं. इसके बाद आसन में बैठा कर उसमें चंदन, अक्षत पत्र, पुष्प, धूप और नाना प्रकार के फल, मिठाइयां, नव्वेदय के साथ पूजन करना चाहिए और उसके साथ ही भगवान इंद्र और कुबेर आदि देवताओं का पूजन करना चाहिए. इसके अलावा अपने घर के खजाने का भी विधि विधान के साथ पूजा करना चाहिए. जिससे महालक्ष्मी प्रसन्न होंगी. लक्ष्मी के पूजन के साथ ही अष्ट सिद्धियों का भी पूजन किया जाता है. जिसमें अणिमा, लघिमा आदि आठ प्रकार की सिद्धियां है जो लक्ष्मी की कृपा से प्राप्त होती हैं.
लक्ष्मी के साथ मां के जो आठ रूप हैं अष्ट लक्ष्मी का पूजन भी होना चाहिए. जिसमें माता का आद्य लक्ष्मी रूप, विद्यालक्ष्मी रूप, सौभाग्य लक्ष्मी रूप, अमृत लक्ष्मी रूप, काम लक्ष्मी रूप, सत्य लक्ष्मी रूप, योगलक्ष्मी रूप, भोग लक्ष्मी रूप माता लक्ष्मी का स्वरूप है. इनका भी साथ में पूजन होना चाहिए. लक्ष्मी का व्रत करने से लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहेंगी. लक्ष्मी के व्रत की पूजन से स्त्रियों को परम सौभाग्य की प्राप्त होती है और पुरुषों के ऊपर मा लक्ष्मी की सदा कृपा दृष्टि बनी रहती है. व्रत पूजन करने से उनके घर में कभी दरिद्रता निवास नहीं करती है.
पढ़ें: दीपावली पर फूलों से सुसज्जित हुआ केदारनाथ मंदिर, PM मोदी के दौरे को लेकर तैयारियां जोरों पर
मेष राशि को रक्त वस्त्र पहनकर लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. इसमें फल, गन्ना और रक्त चंदन सिंदूर आदि चढ़ाकर मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. वृष राशि वालों को पीने कपड़े पहनकर और पीला चंदन, केला संरक्षक और नाना प्रकार की मिठाइयां और घी का दीपक जलाकर पूजन करना चाहिए. मिथुन राशि के लोगों को हल्का सा हरा रंग पहनकर, ब्लू पत्र पुष्प और नाना प्रकार के फल मिठाइयां सहित लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. कर्क राशि वालों को घी का दीपक जला कर और पूजन की समस्त सामग्रियों सहित लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए.
सिंह राशि वालों को हल्का रक्त वस्त्र पहनकर पूरब की ओर मुख करके घी के दीये जलाकर लक्ष्मी और कुबेर का विशेष कर पूजन करना चाहिए. साथ में अष्ट सिद्धियों का भी करें. कन्या राशि वालों को हल्के से श्वेत और पीत युक्त कपड़े पहन कर लक्ष्मी को फल और विशेषकर अनार के फल चढ़ाकर पूजा करनी चाहिए. लक्ष्मी के आसन को सामने रख पूरब की ओर मुख कर कम से कम 9 दीये जलाने चाहिए. साथ-साथ गणेश और भगवान कुबेर का पूजा भी करें.
तुला राशि वालों को लक्ष्मी की पूजा करने से पहले स्वर्ण आभूषणों को पहन कर लक्ष्मी के प्रतिमा को दूध शक्कर से स्नान कराकर पूजन करना चाहिए. वृश्चिक राशि वालों को स्वर्ण के आभूषण धारण कर गन्ना इत्यादि अन्य पूजा सामग्री से लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. साथ ही लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें.
पढ़ें: इस धनतेरस हल्द्वानी बाजार में बढ़ी रौनक, 15 करोड़ से अधिक का हुआ सर्राफा कारोबार
धनु राशि वालों को लक्ष्मी सहित कुबेर आदि देवताओं का पूजन करनी चाहिए और ओम महालक्ष्मी नमः या महालक्ष्मी का कनकधारा स्तोत्र पाठ करना चाहिए, जो उनके लिए विशेष फलदाई होगा. मकर राशि वालों को स्वर्ण आभूषण पहनकर माता लक्ष्मी को दूध से अभिषेक कराकर पूजन करना चाहिए. लक्ष्मी-गणेश का विशेष पूजन और महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.
कुंभ राशि वालों को विशेषकर स्त्रियां अपने समस्त आभूषणों को पहनकर महालक्ष्मी के पूजन से पूर्व भगवान गणेश का पूजन करें और महालक्ष्मी के पूजन के उपरांत चावल से भरे बड़े कटोरे में दीये जलाकर पूजा करने से दरिद्रता निवारण हेतु महालक्ष्मी कुबेर से प्रार्थना करनी चाहिए. साथ 10 दिगपाल (10 दिशाओं के मालिक) का भी पूजा करना चाहिए. मीन राशि वालों को विशेषकर महालक्ष्मी के पूजन के साथ महालक्ष्मी पाठ और जाप करें. महालक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और खीर का प्रसाद ग्रहण करें.