हल्द्वानी: प्रदेश सरकार के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत गौला नदी से खनन का है. लॉकडाउन के बाद से ही खनन का काम पूरी तरह बंद हो चुका है. जिसका सबसे बुरा असर श्रमिकों पर पड़ रहा है. यहां काम करने वाले दिहाड़ी-मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
गौला नदी में काम करने वाले ये मजदूर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से आए थे. लॉकडाउन के चलते सभी काम बंद हो चुके हैं. अब इनके लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं, यातायात ठप होने से अब ये अपने घरों को भी नहीं लौट पा रहे हैं.
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कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी में करीब 25,000 मजदूर काम करते है. कई अन्य राज्यों से पहुंचे इन मजदूरों को अब काम नहीं मिल पा रहा है. वहीं, इनका आरोप है कि जिला-प्रशासन की तरफ से इनके लिए खाने की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए एक तरफ बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है. वहीं, इन मजदूरों को मास्क तक भी नहीं बांटे गये हैं. वहीं, इनके बीच सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर भी जागरूकता की कमी देखने को मिली.