रामनगर: हाथियों की संख्या बढ़ने से जहां एक तरफ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) पार्क प्रशासन उत्साहित है तो वहीं पारंपरिक गलियारों (कॉरिडोर) के बंद होने से पार्क प्रशासन और वन्यजीव प्रेमी की चिंता भी बढ़ने लगी है. क्योंकि कॉरिडोर बंद होने से गजराज के स्वच्छंद विचरण पर असर पड़ेगा और मानव व हाथी संघर्ष में भी इजाफा होगा.
सीटीआर रामनगर और राजाजी नेशलन पार्क में पिछले महीने हाथियों की गणना हुई थी. पूरे प्रदेश में हाथियों की संख्या दो हजार के पार पहुंच गई है. जिससे वन विभाग के साथ पार्क प्रशासन भी काफी खुश नजर आ रहा है, लेकिन मानव बस्तियों का दायरा बढ़ने से जंगल कॉन्क्रीट में तब्दील होते जा रहे हैं, जिससे हाथियों के पारंपरिक गलियारे बंद हो गए हैं. जिससे सीटीआर चिंतित नजर आ रहा है. क्योंकि कॉरिडोर बंद होने से हाथी नेशनल हाईवे और आबादी की तरफ अपना मूवमेंट करते हैं, जिससे मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ने की संभावना है.
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इस विषय पर वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्मवाल ने बताया कि निश्चित रूप से हाथी सबसे बड़ा स्तनपाई जीव है. यह लंबी दूरी के प्रवास पर जाते हैं. दो मुख्य वन क्षेत्र (कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और रामनगर वन प्रभाग) के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग होकर गुजरता है. ऐसे में हाथियों का झुंड अक्सर हाईवे पर आ जाता है, जहां वे उत्पात मचाते हैं, जो कभी-कभी मानव को भी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में हाथियों के गलियारों को बचाना बहुत जरूरी है.
इस बारे में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने कहा कि हाथी के लिए कॉरीडोर होना बहुत जरूरी होता है. हाथी पानी और भोजन के लिए काफी लंबा सफर करते हैं, जो हमारे कॉरिडोर हैं उन पर लगातार हम नजर बनाए रखते हैं. सीटीआर ने हाथी कॉरिडोर को चिन्हित कर रखा है. हाथियों की मूवमेंट को ट्रेक किया जाता है. फिर भी कोई समस्या आती है तो वन कर्मियों की मदद से इसका निस्तारण किया जाएगा.