हल्द्वानी: बीते दिनों बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने पहाड़ के किसानों और काश्तकारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. मैदानी क्षेत्र में भारी बारिश और तेज हवा के चलते गेहूं और सरसों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. वहीं पहाड़ों पर सबसे ज्यादा फल पट्टी को नुकसान पहुंचा है. कृषि और हॉर्टिकल्चर विभाग ने नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है.
नैनीताल जनपद में भारी बारिश और ओलावृष्टि के चलते करीब 20 हेक्टेयर मटर की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. ऐसे में कृषि और हॉर्टिकल्चर विभाग ने बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का संयुक्त रूप से सर्वे किया है. करीब नैनीताल जिले के धारी और ओखलकांडा क्षेत्र 200 से अधिक किसान प्रभावित हुए हैं. इनकी मटर की खड़ी फसल 50% से 60% तक पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. यही नहीं बारिश और ओलावृष्टि का असर सेब, आडू, पुलम समेत बागवानी की अन्य फसलों को भी पहुंचा है. वहीं बरसात और तेज हवा के चलते गेहूं और सरसों को भी भारी नुकसान पहुंचा है. वहीं उधम सिंह नगर में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. लेकिन नुकसान का आकलन 35% से कम है.
संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल पीके सिंह ने बताया कि फसलों को हुए जिलेवार नुकसान का ब्योरा जुटाया जा रहा है. प्रथम चरण के आकलन में सबसे ज्यादा नुकसान नैनीताल जनपद से सामने आया है. यहां मटर की फसल का आकलन किया गया है और करीब 20 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है. जिसकी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी गई है, जिससे आपदा के तहत किसानों को नुकसान का मुआवजा दिलाया जा सके. उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्र में हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है. इसके अलावा गेहूं की फसल में प्रथम चरण के आकलन में 35% से कम नुकसान पाया गया है. नियमानुसार 35% से अधिक नुकसान पर मुआवजा देने का प्रावधान है.