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सूखे की भेंट चढ़ने के कगार पर किसानों की फसल, मुआवजे की मांग

पहाड़ी क्षेत्रों में इस समय सूखे जैसे हालात हैं. एक तरफ जंगलों में आग से लोग परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पेयजल संकट से लोग हलकान हैं. सिंचाई न होने से किसानों की फसल सूख रही है.

Haldwani
पेयजल संकट से जूझ रहे लोग
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Published : Apr 9, 2021, 4:10 PM IST

हल्द्वानी: पहाड़ी क्षेत्रों में इस समय सूखे जैसे हालात हैं. एक तरफ जंगलों में आग से लोग परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पेयजल संकट से लोग हलकान हैं. नदी, नाले, नहर और गदेरे जहां-तक नजर आ रहे हैं सब सूखे की मार झेल रहे हैं. सिंचाई न होने से किसानों की फसल सूख रही है. ऐसे में स्थानीय लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

पेयजल संकट से जूझ रहे लोग

काश्तकारों का कहना है कि पिछले 3 महीनों से नहर में पानी नहीं आया है. ऐसे में उनकी फसलें सूखने के कगार पर पहुंच गई हैं. जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. काश्तकारों का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो फसलें चौपट होने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा. गौलापार के किसान प्रकाश बहुगुणा का कहना है कि नदी का पानी उनके खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में ट्यूबवेल ही एकमात्र सहारा है, जिसके जरिए वह अपनी खेती की सिंचाई कर पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: रणजीत बोले- मेरे सल्ट आने से गंगा को होगा नुकसान, इसलिए खेती में लगा हूं

वहीं, प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार ने समय रहते समस्या का समाधान नहीं किया तो आने वाले दिनों में जो फसलें बची हुई हैं, वह भी पूरी तरह से सूख कर चौपट हो जाएंगी. ऐसे में अब सरकार को चाहिए कि जिन क्षेत्रों में किसानों की फसलें सूख चुकी हैं, उन क्षेत्रों को सूखाग्रस्त घोषित कर किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएं.

ये भी पढ़ें: RTE एक्ट से बच्चों के एडमिशन की बढ़ गई है तिथि, ये रही पूरी जानकारी

उधर उत्तराखंड के आपदा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि सूखे को भी आपदा में शामिल कर लिया है. अगर किसी इलाके में 35 फीसदी से अधिक सूखे की मार पड़ती है तो किसानों को आपदा राहत राशि दी जाएगी. जिसको देखते हुए जिलाधिकारी नैनीताल को सर्वे करने को निर्देशित भी किया गया है.

हल्द्वानी: पहाड़ी क्षेत्रों में इस समय सूखे जैसे हालात हैं. एक तरफ जंगलों में आग से लोग परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पेयजल संकट से लोग हलकान हैं. नदी, नाले, नहर और गदेरे जहां-तक नजर आ रहे हैं सब सूखे की मार झेल रहे हैं. सिंचाई न होने से किसानों की फसल सूख रही है. ऐसे में स्थानीय लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

पेयजल संकट से जूझ रहे लोग

काश्तकारों का कहना है कि पिछले 3 महीनों से नहर में पानी नहीं आया है. ऐसे में उनकी फसलें सूखने के कगार पर पहुंच गई हैं. जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. काश्तकारों का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो फसलें चौपट होने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा. गौलापार के किसान प्रकाश बहुगुणा का कहना है कि नदी का पानी उनके खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में ट्यूबवेल ही एकमात्र सहारा है, जिसके जरिए वह अपनी खेती की सिंचाई कर पा रहे हैं.

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वहीं, प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार ने समय रहते समस्या का समाधान नहीं किया तो आने वाले दिनों में जो फसलें बची हुई हैं, वह भी पूरी तरह से सूख कर चौपट हो जाएंगी. ऐसे में अब सरकार को चाहिए कि जिन क्षेत्रों में किसानों की फसलें सूख चुकी हैं, उन क्षेत्रों को सूखाग्रस्त घोषित कर किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएं.

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उधर उत्तराखंड के आपदा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि सूखे को भी आपदा में शामिल कर लिया है. अगर किसी इलाके में 35 फीसदी से अधिक सूखे की मार पड़ती है तो किसानों को आपदा राहत राशि दी जाएगी. जिसको देखते हुए जिलाधिकारी नैनीताल को सर्वे करने को निर्देशित भी किया गया है.

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