हल्द्वानीः सरकारी योजनाओं के नाम पर सरकारी पैसों की किस तरह से बर्बादी की जा रही है इसका उदाहरण हल्द्वानी के बरेली रोड स्थित समाज कल्याण विभाग द्वारा बनाए गए शिल्पकार मार्केट को देखकर लगाया जा सकता है. शिल्पकारों के लिए बनाई गई दुकानों का पिछले 12 सालों से आवंटन तक नहीं हो पाया है. ऐसे में 1 करोड़ 30 लाख 50 हजार की लागत से बनाया गया मार्केट अब धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है. मार्केट असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है. वहीं सरकार और समाज कल्याण विभाग के नुमाइंदे आंखें बंद किए हुए हैं.
2009 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने प्रदेश के अनुसूचित जाति के शिल्पकारों को स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास किया था. कुमाऊं के हस्तशिल्पकारों को और हाथ से बने उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बरेली रोड स्थित पुरानी आईटीआई के पास एक करोड़ तीस लाख पचास हजार की लागत से हाट बाजार का निर्माण कराया था. योजना के तहत प्रदेश के शिल्पकारों को स्वरोजगार से जोड़कर दूसरों को भी रोजगार देने के उद्देश्य से 21 फरवरी 2009 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी और विधायक गोविंद सिंह बिष्ट ने इसका लोकार्पण किया था. लेकिन आलम ये है कि शिल्पकार बाजार के उद्घाटन के 12 साल बाद भी शिल्पकारों को दुकानें आवंटित नहीं हो पाई हैं. मार्केट अब खंडहर बनता जा रहा है, साथ ही असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है.
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वहीं पूरे मामले में समाज कल्याण विभाग के निदेशक विनोद गिरि गोस्वामी का कहना है कि शिल्पकार मार्केट को फिर से अस्तित्व में लाने के लिए तीन बार निरीक्षण कर चुके हैं. दुकानों की आवंटन प्रक्रिया और बाजार को नया स्वरूप देने के लिए शासन को पत्र भेजा है. शासन से अनुमति मिलते ही दुकानों का आवंटन कर दिया जाएगा.