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पुलिस हिरासत में मौत का मामला, एक सिपाही को तीन माह की सजा, 3 अन्य दोष मुक्त

पुलिस हिरासत में युवक की मौत मामले में कोर्ट ने एक सिपाही को दोषी मानते हुए तीन महीन के सजा सुनाई है. कोर्ट का मानना है कि सिपाही की लापरवाही के कारण ही युवक की मौत हुई है. इस केस से जुड़े तीन पुलिसकर्मियों को कोर्ट ने दोष मुक्त किया है.

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Published : Jun 21, 2022, 10:02 PM IST

हल्द्वानी: नैनीनात जिले की हल्द्वानी कोतवाली में 2004 में पुलिस हिरासत में युवक की मौत मामले में 21 जून को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. अभिरक्षा में युवक की मौत के मामले में कोर्ट ने एक सिपाही को लापरवाही बरतने के मामले में 3 माह की साधारण कारावास की सजा सुनाई है.

पूरे मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट सीनियर सिविल जज हल्द्वानी ज्योति बाला की कोर्ट ने 3 पुलिसकर्मियों को दोषमुक्त करार दिया है. जबकि एक सिपाही को लापरवाही बरतने के मामले में तीन माह की सजा सुनाया है. पुलिस जवानों की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता राजन मेहरा ने बताया कि घटना 10 जून 2004 की है.

20 अक्टूबर 2003 को हल्द्वानी निवासी फरहा की शादी बरेली निवासी अहमद से हुई थी. कुछ दिन बाद महिला ससुराल से अपने मायके आ गई, जहां पति अहमद समेत ससुरालियों के ऊपर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था. 10 जून 2004 को हल्द्वानी पुलिस अहमद और उसकी मां को गिरफ्तार कर हल्द्वानी ले आई. गिरफ्तार करने वाली टीम ने दोनों आरोपियों को हल्द्वानी पुलिस के हवाले कर दिया.
पढ़ें- टिहरी अरबन बैंक घोटाला: पांच दोषियों को 5-5 साल की सजा, एक दोषमुक्त

इस दौरान आरोपी अहमद को बैरक में बंद करने से पहले सामान जामा करने वाले सिपाही जय किशन की तरफ से लापरवाही बरती गई थी. आरोपी आमद के पास उस समय जहरीला पदार्थ था, जहां पुलिस बैरक में उसने जहरीला पदार्थ खा लिया था, जिससे उसकी मौत हो गई. पूरे मामले में अहमद के परिवार वालों ने महिला दारोगा पुष्पा बिष्ट, सिपाही धीरेंद्र सिंह, सिपाही दीवान सिंह और सिपाही जयकिशन पर हत्या का आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया.

पूरे मामले में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद वर्ष 20 जून 2006 को पुलिस ने चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. पूरा मामला 16 साल तक न्यायालय में चलने के बाद 10 गवाहों और साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने जमा तलाशी करने वाले सिपाही जय किशन को लापरवाही बरतने के मामले में तीन माह की सजा सुनाई है. जबकि महिला दारोगा पुष्पा बिष्ट, सिपाही धीरेंद्र सिंह और दीवानी सिंह को दोषमुक्त करार दिया है.

हल्द्वानी: नैनीनात जिले की हल्द्वानी कोतवाली में 2004 में पुलिस हिरासत में युवक की मौत मामले में 21 जून को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. अभिरक्षा में युवक की मौत के मामले में कोर्ट ने एक सिपाही को लापरवाही बरतने के मामले में 3 माह की साधारण कारावास की सजा सुनाई है.

पूरे मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट सीनियर सिविल जज हल्द्वानी ज्योति बाला की कोर्ट ने 3 पुलिसकर्मियों को दोषमुक्त करार दिया है. जबकि एक सिपाही को लापरवाही बरतने के मामले में तीन माह की सजा सुनाया है. पुलिस जवानों की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता राजन मेहरा ने बताया कि घटना 10 जून 2004 की है.

20 अक्टूबर 2003 को हल्द्वानी निवासी फरहा की शादी बरेली निवासी अहमद से हुई थी. कुछ दिन बाद महिला ससुराल से अपने मायके आ गई, जहां पति अहमद समेत ससुरालियों के ऊपर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था. 10 जून 2004 को हल्द्वानी पुलिस अहमद और उसकी मां को गिरफ्तार कर हल्द्वानी ले आई. गिरफ्तार करने वाली टीम ने दोनों आरोपियों को हल्द्वानी पुलिस के हवाले कर दिया.
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इस दौरान आरोपी अहमद को बैरक में बंद करने से पहले सामान जामा करने वाले सिपाही जय किशन की तरफ से लापरवाही बरती गई थी. आरोपी आमद के पास उस समय जहरीला पदार्थ था, जहां पुलिस बैरक में उसने जहरीला पदार्थ खा लिया था, जिससे उसकी मौत हो गई. पूरे मामले में अहमद के परिवार वालों ने महिला दारोगा पुष्पा बिष्ट, सिपाही धीरेंद्र सिंह, सिपाही दीवान सिंह और सिपाही जयकिशन पर हत्या का आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया.

पूरे मामले में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद वर्ष 20 जून 2006 को पुलिस ने चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. पूरा मामला 16 साल तक न्यायालय में चलने के बाद 10 गवाहों और साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने जमा तलाशी करने वाले सिपाही जय किशन को लापरवाही बरतने के मामले में तीन माह की सजा सुनाई है. जबकि महिला दारोगा पुष्पा बिष्ट, सिपाही धीरेंद्र सिंह और दीवानी सिंह को दोषमुक्त करार दिया है.

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