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बाघों की गणना की तैयारियों में जुटा कॉर्बेट पार्क प्रशासन, WII ने इस APP की दी खास ट्रेनिंग

Tigers Counting in Uttarakhand उत्तराखंड में बाघों की गणना को लेकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. बकायदा इसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान से ट्रेनिंग भी ले ली है. इस बार टाइगर रिजर्व को कॉर्बेट और कालागढ़ दो जोन में बांटा गया है. जहां कैमरा ट्रैप और एप के जरिए बाघों की गणना की जाएगी.

Tigers Counting in Uttarakhand
बाघों की गणना
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 22, 2023, 10:40 PM IST

रामनगरः कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन हर चार साल के अंतराल पर पूरे देशभर में होने वाली बाघों की गणना की तैयारियों में जुट गया है. इसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम ने वन कर्मियों को एम स्ट्राइप एप (M Stripe App) की ट्रेनिंग दे दी है. यह एप बाघों की गणना में अहम रोल निभाएगा.

बता दें कि पूरे देशभर के पार्कों में कैमरा ट्रैप विधि से फेज 4 के बाघों की गणना की कवायद जारी है. जिसमें फेज 4 के तहत बाघों की गणना की जाएगी. जो नवंबर से शुरू हो सकती है, जिसको लेकर कॉर्बेट प्रशासन तैयारी में जुट गया है. पहले चरण में कॉर्बेट और दूसरे चरण में कालागढ़ टाइगर रिजर्व में कैमरे लगाए जाएंगे.

गौर हो कि साल 1936 में स्थापित कॉर्बेट नेशनल पार्क देश का सबसे पुराना पार्क है. प्रसिद्ध बाघ के शिकारी जिम कॉर्बेट के नाम पर इसका नाम रखा गया है. यह विशाल पार्क 1288.34 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जिसमें पौड़ी और नैनीताल जिला शामिल हैं. इसका कोर जोन 520.8 वर्ग किलोमीटर तो बफर जोन 797.7 वर्ग किलोमीटर में फैला है.
ये भी पढ़ेंः कॉर्बेट नेशनल पार्क में सिमट रही टाइगर की 'सल्तनत', अब पहाड़ों पर पलायन कर रहा 'जंगल का राजा'

देश में साल 2022 की गणना में उत्तराखंड क्षेत्र में 560 बाघ दर्ज किए गए थे. उत्तराखंड के इन 560 बाघों में से करीब 260 बाघ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाए गए हैं. वहीं, अब हर चार साल में होने वाली गणना का काम नवंबर महीने से शुरू कर दिया जाएगा. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि हर चार साल में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर बाघ की गणना कराई जाती है. जिसके नतीजे केंद्र से घोषित किए जाते हैं.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अपने क्षेत्र में भी बाघों की गिनती करता है. कार्यक्षेत्र के हिसाब से टाइगर रिजर्व को कॉर्बेट और कालागढ़ के दो जोन में बांटा गया है. विभाग पहले कार्बेट के क्षेत्र में बाघ की गणना करेगा. जिसमे एक हजार से ज्यादा कैमरा ट्रैप बाघों की तस्वीर खीचेंगे. वहीं, पार्क वार्डन ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बाघों की गणना को लेकर वन कर्मियों की एम स्ट्राइप एप की ट्रेनिंग दे दी है.

रामनगरः कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन हर चार साल के अंतराल पर पूरे देशभर में होने वाली बाघों की गणना की तैयारियों में जुट गया है. इसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम ने वन कर्मियों को एम स्ट्राइप एप (M Stripe App) की ट्रेनिंग दे दी है. यह एप बाघों की गणना में अहम रोल निभाएगा.

बता दें कि पूरे देशभर के पार्कों में कैमरा ट्रैप विधि से फेज 4 के बाघों की गणना की कवायद जारी है. जिसमें फेज 4 के तहत बाघों की गणना की जाएगी. जो नवंबर से शुरू हो सकती है, जिसको लेकर कॉर्बेट प्रशासन तैयारी में जुट गया है. पहले चरण में कॉर्बेट और दूसरे चरण में कालागढ़ टाइगर रिजर्व में कैमरे लगाए जाएंगे.

गौर हो कि साल 1936 में स्थापित कॉर्बेट नेशनल पार्क देश का सबसे पुराना पार्क है. प्रसिद्ध बाघ के शिकारी जिम कॉर्बेट के नाम पर इसका नाम रखा गया है. यह विशाल पार्क 1288.34 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जिसमें पौड़ी और नैनीताल जिला शामिल हैं. इसका कोर जोन 520.8 वर्ग किलोमीटर तो बफर जोन 797.7 वर्ग किलोमीटर में फैला है.
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देश में साल 2022 की गणना में उत्तराखंड क्षेत्र में 560 बाघ दर्ज किए गए थे. उत्तराखंड के इन 560 बाघों में से करीब 260 बाघ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाए गए हैं. वहीं, अब हर चार साल में होने वाली गणना का काम नवंबर महीने से शुरू कर दिया जाएगा. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि हर चार साल में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर बाघ की गणना कराई जाती है. जिसके नतीजे केंद्र से घोषित किए जाते हैं.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अपने क्षेत्र में भी बाघों की गिनती करता है. कार्यक्षेत्र के हिसाब से टाइगर रिजर्व को कॉर्बेट और कालागढ़ के दो जोन में बांटा गया है. विभाग पहले कार्बेट के क्षेत्र में बाघ की गणना करेगा. जिसमे एक हजार से ज्यादा कैमरा ट्रैप बाघों की तस्वीर खीचेंगे. वहीं, पार्क वार्डन ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बाघों की गणना को लेकर वन कर्मियों की एम स्ट्राइप एप की ट्रेनिंग दे दी है.

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