रामनगर: मानसून सीजन में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कॉर्बेट प्रशासन कमर कस चुका है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की निगहबानी के लिए ड्रोन के साथ ही दैनिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई है. जिससे वन्यजीव तस्करों पर लगाम लगाई जा सके.
गौर हो कि मानसून सीजन में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्यजीव तस्करों की घुसपैठ को लेकर कॉर्बेट प्रशासन अलर्ट हो गया है. कॉर्बेट प्रशासन ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए ड्रोन के साथ ही 300 दैनिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई है. जो जंगल से लगी सीमाओं की पेट्रोलिंग करेंगे. जिससे वन्यजीव तस्करों पर लगाम लगाई जा सके. बरसात तक चलने वाली पेट्रोलिंग को विभाग ने 'ऑपरेशन मानसून' का नाम दिया है.
वहीं नदी- नाले और घने जंगलों को स्कैन करने के लिए ड्रोन का भी उपयोग किया जाएगा. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल करीब 1288 वर्ग किलोमीटर तक फैला है. बरसात के मौसम में ढिकाला, बिजरानी के अलावा विभिन्न पर्यटन जोनों में पर्यटकों, जिप्सी चालकों और गाइडों की आवाजाही बंद हो जाती है. बारिश के कारण गश्त भी प्रभावित होती है. ऐसे में तस्करों द्वारा जंगली जानवरों के अवैध शिकार का खतरा बना रहता है. जिसे देखते हुए कॉर्बेट प्रशासन ने जुलाई से ही ऑपरेशन मानसून शुरू कर दिया है.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में उत्तर- प्रदेश की सीमा अमानगढ़,अफजलगढ़, शेरकोट, धामपुर, नगीना, नजीबाबाद, मंडावली से वन्यजीव तस्करों की घुसपैठ का खतरा बना रहता है. जिसे विभाग द्वारा काफी संवेदनशील माना जाता है. दक्षिणी सीमा पर प्रत्येक 2 किलोमीटर में करीब 40 वन चौकियां हैं. इन चौकियों में वनकर्मियों को तैनात कर चौकसी बढ़ा दी गई है. बारिश होने पर जंगल में सड़क टूट जाती है. जिस कारण वन चौकी में रहने वाले कर्मचारी जंगल से बाहर नहीं आ पाते हैं. इसलिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की वन चौकियों में खाद्य सामग्री के अलावा मेडिकल किट भेज दी गई है.
जंगल के जिन दूरस्थ और ऊंचे वाले इलाकों में वनकर्मी नहीं पहुंच पाते हैं उन जगहों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है. सभी छह रेंजों में एक-एक ड्रोन जंगल में निगरानी रखने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने वन कर्मियों को उपलब्ध कराएं हैं.