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कॉर्बेट में शिकारियों पर ड्रोन से रखी जाएगी नजर, 300 अतिरिक्त कर्मचारियों की भी तैनाती

मानसून सीजन में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्यजीव तस्करों की घुसपैठ को लेकर कॉर्बेट प्रशासन अलर्ट हो गया है. कॉर्बेट प्रशासन ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए ड्रोन के साथ ही 300 दैनिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई है.

कॉर्बेट प्रशासन ने बढ़ाई कर्मचारियों की संख्या.
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Published : Jul 2, 2019, 1:41 PM IST

रामनगर: मानसून सीजन में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कॉर्बेट प्रशासन कमर कस चुका है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की निगहबानी के लिए ड्रोन के साथ ही दैनिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई है. जिससे वन्यजीव तस्करों पर लगाम लगाई जा सके.

गौर हो कि मानसून सीजन में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्यजीव तस्करों की घुसपैठ को लेकर कॉर्बेट प्रशासन अलर्ट हो गया है. कॉर्बेट प्रशासन ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए ड्रोन के साथ ही 300 दैनिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई है. जो जंगल से लगी सीमाओं की पेट्रोलिंग करेंगे. जिससे वन्यजीव तस्करों पर लगाम लगाई जा सके. बरसात तक चलने वाली पेट्रोलिंग को विभाग ने 'ऑपरेशन मानसून' का नाम दिया है.

वहीं नदी- नाले और घने जंगलों को स्कैन करने के लिए ड्रोन का भी उपयोग किया जाएगा. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल करीब 1288 वर्ग किलोमीटर तक फैला है. बरसात के मौसम में ढिकाला, बिजरानी के अलावा विभिन्न पर्यटन जोनों में पर्यटकों, जिप्सी चालकों और गाइडों की आवाजाही बंद हो जाती है. बारिश के कारण गश्त भी प्रभावित होती है. ऐसे में तस्करों द्वारा जंगली जानवरों के अवैध शिकार का खतरा बना रहता है. जिसे देखते हुए कॉर्बेट प्रशासन ने जुलाई से ही ऑपरेशन मानसून शुरू कर दिया है.

कॉर्बेट प्रशासन की जंगल के चप्पे-चप्पे पर रहेगी पैनी नजर.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में उत्तर- प्रदेश की सीमा अमानगढ़,अफजलगढ़, शेरकोट, धामपुर, नगीना, नजीबाबाद, मंडावली से वन्यजीव तस्करों की घुसपैठ का खतरा बना रहता है. जिसे विभाग द्वारा काफी संवेदनशील माना जाता है. दक्षिणी सीमा पर प्रत्येक 2 किलोमीटर में करीब 40 वन चौकियां हैं. इन चौकियों में वनकर्मियों को तैनात कर चौकसी बढ़ा दी गई है. बारिश होने पर जंगल में सड़क टूट जाती है. जिस कारण वन चौकी में रहने वाले कर्मचारी जंगल से बाहर नहीं आ पाते हैं. इसलिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की वन चौकियों में खाद्य सामग्री के अलावा मेडिकल किट भेज दी गई है.

जंगल के जिन दूरस्थ और ऊंचे वाले इलाकों में वनकर्मी नहीं पहुंच पाते हैं उन जगहों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है. सभी छह रेंजों में एक-एक ड्रोन जंगल में निगरानी रखने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने वन कर्मियों को उपलब्ध कराएं हैं.

रामनगर: मानसून सीजन में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कॉर्बेट प्रशासन कमर कस चुका है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की निगहबानी के लिए ड्रोन के साथ ही दैनिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई है. जिससे वन्यजीव तस्करों पर लगाम लगाई जा सके.

गौर हो कि मानसून सीजन में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्यजीव तस्करों की घुसपैठ को लेकर कॉर्बेट प्रशासन अलर्ट हो गया है. कॉर्बेट प्रशासन ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए ड्रोन के साथ ही 300 दैनिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई है. जो जंगल से लगी सीमाओं की पेट्रोलिंग करेंगे. जिससे वन्यजीव तस्करों पर लगाम लगाई जा सके. बरसात तक चलने वाली पेट्रोलिंग को विभाग ने 'ऑपरेशन मानसून' का नाम दिया है.

वहीं नदी- नाले और घने जंगलों को स्कैन करने के लिए ड्रोन का भी उपयोग किया जाएगा. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल करीब 1288 वर्ग किलोमीटर तक फैला है. बरसात के मौसम में ढिकाला, बिजरानी के अलावा विभिन्न पर्यटन जोनों में पर्यटकों, जिप्सी चालकों और गाइडों की आवाजाही बंद हो जाती है. बारिश के कारण गश्त भी प्रभावित होती है. ऐसे में तस्करों द्वारा जंगली जानवरों के अवैध शिकार का खतरा बना रहता है. जिसे देखते हुए कॉर्बेट प्रशासन ने जुलाई से ही ऑपरेशन मानसून शुरू कर दिया है.

कॉर्बेट प्रशासन की जंगल के चप्पे-चप्पे पर रहेगी पैनी नजर.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में उत्तर- प्रदेश की सीमा अमानगढ़,अफजलगढ़, शेरकोट, धामपुर, नगीना, नजीबाबाद, मंडावली से वन्यजीव तस्करों की घुसपैठ का खतरा बना रहता है. जिसे विभाग द्वारा काफी संवेदनशील माना जाता है. दक्षिणी सीमा पर प्रत्येक 2 किलोमीटर में करीब 40 वन चौकियां हैं. इन चौकियों में वनकर्मियों को तैनात कर चौकसी बढ़ा दी गई है. बारिश होने पर जंगल में सड़क टूट जाती है. जिस कारण वन चौकी में रहने वाले कर्मचारी जंगल से बाहर नहीं आ पाते हैं. इसलिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की वन चौकियों में खाद्य सामग्री के अलावा मेडिकल किट भेज दी गई है.

जंगल के जिन दूरस्थ और ऊंचे वाले इलाकों में वनकर्मी नहीं पहुंच पाते हैं उन जगहों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है. सभी छह रेंजों में एक-एक ड्रोन जंगल में निगरानी रखने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने वन कर्मियों को उपलब्ध कराएं हैं.

Intro:summary- कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगलों और वन्यजीवों को बचाने के लिए कॉर्बेट प्रशासन की पैनी निगाह मानसून सीजन में बनी रहेगी। ऑपरेशन मानसून के नाम से चलने वाला अभियान शिकारियों और घुसपैठियों पर नजर रखेगा।जिसके लिए कॉर्बेट के स्टाफ के अलावा सौ दैनिक श्रमिक भी लगाए गए हैं नदी नाले और घने जंगलों को स्कैन करने के लिए ड्रोन का भी उपयोग किया गया जाएगा

intro- बरसात के मौसम में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में शिकारियों की घुसपैठ को लेकर कॉर्बेट प्रशासन अलर्ट हो गया है कॉर्बेट की निगहबान ई के लिए उसने रणनीति बना ली है।करीब 300 फील्ड कर्मियों को जंगल में पेट्रोलिंग के लिए लगाया गया है बरसात तक चलने वाली पेट्रोलिंग को विभाग ने ऑपरेशन मानसून का नाम दिया है।


Body:vo.- कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 1288 वर्ग किलोमीटर है बरसात के मौसम में ढिकाला वह बिजरानी के अलावा विभिन्न पर्यटन जोनों में पर्यटको एवं जिप्सी चालकों वह गाइडों की आवाजाही बंद हो जाती है। बारिश होने पर गश्त भी प्रभावित रहती है।ऐसे में कॉर्बेट में बाघ गुलदार हाथी पर विभिन्न जानवरों के अवैध शिकार का हमेशा खतरा बना रहता है।इसे देखते हुए कॉर्बेट प्रशासन जुलाई माह से ही ऑपरेशन मानसून शुरू कर दिया है।सीटीआर में उत्तर प्रदेश के अमानगढ़,अफजलगढ़, शेरकोट,धामपुर,नगीना,नजीबाबाद,मंडावली से शिकारियों की घुसपैठ का खतरा बना रहता है।इन इलाकों से ही शिकारी कॉर्बेट में घुसपैठ का प्रयास करते हैं। दक्षिणी सीमा पर प्रत्येक 2 किलोमीटर में करीब 40 वन चौकी हैं इन चौकियों में वनकर्मियों को तैनात कर चौकसी बढ़ा दी गई है सीटीआर की वनचौकियों में भरपूर राशन के अलावा मेडिकल किट भेज दी गई है।बारिश होने पर जंगल में सड़क टूट जाती हैं जिस कारण वन चौकी में रहने वाले कर्मचारी जंगल से बाहर नहीं आ पाते हैं।जंगल के जिन दूरस्थ हुए ऊंचे इलाकों में वनकर्मी नहीं पहुंच पाते हैं उन जगहों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के सभी छः रेंजों में एक-एक ड्रोन जंगल में निगरानी रखने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने वन कर्मियों को उपलब्ध कराएं हैं ऑपरेशन मानसून के लिए सो दैनिक श्रमिक भी लगाए गए हैं अंतर राज्य पेट्रोलिंग व रेंज स्तर पर लंबी दूरी की गश्त भी की जाएगी साथ ही हाथियों से भी जंगल के सघन इलाकों छाना जाएगा तथा नदी नालों को स्कैन किया जाएगा। शिकारियों को दबोचने के लिए एंबुश लगाए गए हैं इसके लिए टीमें बनाई गई हैं। एक टीम में 9 कर्मचारी शामिल रहेंगे।टीम जंगल में संभावित घुसपैठ वाली जगह में छिपकर नजर रखेंगे और शिकारी दिखने पर उनकी घेराबंदी कर उनको पकड़ा जा जायेगा।

byte- राहुल कुमार( निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व)


Conclusion:fvo.- मानसून सत्र में कॉर्बेट ने चलाया जाने वाला अभियान ऑपरेशन मानसून वन्यजीवों और जंगलों की सुरक्षा के लिए अच्छा पार्ट है।इससे बरसात के मौसम में शिकारी और घुसपैठियों के नापाक मंसूबों को नाकाम किया जा सकता है और वन्यजीवों को सुरक्षित रखा जा सकता है। ऑपरेशन मानसून विभाग के लिए कड़ी मशक्कत वाला अभियान हैं।
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