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कांग्रेस ने RTE पर उठाए सवाल, कहा- गरीब बच्चों का हक छीन रही त्रिवेंद्र सरकार

प्रदेश सरकार ने आरटीई के तहत निजी स्कूलों में शिक्षा देने के लिए प्रवेश प्रक्रिया के लिए एक निजी एजेंसी को टेंडर तो दे दिया है, लेकिन गरीब बच्चों को मिलने वाली शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

congress haldwani
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Published : Nov 6, 2020, 4:39 PM IST

हल्द्वानीः कांग्रेस ने राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले में अनियमितताओं पर सवाल उठाए हैं. प्रदेश प्रवक्ता दीपक बलुटिया का कहना है कि प्रदेश सरकार शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों को मिलने वाला शिक्षा से वंचित करने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने आरटीई के तहत निजी स्कूलों में शिक्षा देने के लिए प्रवेश प्रक्रिया के लिए एक निजी एजेंसी को टेंडर तो दे दिया है, लेकिन गरीब बच्चों को मिलने वाली शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

कांग्रेस ने RTE पर उठाए सवाल

दीपक बलुटिया ने कहा कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत गरीब बच्चों के लिए कक्षा 1 में 25% निजी स्कूलों में सीटें आवंटित की जाती है. कक्षा एक में स्कूल के नजदीकी गरीब बच्चों को एडमिशन दिया जाता है. लेकिन एक निजी एजेंसी के माध्यम से इस बार ऑनलाइन एडमिशन की प्रक्रिया की गई है. जिसके तहत नजदीकी स्कूल के बच्चे का एडमिशन ना होकर अन्य ब्लॉक से बच्चों के एडमिशन के लिए आवेदन आ रहे हैं, जो गरीब बच्चों के लिए न्याय संगत नहीं है. ऐसे में सरकार के इस नियम के तहत अधिकतर गरीब बच्चे शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निशुल्क पढ़ने से वंचित हो रहे हैं.

पढ़ेंः इंदिरा हृदयेश ने सीएम की दी नसीहत, कहा- स्थापना दिवस मनाने से ज्यादा विकास पर दें ध्यान

अधिकतर स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा किया जा रहा है, लेकिन आरटीई में बच्चों को अभी तक एडमिशन भी नहीं दिया गया है. दीपक बलुटिया ने आरोप लगाया कि सरकार ने आरटीई के तहत निजी स्कूलों की शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों की फीस स्कूलों को नहीं दी है. जिसके चलते स्कूल प्रबंधन आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश सरकार शिक्षा देने की बड़ी-बड़ी बातें तो कर रही है, लेकिन सरकार की हकीकत जनता के सामने आ चुकी है. ऐसे में सरकार की लापरवाही के चलते गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं.

हल्द्वानीः कांग्रेस ने राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले में अनियमितताओं पर सवाल उठाए हैं. प्रदेश प्रवक्ता दीपक बलुटिया का कहना है कि प्रदेश सरकार शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों को मिलने वाला शिक्षा से वंचित करने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने आरटीई के तहत निजी स्कूलों में शिक्षा देने के लिए प्रवेश प्रक्रिया के लिए एक निजी एजेंसी को टेंडर तो दे दिया है, लेकिन गरीब बच्चों को मिलने वाली शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

कांग्रेस ने RTE पर उठाए सवाल

दीपक बलुटिया ने कहा कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत गरीब बच्चों के लिए कक्षा 1 में 25% निजी स्कूलों में सीटें आवंटित की जाती है. कक्षा एक में स्कूल के नजदीकी गरीब बच्चों को एडमिशन दिया जाता है. लेकिन एक निजी एजेंसी के माध्यम से इस बार ऑनलाइन एडमिशन की प्रक्रिया की गई है. जिसके तहत नजदीकी स्कूल के बच्चे का एडमिशन ना होकर अन्य ब्लॉक से बच्चों के एडमिशन के लिए आवेदन आ रहे हैं, जो गरीब बच्चों के लिए न्याय संगत नहीं है. ऐसे में सरकार के इस नियम के तहत अधिकतर गरीब बच्चे शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निशुल्क पढ़ने से वंचित हो रहे हैं.

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अधिकतर स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा किया जा रहा है, लेकिन आरटीई में बच्चों को अभी तक एडमिशन भी नहीं दिया गया है. दीपक बलुटिया ने आरोप लगाया कि सरकार ने आरटीई के तहत निजी स्कूलों की शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों की फीस स्कूलों को नहीं दी है. जिसके चलते स्कूल प्रबंधन आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश सरकार शिक्षा देने की बड़ी-बड़ी बातें तो कर रही है, लेकिन सरकार की हकीकत जनता के सामने आ चुकी है. ऐसे में सरकार की लापरवाही के चलते गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं.

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