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HC के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन रिटायर, जानिए उनके ऐतिहासिक फैसले

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Published : Jul 27, 2020, 9:59 PM IST

नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन रिटायर हो गए हैं. उन्होंने नैनीताल हाईकोर्ट में 2 नवंबर 2018 को मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण किया था. रंगनाथन ने प्रदेश के कई मामलों में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. जानिए उनके ऐतिहासिक फैसले.

ramesh ranganathan
रमेश रंगनाथन

नैनीतालः हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन आज रिटायर हो गए हैं. रमेश रंगनाथन नैनीताल हाईकोर्ट में 10वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे. उनका कार्यकाल 21 महीने का रहा. इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक मुकदमों पर फैसला सुनाया. उनकी खासियत है कि किसी भी मामले की सुनवाई को 6 महीने के भीतर निस्तारित कर देते थे. जिस वजह से रमेश रंगनाथन काफी लोकप्रिय मुख्य न्यायाधीशों में से एक थे.

बता दें कि, रमेश रंगनाथन ने नैनीताल हाईकोर्ट में 2 नवंबर 2018 को मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण किया था. उनका जन्म 20 जुलाई 1958 को दिल्ली में हुआ था और उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी दिल्ली में हुई. जिसके बाद साल 1977 में स्नातक और 1981 में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद बेंगलुरु विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की.

नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन हुए रिटायर.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में ही बनेगा NIT का स्थाई कैंपस, HC ने पूछा- 4 महीने में तय करें, कहां बनाना है कैंपस

साल 1985 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में वकालत शुरू करने के बाद साल 2000 से 2004 तक अपर महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया. जिसके बाद रमेश रंगनाथन 26 मई 2005 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए. जो साल 2018 से नैनीताल हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त थे.

नैनीताल हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में कई ऐतिहासिक फैसले दिए-

  • उत्तराखंड सरकार के चारधाम देवस्थानम् अधिनियम को सही बताते हुए राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की जनहित याचिका को खारिज किया.
  • विवाहित पुत्री को मृतक आश्रित के पद पर नौकरी का अधिकार.
  • पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास समेत अन्य सुविधाओं का बकाया माफ करने के सरकार के अधिनियम को असंवैधानिक ठहराया.
  • रियायत निशुल्क पढ़ाई करने वाले मेडिकल छात्रों के बांड की शर्त को पूरा करने के लिए बाध्य करने का आदेश.
  • मातृत्व लाभ अधिनियम राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लागू नहीं करने का अहम आदेश.
  • गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में मार्ग के अव्यवस्थाओं पर स्वत संज्ञान लेते हुए सरकार को व्यवस्थाओं में सुधार लाने के आदेश.
  • पंचायती राज अधिनियम में ग्राम प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को शक्ति प्रदान करने के आदेश को सही ठहराया.
  • पंचायती राज अधिनियम तहत एक्ट लागू होने से पहले दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों को त्रिस्तरीय पंचायत पदों के लिए अयोग्य करार देने के प्रावधान को संशोधित किया.
  • बीते दिनों महिला संविदा कर्मियों को साल में 31 दिन का शिशु देखभाल अवकाश देने का अहम फैसला.
  • देहरादून, उधमसिंह नगर और हरिद्वार के अधिवक्ताओं की ओर से सालों से की जा रही हड़ताल को असंवैधानिक ठहराया. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई.
  • हाई कोर्ट राज्य सरकार या विधायिका को किसी भी नीतिगत मामले में कानून बनाने के लिए निर्देश से नहीं कर सकता यह सरकार का अधिकार.

वहीं, रमेश रंगनाथन ने मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उत्तराखंड में एनआईटी के स्थायी कैंपस निर्माण मामले में भी अहम फैसला सुनाया जो उनका उत्तराखंड हाईकोर्ट में अंतिम फैसला था. रिटायर होने से पहले मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं. जिनके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा.

नैनीतालः हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन आज रिटायर हो गए हैं. रमेश रंगनाथन नैनीताल हाईकोर्ट में 10वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे. उनका कार्यकाल 21 महीने का रहा. इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक मुकदमों पर फैसला सुनाया. उनकी खासियत है कि किसी भी मामले की सुनवाई को 6 महीने के भीतर निस्तारित कर देते थे. जिस वजह से रमेश रंगनाथन काफी लोकप्रिय मुख्य न्यायाधीशों में से एक थे.

बता दें कि, रमेश रंगनाथन ने नैनीताल हाईकोर्ट में 2 नवंबर 2018 को मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण किया था. उनका जन्म 20 जुलाई 1958 को दिल्ली में हुआ था और उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी दिल्ली में हुई. जिसके बाद साल 1977 में स्नातक और 1981 में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद बेंगलुरु विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की.

नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन हुए रिटायर.

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साल 1985 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में वकालत शुरू करने के बाद साल 2000 से 2004 तक अपर महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया. जिसके बाद रमेश रंगनाथन 26 मई 2005 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए. जो साल 2018 से नैनीताल हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त थे.

नैनीताल हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में कई ऐतिहासिक फैसले दिए-

  • उत्तराखंड सरकार के चारधाम देवस्थानम् अधिनियम को सही बताते हुए राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की जनहित याचिका को खारिज किया.
  • विवाहित पुत्री को मृतक आश्रित के पद पर नौकरी का अधिकार.
  • पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास समेत अन्य सुविधाओं का बकाया माफ करने के सरकार के अधिनियम को असंवैधानिक ठहराया.
  • रियायत निशुल्क पढ़ाई करने वाले मेडिकल छात्रों के बांड की शर्त को पूरा करने के लिए बाध्य करने का आदेश.
  • मातृत्व लाभ अधिनियम राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लागू नहीं करने का अहम आदेश.
  • गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में मार्ग के अव्यवस्थाओं पर स्वत संज्ञान लेते हुए सरकार को व्यवस्थाओं में सुधार लाने के आदेश.
  • पंचायती राज अधिनियम में ग्राम प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को शक्ति प्रदान करने के आदेश को सही ठहराया.
  • पंचायती राज अधिनियम तहत एक्ट लागू होने से पहले दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों को त्रिस्तरीय पंचायत पदों के लिए अयोग्य करार देने के प्रावधान को संशोधित किया.
  • बीते दिनों महिला संविदा कर्मियों को साल में 31 दिन का शिशु देखभाल अवकाश देने का अहम फैसला.
  • देहरादून, उधमसिंह नगर और हरिद्वार के अधिवक्ताओं की ओर से सालों से की जा रही हड़ताल को असंवैधानिक ठहराया. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई.
  • हाई कोर्ट राज्य सरकार या विधायिका को किसी भी नीतिगत मामले में कानून बनाने के लिए निर्देश से नहीं कर सकता यह सरकार का अधिकार.

वहीं, रमेश रंगनाथन ने मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उत्तराखंड में एनआईटी के स्थायी कैंपस निर्माण मामले में भी अहम फैसला सुनाया जो उनका उत्तराखंड हाईकोर्ट में अंतिम फैसला था. रिटायर होने से पहले मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं. जिनके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा.

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