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चीर बंधन के साथ होली शुरुआत, शुभमूहर्त आज - news Haldwani

चीर बंधन के साथ होली की रंग की शुरुआत आज से शुरु हो गया है. दोपहर 1:15 बजे के बाद से सूर्यास्त तक पूजा और चीर बंधन होगा जबकि, आमलिक व्रत शुक्रवार को रखा जाएगा.

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चीर बंधन के साथ होली की शुरुआत आज से
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Published : Mar 5, 2020, 1:26 PM IST

हल्द्वानी: चीर बंधन के साथ गुरुवार से होली के रंगों की शुरुआत हो जाएगी. ज्योतिष के अनुसार भद्रा रहित मुहूर्त के साथ गुरुवार को ध्वज पूजा ने और चीर बंधन के साथ होली की रंग की शुरुआत हो जाएगी. दोपहर 1:15 बजे के बाद से सूर्यास्त तक पूजा और चीर बंधन होगा जबकि आमलिक व्रत शुक्रवार को मनाया जाएगा. एकादशी 5 मार्च से दोपहर 1:15 बजे से शुरू होकर 6 मार्च सुबह 11:50 बजे तक रहेगी.

चीर बंधन के साथ होली की शुरुआत.
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, गुरुवार दोपहर में एकादशी तिथि लग रही है जो भद्रा रहित है जबकि, आमलकी एकादशी व्रत 6 मार्च को होगा, फागुन माह के शुक्ल पक्ष में पुष्य नक्षत्र पर आने वाली एकादशी को आमलिक एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन आंवले के वृक्ष की और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है कहा जाता है कि इस दिन आंवले की पूजा करने से मनुष्य के लिए बैकुंठधाम के द्वार खुल जाते हैं. उसे साक्षात सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है.

ये भी पढ़ें: गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने पर हरदा ने उठाए सवाल, कहा- कहां है स्थायी राजधानी

शास्त्रों के अनुसार आंवले के पेड़ को पुराणों में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. इस पेड़ में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है. जबकि, आंवले के अध्यक्ष कुशवाहा भगवान विष्णु ने उत्पन्न किया था जो पूजनीय के साथ-साथ औषधि गुण से भी भरपूर माना जाता है.

शास्त्रों के अनुसार आमली एकादशी करने से परिवार में सुख शांति के साथ साथ रोग मुक्त होता है. मनुष्य को शुद्ध भाव से इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए उस दिन आंवला के पूजा करने के साथ-साथ आंवला खाना विशेष लाभदाई और गुणकारी माना जाता है.

हल्द्वानी: चीर बंधन के साथ गुरुवार से होली के रंगों की शुरुआत हो जाएगी. ज्योतिष के अनुसार भद्रा रहित मुहूर्त के साथ गुरुवार को ध्वज पूजा ने और चीर बंधन के साथ होली की रंग की शुरुआत हो जाएगी. दोपहर 1:15 बजे के बाद से सूर्यास्त तक पूजा और चीर बंधन होगा जबकि आमलिक व्रत शुक्रवार को मनाया जाएगा. एकादशी 5 मार्च से दोपहर 1:15 बजे से शुरू होकर 6 मार्च सुबह 11:50 बजे तक रहेगी.

चीर बंधन के साथ होली की शुरुआत.
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, गुरुवार दोपहर में एकादशी तिथि लग रही है जो भद्रा रहित है जबकि, आमलकी एकादशी व्रत 6 मार्च को होगा, फागुन माह के शुक्ल पक्ष में पुष्य नक्षत्र पर आने वाली एकादशी को आमलिक एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन आंवले के वृक्ष की और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है कहा जाता है कि इस दिन आंवले की पूजा करने से मनुष्य के लिए बैकुंठधाम के द्वार खुल जाते हैं. उसे साक्षात सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है.

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शास्त्रों के अनुसार आंवले के पेड़ को पुराणों में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. इस पेड़ में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है. जबकि, आंवले के अध्यक्ष कुशवाहा भगवान विष्णु ने उत्पन्न किया था जो पूजनीय के साथ-साथ औषधि गुण से भी भरपूर माना जाता है.

शास्त्रों के अनुसार आमली एकादशी करने से परिवार में सुख शांति के साथ साथ रोग मुक्त होता है. मनुष्य को शुद्ध भाव से इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए उस दिन आंवला के पूजा करने के साथ-साथ आंवला खाना विशेष लाभदाई और गुणकारी माना जाता है.

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