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स्टिंग मामलाः चिदंबरम के बाद हरदा पर कसा शिकंजा, CBI ने हाई कोर्ट में पेश की जांच रिपोर्ट

उत्तराखंड में विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में सीबीआई ने नैनीताल हाई कोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है. ऐसे में अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ सकती है.

हरदा
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Published : Aug 23, 2019, 1:03 PM IST

Updated : Aug 23, 2019, 1:18 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड के बहुचर्चित विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर कभी भी गाज गिर सकती है. क्योंकि, विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में सीबीआई ने नैनीताल हाई कोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है. ऐसे में अब हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इस मामले में हरीश रावत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पैरवी करने नैनीताल पहुंचेंगे.

आपको बता दें कि 2017 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था. जिसके बाद से उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार गिरी और सरकार गिरने के बाद राज्यपाल की संस्तुति से हरीश रावत पर सीबीआई जांच शुरू हुई.

सीबीआई हरीश रावत की गिरफ्तारी की तैयारी कर रहा था लेकिन इसी बीच हरीश रावत ने स्टिंग को फर्जी बताते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की शरण ली और अपनी गिरफ्तारी पर रोक और सीबीआई जांच को खत्म करने की मांग की थी. मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने हरीश रावत को सीबीआई जांच में सहयोग करने के आदेश दिए थे. साथ ही सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वह हरीश रावत की गिरफ्तारी न करें.

यह भी पढ़ेंः प्रसव मामलाः अस्पताल प्रशासन ने गलती स्वीकारी, SDM ने खंगाले सीसीटीवी फुटेज

इसके अलावा सीबीआई को आदेश दिए थे कि अगर हरीश रावत की गिरफ्तारी करने की जरूरत पड़ेगी तो सीबीआई गिरफ्तारी से पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ को अवगत कराएंगे जिसके बाद से सीबीआई मामले की जांच कर रही थी. साथ ही स्टिंग मामले में 15 जून 2017 की कैबिनेट बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाकर जांच एसआईटी से करने का फैसला लिया था जिसको हरक सिंह रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि अगर राज्यपाल किसी मामले में एक बार सीबीआई जांच की संस्तुति दे देते हैं तो उसे हटाया नहीं जा सकता

लेकिन राज्य सरकार द्वारा 15 जून को हुई बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाने की संस्तुति कर दी जो नियम विरुद्ध है साथ ही हरक सिंह रावत ने हरीश रावत पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. जिसके बाद से मामला सीबीआई के पाले में था और सीबीआई मामले में गहनता से विधायकों की खरीद-फरोख्त पर जांच कर रही थी. अब करीब डेढ़ साल बाद सीबीआई ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है. अब मामले में 20 सितंबर को सुनवाई होगी.

नैनीतालः उत्तराखंड के बहुचर्चित विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर कभी भी गाज गिर सकती है. क्योंकि, विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में सीबीआई ने नैनीताल हाई कोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है. ऐसे में अब हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इस मामले में हरीश रावत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पैरवी करने नैनीताल पहुंचेंगे.

आपको बता दें कि 2017 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था. जिसके बाद से उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार गिरी और सरकार गिरने के बाद राज्यपाल की संस्तुति से हरीश रावत पर सीबीआई जांच शुरू हुई.

सीबीआई हरीश रावत की गिरफ्तारी की तैयारी कर रहा था लेकिन इसी बीच हरीश रावत ने स्टिंग को फर्जी बताते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की शरण ली और अपनी गिरफ्तारी पर रोक और सीबीआई जांच को खत्म करने की मांग की थी. मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने हरीश रावत को सीबीआई जांच में सहयोग करने के आदेश दिए थे. साथ ही सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वह हरीश रावत की गिरफ्तारी न करें.

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इसके अलावा सीबीआई को आदेश दिए थे कि अगर हरीश रावत की गिरफ्तारी करने की जरूरत पड़ेगी तो सीबीआई गिरफ्तारी से पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ को अवगत कराएंगे जिसके बाद से सीबीआई मामले की जांच कर रही थी. साथ ही स्टिंग मामले में 15 जून 2017 की कैबिनेट बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाकर जांच एसआईटी से करने का फैसला लिया था जिसको हरक सिंह रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि अगर राज्यपाल किसी मामले में एक बार सीबीआई जांच की संस्तुति दे देते हैं तो उसे हटाया नहीं जा सकता

लेकिन राज्य सरकार द्वारा 15 जून को हुई बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाने की संस्तुति कर दी जो नियम विरुद्ध है साथ ही हरक सिंह रावत ने हरीश रावत पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. जिसके बाद से मामला सीबीआई के पाले में था और सीबीआई मामले में गहनता से विधायकों की खरीद-फरोख्त पर जांच कर रही थी. अब करीब डेढ़ साल बाद सीबीआई ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है. अब मामले में 20 सितंबर को सुनवाई होगी.

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पी चिदंबरम के गिरफ्तार होने के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर भी सीबीआई की गाज गिर सकती है,

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उत्तराखंड के बहुचर्चित विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर कभी भी गाज गिर सकती है क्योंकि विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में सीबीआई ने नैनीताल हाईकोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है जिससे हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
वहीं अब मामले में हरीश रावत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल पैरवी करने नैनीताल पहुंचेंगे।


Body:आपको बता दें कि 2017 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था जिसके बाद से उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार गिरी और सरकार गिरने के बाद राज्यपाल की संस्तुति से हरीश रावत पर सीबीआई जांच शुरू हुई और सीबीआई हरीश रावत की गिरफ्तारी की तैयारी कर रहा था लेकिन इसी बीच हरीश रावत ने स्टिंग को फर्जी बताते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली और अपनी गिरफ्तारी पर रोक और सीबीआई जांच को खत्म करने की मांग की थी।


Conclusion:मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने
हरीश रावत को सीबीआई जांच में सहयोग करने के आदेश दिए थे साथ ही सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वह हरीश रावत की गिरफ्तारी ना करें साथ ही सीबीआई को आदेश दिए थे कि अगर हरीश रावत की गिरफ्तारी करने की जरूरत पड़ेगी तो सीबीआई गिरफ्तारी से पहले वो हाईकोर्ट की एकल पीठ को अवगत कराएंगे जिसके बाद से सीबीआई मामले की जांच कर रही थी,
साथ ही स्टिंग मामले में 15 जून 2017 की कैबिनेट बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाकर जांच एसआईटी से करने का फैसला लिया था, जिसको हरक सिंह रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि अगर राज्यपाल किसी मामले में एक बार सीबीआई जांच की संस्तुति दे देते हैं तो उसे हटाया नहीं जा सकता लेकिन राज्य सरकार द्वारा 15 जून को हुई बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाने की संस्तुति कर दी जो नियम विरुद्ध है साथ ही हरक सिंह रावत ने हरीश रावत पर एफ आई आर दर्ज करने की मांग की थी।

जिसके बाद से मामला सीबीआई के पाले में था और सीबीआई मामले में गहनता से विधायकों की खरीद-फरोख्त पर जांच कर रही थी, और अब करीब डेढ़ साल बाद सीबीआई ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है, अब मामले में 20 सितंबर को सुनवाई होगी।
Last Updated : Aug 23, 2019, 1:18 PM IST
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