हल्द्वानी: हर साल 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान दिवस के रूप में मनाया जाता है. स्तनपान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान के लिए जागरूक करना और शिशु को मां का दूध सेवन कराना है. मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान माना जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता से लड़ने के लिए सबसे कारगर माना जाता है.
डॉक्टरों की मानें, तो कोरोनाकाल में मां का दूध बच्चों में कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है. शिशु के जन्म से कम से कम 6 महीने तक केवल मां का दूध अवश्य पिलाएं, जिससे बच्चे के शारीरिक विकास में किसी तरह की कोई दिक्कत न हो. मां का दूध पोषक तत्व और बायो एक्टिव निर्माण करने का बहुआयामी मिश्रण है.
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महिला चिकित्सक और डिप्टी सीएमओ रश्मि पंत के मुताबिक स्तनपान के लिए महिलाओं को विशेष तौर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूक करने का काम किया जाता है. यहां तक की नवजात को पहला दूध उसको मां का पिलाया जाता है. मां का दूध पिलाने से जहां बच्चों को कई पोषक तत्व मिलते हैं, वहीं महिलाओं का शरीर भी फिट रहता है. महिलाओं को अपने बच्चों को कम से कम 6 महीने और अधिकतम 2 साल तक स्तनपान कराना चाहिए. जिससे बच्चे को सभी तरह के पोषक तत्व मिल सकें. मां के दूध में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, बायो एक्टिव और रोग प्रतिरोधक तत्वों का एक मिश्रण प्राप्त होता है. जिससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है. इसके अलावा बच्चों में होने वाले मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारियां की संभावनाएं कम होती है.
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डॉ. रश्मि पंत का कहना है कि कई बार महिला में भ्रम होता है कि स्तनपान कराने से उसके सेहत में कोई असर पड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं है. महिला जितना अधिक अपने बच्चों को स्तनपान कराएंगे उतना ही महिलाओं के शरीर हष्ट-पुष्ट रहेगा और महिलाओं में सुंदरता आएगी स्तनपान कराने से महिलाओं के हार्मोन्स भी ठीक रहते हैं.