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उत्तराखंड के वाद्ययंत्रों को बचाने के लिए आगे आए अभिनेता हेमंत पांडे, बॉलीवुड की फिल्मों में दिखेगी थाप - Bollywood actor Hemant Pandey

नैनीताल पहुंचे बॉलीवुड अभिनेता हेमंत पांडे (bollywood actor hemant pandey) ने कहा कि उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्रों को बॉलीवुड की फिल्मों में लाया जाएगा. जिससे पहाड़ के लुप्त हो रहे वाद्य यंत्रों और कारीगरों को जीवंत किया जा सके.

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Published : Oct 18, 2022, 11:26 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड के वाद्ययंत्र की थाप (uttarakhand musical instruments) किसी परिचय की मोहताज नहीं है. अक्सर देवभूमि में इनकी झलक दिख ही जाती है. लेकिन आधुनिकता इन पर भारी पड़ रही है. जब लोक वाद्ययंत्र बचेगा तभी उत्तराखंड की संस्कृति भी बच पाएगी, जिसके लिए अब लोग आगे आने लगे हैं. बॉलीवुड अभिनेता हेमंत पांडे (bollywood actor hemant pandey) ने कहा कि उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्रों को बॉलीवुड की फिल्मों में लाया जाएगा. जिससे पहाड़ के लुप्त हो रहे वाद्य यंत्रों और कारीगरों को जीवंत किया जा सके.

हेमंत पांडे कहा कि लोक वाद्य यंत्र बचेंगे तो ही लोक संस्कृति भी बच पाएगी. रन टु लीव संस्था के तत्वाधान में नगर के मनु महारानी होटल में पत्रकार वार्ता के दौरान हेमंत पांडे (nainital bollywood actor hemant pandey) ने कहा कि पहाड़ में लोक वाद्य यंत्र बनाने वाले व जानने वाले लोगों की यह अंतिम पीढ़ी है. अभिनेता ने कहा कि वाद्य यंत्रों के साथ उनको बनाने वाले भी सीमित रह गए हैं. वह बच पाए तो लोक वाद्य यंत्र भी बच पाएंगे. उन्होंने कहा कि इनको बचाने के लिए सरकार व सांकृतिक विभाग को प्रयास करना होगा. युवा व आने वाली पीढ़ी को इसकी जानकारी व इसकी महत्ता को समझना होगा. साथ ही बड़े बड़े कार्यक्रमों में बाहरी कलाकारों से ज्यादा स्थानीय कला को प्राथमिकता देनी होगी.
पढ़ें-वाद्य यंत्र बिणाई और हुड़का के संरक्षण का काम कर रहे गौरीशंकर कांडपाल

इस दौरान रन टु लिव संस्था (run to live organization) के संस्थापक हरीश तिवारी ने कहा कि लोक वाद्य यंत्र कुछ समय से संग्रहालयों की शोभा बन कर रह गए हैं. उन्होंने बताया कि पहाड़ में लोक वाद्य यंत्र बनाने वाले लोग विलुप्त होते जा रहे हैं. गिने चुने बुजुर्ग लोग ही वाद्य यंत्र बनाने वाले बचे हैं, जो उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं. बताया कि नई पीढ़ी वाद्य यंत्रों की जानकारी से बहुत दूर है. ऐसा ही रहा तो वाद्य यंत्रों की धुन केवल कहानियों में ही सुनाई देगी. हेमंत पांडे ने कहा कि लोक वाद्य यंत्रों का सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाए प्रचार प्रसार करें, ताकि लोगों द्वारा इनकी खरीद की जाए और इनको बनाने वालों को रोजगार मिले. हरीश तिवारी ने कहा कि लोक वाद्य यंत्र बचेंगे तो इनके साथ लोक संगीत, रीति-रिवाज, लोक देवी-देवताओं के प्रति आस्था भी बचेगी.

नैनीताल: उत्तराखंड के वाद्ययंत्र की थाप (uttarakhand musical instruments) किसी परिचय की मोहताज नहीं है. अक्सर देवभूमि में इनकी झलक दिख ही जाती है. लेकिन आधुनिकता इन पर भारी पड़ रही है. जब लोक वाद्ययंत्र बचेगा तभी उत्तराखंड की संस्कृति भी बच पाएगी, जिसके लिए अब लोग आगे आने लगे हैं. बॉलीवुड अभिनेता हेमंत पांडे (bollywood actor hemant pandey) ने कहा कि उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्रों को बॉलीवुड की फिल्मों में लाया जाएगा. जिससे पहाड़ के लुप्त हो रहे वाद्य यंत्रों और कारीगरों को जीवंत किया जा सके.

हेमंत पांडे कहा कि लोक वाद्य यंत्र बचेंगे तो ही लोक संस्कृति भी बच पाएगी. रन टु लीव संस्था के तत्वाधान में नगर के मनु महारानी होटल में पत्रकार वार्ता के दौरान हेमंत पांडे (nainital bollywood actor hemant pandey) ने कहा कि पहाड़ में लोक वाद्य यंत्र बनाने वाले व जानने वाले लोगों की यह अंतिम पीढ़ी है. अभिनेता ने कहा कि वाद्य यंत्रों के साथ उनको बनाने वाले भी सीमित रह गए हैं. वह बच पाए तो लोक वाद्य यंत्र भी बच पाएंगे. उन्होंने कहा कि इनको बचाने के लिए सरकार व सांकृतिक विभाग को प्रयास करना होगा. युवा व आने वाली पीढ़ी को इसकी जानकारी व इसकी महत्ता को समझना होगा. साथ ही बड़े बड़े कार्यक्रमों में बाहरी कलाकारों से ज्यादा स्थानीय कला को प्राथमिकता देनी होगी.
पढ़ें-वाद्य यंत्र बिणाई और हुड़का के संरक्षण का काम कर रहे गौरीशंकर कांडपाल

इस दौरान रन टु लिव संस्था (run to live organization) के संस्थापक हरीश तिवारी ने कहा कि लोक वाद्य यंत्र कुछ समय से संग्रहालयों की शोभा बन कर रह गए हैं. उन्होंने बताया कि पहाड़ में लोक वाद्य यंत्र बनाने वाले लोग विलुप्त होते जा रहे हैं. गिने चुने बुजुर्ग लोग ही वाद्य यंत्र बनाने वाले बचे हैं, जो उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं. बताया कि नई पीढ़ी वाद्य यंत्रों की जानकारी से बहुत दूर है. ऐसा ही रहा तो वाद्य यंत्रों की धुन केवल कहानियों में ही सुनाई देगी. हेमंत पांडे ने कहा कि लोक वाद्य यंत्रों का सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाए प्रचार प्रसार करें, ताकि लोगों द्वारा इनकी खरीद की जाए और इनको बनाने वालों को रोजगार मिले. हरीश तिवारी ने कहा कि लोक वाद्य यंत्र बचेंगे तो इनके साथ लोक संगीत, रीति-रिवाज, लोक देवी-देवताओं के प्रति आस्था भी बचेगी.

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