नैनीताल: कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की बड़ी भूमिका है, लेकिन लॉकडाउन में इस पर ग्रहण लगा है. मसूरी और नैनीताल समेत कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहां हजारों लोगों का रोजगार पर्यटकों पर निर्भर करता है. इनमें से एक हैं नैनी झील की शान कही जाने वाली नौकाएं. नौकायन से कई सौ परिवार का रोजगार जुड़ा हुआ है, लेकिन नौकाएं भी कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के साए में हैं. इस वजह से नौका संचालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
लॉकडाउन के बाद पर्यटकों ने नैनीताल आना बंद कर दिया है. नैनी झील में नावें लंबे समय से जस की तस अपने जगह पर खड़ी हैं. अब खेने वालों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. पर्यटन सीजन के दौरान यह नाविक करीब एक लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार करते थे, जिससे इनके परिवार का भरण-पोषण होता था. लॉकडाउन में ये कारोबार पूरी तरह चौपट हो चुका है.
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नाविक के सामने इस समय सबसे बड़ी समस्या ये है कि लॉकडाउन की वजह से नावों की रिपेयरिंग भी नहीं हो रही है. इससे अब ये नावें पूरी तरह टूटने की कगार पर जा पहुंची हैं.
नाव चालक संघ के अध्यक्ष राम सिंह बिष्ट के मुताबिक साल में दो बार नावों की मरम्मत की जाती है. ताकि नौका विहार के दौरान पर्यटक सुरक्षित रह सकें. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते इन नावों की मरम्मत नहीं हो पाई है. कुछ नावें तो ऐसी भी हैं जो मरम्मत के अभाव में टूटने लगी हैं. इससे इन नाव मालिकों को काफी नुकसान हो रहा है.
नाव चालक सरकार से नाव की मरम्मत के लिए मदद मांग रहे हैं. एक नाव की मरम्मत में करीब पांच से आठ हजार रुपए का खर्च आता है. इस बार सीजन में उनका रोजगार पूरी तरह चौपट हो गया, इसीलिए उनके पास नावों की मरम्मत कराने के लिए भी पैसा नहीं है.