रामनगरः आज प्रगतिशील भोजन माता संगठन द्वारा रामनगर खंड शिक्षा कार्यालय में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया. इसदौरान भोजन माता की अध्यक्ष शीला शर्मा ने कहा कि भोजन माता हमेशा से ही मानसिक तनाव में रहीं हैं, जिसके जिम्मेदार शासन-प्रशासन है. भोजन माताएं 18-19 सालों से स्कूलों में खाना बनाने के अलावा अन्य काम भी बड़ी मेहनत के साथ करती आई हैं. वहीं, स्कूल के छोटे-बड़े कामों में पूरा सहयोग करती रही हैं.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शुरुआती समय में उन्हें मात्र 250 रुपये मिलता था, लेकिन इतने सालों बाद भी मात्र 2000 रुपए का मानदेय मिल रहा है. सरकार उन्हें स्थाई करने के स्थान पर हमेशा विद्यालय से निकालने की तैयारी करती रही है. जो भी जिओ सरकार द्वारा हमारे लिए तैयार किया जाता है, उसमें विद्यालय से पृथक करने के अलावा कुछ नया नहीं मिलता है. जबकि, सरकार जानती है कि हम सबसे कमजोर तबके से आती हैं. कई भोजन माताओं पर अपने परिवार की पूर्ण जिम्मेदारी है. इतने कम मानदेव में घर चलाना कितना मुश्किल है हर आम आदमी हर व्यक्ति समझ सकता है.
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उन्होंने कहा कि सरकार और राज्य सरकार से हमें हजार-हजार रुपए का मानदेय मिलता है. जबकि, कई राज्यों में भोजन माताओं को मिलने वाला मानदेय कई गुना ज्यादा है, जिसमें पुद्दुचेरी, तमिलनाडु, केरल, लक्ष्यद्वीप आदि हैं. वहीं, भोजन माताएं एक कुशल मजदूर की श्रेणी में आती हैं. उनका मानदेय कुशल मजदूर के बराबर होना चाहिए. इसके साथ ही प्रगतिशील भोजन माता संगठन ने मांग की है कि अगर यह मानदेय जिओ रद्द नहीं किया गया, तो यूनियन आंदोलन करने को मजबूर होगी. जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी.