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भोजन माताओं ने शिक्षा विभाग के खिलाफ किया प्रदर्शन, शोषण का लगाया आरोप - भोजन माताओं का प्रदर्शन

हल्द्वानी और काशीपुर में सरकारी स्कूलों की भोजन माताओं ने सरकार और शिक्षा विभाग पर उत्पीड़न और शोषण का आरोप लगाया हैं. प्रगतिशील भोजन माताओं ने श्रम सचिव को शिकायती पत्र भी भेजा हैं.

bhojan mata
प्रदर्शन
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Published : Oct 29, 2020, 5:13 PM IST

हल्द्वानी/काशीपुर: सरकारी स्कूलों की भोजन माताओं ने सरकार और शिक्षा विभाग पर उत्पीड़न और शोषण का आरोप लगाया हैं. प्रगतिशील भोजन माता संगठन उत्तराखंड नैनीताल इकाई ने हल्द्वानी लालकुआं में सरकार और विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही श्रम सचिव को शिकायती पत्र भी भेजा हैं. वहीं, काशीपुर में भी प्रगतिशील भोजन माता संगठन के बैनर तले भोजन माताओं ने अपनी मांगों को लेकर उप जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया.

संगठन के बैनर तले भोजन माताओं ने प्रदर्शन करते हुए कहा है कि उन्हें दो हजार रुपये मानदेय में स्कूलों में खाना बनाने के लिए रखा गया था. लेकिन शिक्षा विभाग भोजन माताओं से मनमाने काम करवा रहा है.

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भोजन माताओं का शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन.

भोजन माता संगठन की ब्लॉक प्रमुख सरस्वती देवी ने कहा कि भोजन माताओं से विद्यालय में खाना बनाने के अलावा कमरों की साफ-सफाई, झाड़ू लगाना, फुलवारी का काम करना इस तरह के सारे काम कराए जाते हैं. वेतन के नाम पर मात्र 2,000 रुपये दिया जाता है. जबकि उत्तराखंड सरकार न्यूनतम वेतन 341 रुपये कुछ पैसा घोषित करती है. उसके बावजूद भी उनके साथ विभाग द्वारा काम करा कर उनके वाजिब दाम नहीं दिए जा रहे हैं और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.

पढ़ें: रामनगर: 1 नवंबर से वन विभाग फिर कराएगा बाघों का एस्टीमेशन

भोजन माताओं का कहना है कि इतनी महंगाई में मात्र 2,000 रुपये में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि श्रम विभाग के नियमों के अनुसार उनको वेतन दिया जाए. इसको लेकर उन्होंने श्रम सचिव को ज्ञापन भेजा है.

काशीपुर में भोजन माताओं ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. भोजन माताओं को न्यूनतम 18,000 रुपये मासिक वेतन दिए जाने, क्‍वारंटाइन सेंटर में कार्यरत भोजन माताओं को अतिरिक्त सहयोग राशि और जीवन बीमा किए जाने, किसी भी भोजन माता को विद्यालय से न निकालने, अक्षय पात्र फाउंडेशन के बनाए खाने पर रोक लगाने, स्कूलों में गैस की सुविधा उपलब्ध कराने, ईएसआई, पीएफ, पेंशन, प्रसूति अवकाश जैसी सुविधाएं भोजन माताओं को प्रदान करने की मांग की है. इस दौरान भोजन माताओं ने उनकी समस्याओं का जल्द ही निदान करने की सरकार से मांग की और अगर ऐसा नहीं होती है तो उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावानी दी है.

हल्द्वानी/काशीपुर: सरकारी स्कूलों की भोजन माताओं ने सरकार और शिक्षा विभाग पर उत्पीड़न और शोषण का आरोप लगाया हैं. प्रगतिशील भोजन माता संगठन उत्तराखंड नैनीताल इकाई ने हल्द्वानी लालकुआं में सरकार और विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही श्रम सचिव को शिकायती पत्र भी भेजा हैं. वहीं, काशीपुर में भी प्रगतिशील भोजन माता संगठन के बैनर तले भोजन माताओं ने अपनी मांगों को लेकर उप जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया.

संगठन के बैनर तले भोजन माताओं ने प्रदर्शन करते हुए कहा है कि उन्हें दो हजार रुपये मानदेय में स्कूलों में खाना बनाने के लिए रखा गया था. लेकिन शिक्षा विभाग भोजन माताओं से मनमाने काम करवा रहा है.

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भोजन माताओं का शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन.

भोजन माता संगठन की ब्लॉक प्रमुख सरस्वती देवी ने कहा कि भोजन माताओं से विद्यालय में खाना बनाने के अलावा कमरों की साफ-सफाई, झाड़ू लगाना, फुलवारी का काम करना इस तरह के सारे काम कराए जाते हैं. वेतन के नाम पर मात्र 2,000 रुपये दिया जाता है. जबकि उत्तराखंड सरकार न्यूनतम वेतन 341 रुपये कुछ पैसा घोषित करती है. उसके बावजूद भी उनके साथ विभाग द्वारा काम करा कर उनके वाजिब दाम नहीं दिए जा रहे हैं और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.

पढ़ें: रामनगर: 1 नवंबर से वन विभाग फिर कराएगा बाघों का एस्टीमेशन

भोजन माताओं का कहना है कि इतनी महंगाई में मात्र 2,000 रुपये में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि श्रम विभाग के नियमों के अनुसार उनको वेतन दिया जाए. इसको लेकर उन्होंने श्रम सचिव को ज्ञापन भेजा है.

काशीपुर में भोजन माताओं ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. भोजन माताओं को न्यूनतम 18,000 रुपये मासिक वेतन दिए जाने, क्‍वारंटाइन सेंटर में कार्यरत भोजन माताओं को अतिरिक्त सहयोग राशि और जीवन बीमा किए जाने, किसी भी भोजन माता को विद्यालय से न निकालने, अक्षय पात्र फाउंडेशन के बनाए खाने पर रोक लगाने, स्कूलों में गैस की सुविधा उपलब्ध कराने, ईएसआई, पीएफ, पेंशन, प्रसूति अवकाश जैसी सुविधाएं भोजन माताओं को प्रदान करने की मांग की है. इस दौरान भोजन माताओं ने उनकी समस्याओं का जल्द ही निदान करने की सरकार से मांग की और अगर ऐसा नहीं होती है तो उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावानी दी है.

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