हल्द्वानी: कुमाऊं मंडल में जगह-जगह बैठकी होली का आयोजन किया जा रहा है. बैठकी होली की यह अनोखी परंपरा कुमाऊं में सदियों से चली आ रही है. पौष माह के पहले रविवार के साथ ही कुमाऊं की धरती पर होली की शुरूआत हो जाती है. इस अनूठी परंपरा में होली तीन चरणों में मनाई जाती है. वहीं, हल्द्वानी और नैनीताल में बैठकी होली की धूम देखी जा रही है. इस दौरान हारमोनियम, ढोलक की थाप पर होल्यारों ने जमकर ठुमके लगाए. हल्द्वानी के मुखानी और जगदम्बा नगर क्षेत्र में लोगों ने होली गायन का जमकर लुत्फ उठाया.
बता दें कि, बृज के बाद कुमाऊं अंचल में ही होली बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. पौष के पहले रविवार से शुरू होने वाली होली इन दिनों चरम पर है. जगह-जगह बैठकी होली का दौर चल रहा है. वहीं महाशिवरात्रि के बाद से जगह-जगह बैठकी होली गायन का दौर भी शुरू हो गया है. होल्यार जगह-जगह जाकर होली की महफिल जमा रहे हैं. वहीं महिला होली गायन भी शहर में जगह-जगह देखने को मिल रहा है. महिलाएं होली गीतों के नृत्य के साथ ही स्वांग भी रच रही हैं.
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इस दौरान लोगों द्वारा उत्तराखंड की लोक कला और संस्कृति को बढ़ाने के लिए युवाओं को आगे आने की अपील की.जिससे युवा अपनी संस्कृति को संजोए रखें. कार्यक्रम में होल्यार होली के परंपरागत और शास्त्रीय गीतों को पूरे राग में गाते दिखाई दिए. बता दें कि कुमाऊं में बैठकी होली का इतिहास काफी समृद्ध रहा है. होली गायकी की शुरूआत 16वीं सदी में चंद वंशीय राजा कल्याण चंन्द के शासनकाल से मानी जाती है. कुमाऊं अंचल में होली का उत्सव काफी समय तक चलता है. शिवरात्रि के बाद होली की बैठकें अधिक जमने लगती हैं और एकादशी के दिन रंग की शुरुआत होते ही होली पूरे रंग में आ जाती है. वहीं प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में खड़ी होली का प्रचलन अधिक है, जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं.