हल्द्वानी: खुशहाली और समृद्धि का पर्व बैसाखी 14 अप्रैल को माना जाता है. हिंदू धर्म में विषुवत संक्रांति का विशेष महत्व है. इस बार विषुवत संक्रांति पर्व 14 अप्रैल को मनाई जाएगी. इसी दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिसके चलते इसे मेष या विषुवत संक्रांति के तौर पर भी मनाया जाता है. इसका नाम वैशाखी इस कारण से पड़ा, क्योंकि इस दिन सूर्य विशाखा नक्षत्र में प्रवेश करते है.
गंगा स्नान और जप-तप का खास महत्व: विषुवत संक्रांति वाले दिन गंगा, गोदावरी और कावेरी जैसी धार्मिक महत्व रखने वाली नदियों में स्नान और दान-पुण्य करने का भी बड़ा महत्व है.ज्योतिष के अनुसार सूर्य का आगमन 14 अप्रैल को सुबह 8.10 मिनट पर हो रहा है. इसलिए सूर्योदय से लेकर 2.34 मिनट तक संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा. जिसमें स्नान दान किया जा सकता है. भारतीय परंपराओं के अनुसार संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान के साथ जप-तप और ध्यान करने का महत्व है.मान्यता है कि बैसाखी के दिन गंगा में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है.
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ऐसे करें दान पुण्य: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस दिन सूर्य देव 12 राशियों को पूर्ण करके पुनः मेष राशि में प्रवेश करते हैं. जिससे कई राशियों के लिए (अपैट) चंद्र बल ठीक नहीं माना जाता है. इसी प्रकार विषुवत संक्रांति के आधार पर सौर वर्ष के अनुसार भी कई राशियों के लिए वर्ष ठीक नहीं होता है. उसे विषुवत संक्रांति बांये पैर जाना कहते हैं. हर साल 27 नक्षत्रों में से 3 नक्षत्रों की स्थिति बाएं पैर में होती है. इसी क्रम में इस बार जिन तीन नक्षत्रों की स्थिति बाएं पैर में है वह धनिष्ठा,शतभिषा नक्षत्र,पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र हैं. अतः इन राशियों के जातकों को विषुवत संक्रांति 14 अप्रैल को चांदी के बाएं पैर बनाकर चावल, दही के अलावा सफेद वस्तु दान करना चाहिए. जिससे वर्ष भर में होने वाले रोगों से मुक्ति मिलती है.