हल्द्वानी: हिन्दू धर्म में तीज त्योहारों का खास महत्व (Importance of Makar Sankranti festival) हैं, जिसे हिन्दू बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) हिंदू धर्म और माघ महीने का प्रमुख त्योहार है. इस दिन स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि का विशेष महत्व होता है. मकर संक्रांति को देशभर में अलग-अलग नामों के साथ मनाया जाता है. उत्तराखंड में जहां उत्तरायणी त्योहार के रूप में मनाया जाता है तो वहीं उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, दक्षिण में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का त्योहार धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक नजरिए से भी खास होता है.
जानिए शुभ मुहूर्त: हिंदू धर्म में जहां पर सभी त्योहारों की गणना चंद्रमा की गणना पर तिथियों के अनुसार मनाये जाते हैं, वहीं मकर संक्रांति (Makar Sankranti festival) का त्योहार सूर्य पर आधारित पंचांग की गणना के आधार पर मनाया (Makar Sankranti auspicious time) जाता है. सूर्य जिस दिन धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है. हर वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 45 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेगा. उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है. ऐसे में मकर संक्रांति इस साल 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी.
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स्नान का पुण्य काल: 15 जनवरी 2023 को सुबह 4 बजकर 17 मिनट से शाम 5 बजकर 55 मिनट तक है. जबकि महा पुण्य काल 15 जनवरी को सुबह 7 बजकर 17 मिनट से सुबह 9 बजकर 04 मिनट तक रहेगा. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक मकर संक्रांति पर उत्तराखंड में खिचड़ी संक्रांत, घुघुतिया त्योहार आदि नाम से मनाया जाता है. इस दिन सूर्य उत्तरायण दिशा में प्रवेश करते हैं. इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत संस्कार जैसे मांगलिक व शुभ कार्य पुनः शुरू हो जाते हैं. मकर संक्रांति के दिन खासकर स्नान, दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन नदियों में स्नान करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
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मान्यता है कि इसी दिन सूर्य उत्तरायण यानी उत्तर दिशा की ओर आने के कारण मकर संक्रांति के पर्व को उत्तरायण पर्व के नाम से भी जाना जाता है. उत्तरायण को शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है. जब सूर्य उत्तरायण होता है तो दिन बड़ा होने लगता है और रात छोटी होने लगती है. कहा जाता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने बाणों की शैय्या पर लेटकर उत्तरायण का इंतजार किया था और मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होने के बाद ही अपने प्राणों को त्यागा था.
कैसे करें उपासना: मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें. अगर आप गंगा स्नान कर लें, तो बेहतर है. लेकिन किसी कारणवश गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें, स्नान करने के बाद भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करनी चाहिए. इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, थोड़ा तिल, सिंदूर, अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर अर्घ्य दें. इस दिन अन्न, तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल, चावल, उड़द आदि का दान करें. ऐसा करने से सूर्य के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होंगे.
पूर्व संध्या पर मनाया जाता है घुघुतिया पर्व: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक पर्वों में से एक है घुघुतिया पर्व. घुघुतिया त्योहार कुमाऊं क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है. मकर संक्रांति पर इस पर्व की खासी मान्यता है. इसके लिए लोग मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर घुघुतिया के पकवान बनाते हैं. मकर संक्रांति और उत्तरायणी के इस पावन पर्व पर लोग घरों में घुघुतिया बनाकर इस त्योहार की तैयारियों में जुटे हैं. पूरे कुमाऊं मंडल में इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. त्योहार से एक दिन पहले महिलाएं, बच्चे, बड़े-बुजुर्ग घरों में घुघुते बनाते हैं. घुघुते बनाने के लिए आटा, तेल, सूजी, दूध, घी और गुड़ के पानी से आटा बनाकर उसके घुघते बनाए जाते हैं.