हल्द्वानी: हिंदू मान्यता के अनुसार साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. जबकि वर्ष में दो गुप्त नवरात्रि पड़ती है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने के साथ ही व्रत रखने का विधान है.
110 साल बाद दुर्लभ संयोग: शक्ति की आराधना का महापर्व नवरात्रि का हिंदू समाज में बहुत बड़ा महत्व है. चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होंगी और 30 मार्च को रामनवमी के दिन समाप्त होगी. साथ ही इस बार चैत्र नवरात्रि पर 110 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है. मां दुर्गा इस बार नौका पर सवार होकर आएगी, जबकि हाथी पर सवार होकर जाएंगी.
जानिए पर्व का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में पूजा करने और व्रत रखने का विधान है. नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के दिनों नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाने के साथ कलश स्थापना करने और विधि विधान से मां भगवती की आराधना करने से सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात में 11 बजकर 4 मिनट पर लग जाएगी इसलिए 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होगी.
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ऐसे करें मां की उपासना: पंचांग के अनुसार प्रथम दिन 22 मार्च बुधवार को मां शैलपुत्री की पूजा, घटस्थापना, 23 मार्च गुरुवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा,24 मार्च शुक्रवार को मां चंद्रघंटा की पूजा, 25 शनिवार को मां कूष्मांडा की पूजा, 26 मार्च रविवार को मां स्कंदमाता की पूजा, 27 मार्च सोमवार- मां कात्यायनी की पूजा, 28 मार्च मंगलवार को मां कालरात्रि की पूजा,29 मार्च बुधवार को मां महागौरी की पूजा, 30 मार्च, गुरुवार को मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ रामनवमी मनाई जाएगी.
नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान घर और पूजा स्थल को गंगाजल डालकर साफ करें. मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध कर लें माता रानी की प्रतिमा और कलश स्थापित करें. व्रत का संकल्प करते लेते हुए मां को अक्षत, सिंदूर, चुन्नी, सिंगार, लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए. साथ ही फल और मिठाई माता को चढ़ाएं मां दुर्गा का पाठ करें अंत में माता की आरती और हवन करें, जिससे सारे मनोरथ पूरे होंगे.