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Sheetala Ashtami 2023: 15 मार्च को है शीतला अष्टमी का व्रत, ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि - शीतला अष्टमी

इस बार शीतला अष्टमी 15 मार्च को मनायी जाएगी. पर्व में शीतला माता की पूजा के लिए शुभ योग बन रहा है. शुभ मुहूर्त में पूजा कर आप शीतला माता का आशीर्वाद ले सकते हैं. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति माता शीतला की उपासना करता है वह हमेशा निरोगी रहता है.

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Published : Mar 11, 2023, 9:26 AM IST

शीतला अष्टमी का व्रत

हल्द्वानी: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है. इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन माता शीतला की आराधना करने से आरोग्य का वरदान मिलता है. शीतला माता की उपासना से गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है.

पर्व की पौराणिक मान्यता: मान्यता है कि इस दिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इसलिए इसे बासोड़ा पर्व भी कहते हैं. शीतला माता को भोग लगाए बासी और ठंडे भोजन के प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से सभी तरह की बीमारियों से मुक्ति भी मिलती है, ऐसी मान्यता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक शीतला सप्तमी तिथि 14 मार्च 2023 को रात्रि 8.22 बजे समाप्त होगी. इसके बाद शीतला अष्टमी आरंभ होगी, जो अगले दिन यानी 15 मार्च 2023 को सायं 6.45 बजे तक रहेगी. शीतला अष्टमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 15 मार्च सुबह 6 बजकर 20 मिनट से शाम 6 बजकर 35 मिनट तक बन रहा है.
पढ़ें-Chardham Yatra के रजिस्ट्रेशन के लिए न हों परेशान, ऐसे करें बुकिंग, पुलिस देगी हर अपडेट

परिवार की सुख शांति के लिए व्रत: शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला के स्वरूप को कल्याणकारी माना जाता है. माता गर्दभ में विराजमान होती हैं. उनके हाथों में झाड़ू, कलश, सूप और नीम की पत्तियां होती हैं. शीतलाष्टमी के व्रत से परिवार की सुख शांति के साथ सभी तरह की गंभीर बीमारियों के अलावा बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग आदि समस्याओं का नाश होता है. इस व्रत के करने से शीतला देवी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

कैसे करें उपासना: अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ सफाई और निवृत्त होकर स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें और माता शीतला के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद मां शीतला को फूल, माला, सिंदूर, सोलह श्रृंगार सामग्री अर्पित करने के साथ घर में बने शुद्ध बासी ठंडे भोजन का भोग लगाएं. इसके बाद जल अर्पित करें. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर शीतला स्तोत्र का पाठ करें. सभी कष्ट दूर होंगे. ज्योतिष के अनुसार स्‍कंद पुराण में शीतला माता के स्वरूप का वर्णन किया गया है. ऐसी मान्‍यता है कि मां शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. इसके पीछे ऐसा संदेश दिया जाता है कि अब गर्मी का सीजन आ रहा है. पूरे गर्मियों के मौसम में ताजा खाने का ही प्रयोग करें, जिससे कि किसी तरह का कोई बीमारी ना उत्पन्न हो.

शीतला अष्टमी का व्रत

हल्द्वानी: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है. इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन माता शीतला की आराधना करने से आरोग्य का वरदान मिलता है. शीतला माता की उपासना से गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है.

पर्व की पौराणिक मान्यता: मान्यता है कि इस दिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इसलिए इसे बासोड़ा पर्व भी कहते हैं. शीतला माता को भोग लगाए बासी और ठंडे भोजन के प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से सभी तरह की बीमारियों से मुक्ति भी मिलती है, ऐसी मान्यता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक शीतला सप्तमी तिथि 14 मार्च 2023 को रात्रि 8.22 बजे समाप्त होगी. इसके बाद शीतला अष्टमी आरंभ होगी, जो अगले दिन यानी 15 मार्च 2023 को सायं 6.45 बजे तक रहेगी. शीतला अष्टमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 15 मार्च सुबह 6 बजकर 20 मिनट से शाम 6 बजकर 35 मिनट तक बन रहा है.
पढ़ें-Chardham Yatra के रजिस्ट्रेशन के लिए न हों परेशान, ऐसे करें बुकिंग, पुलिस देगी हर अपडेट

परिवार की सुख शांति के लिए व्रत: शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला के स्वरूप को कल्याणकारी माना जाता है. माता गर्दभ में विराजमान होती हैं. उनके हाथों में झाड़ू, कलश, सूप और नीम की पत्तियां होती हैं. शीतलाष्टमी के व्रत से परिवार की सुख शांति के साथ सभी तरह की गंभीर बीमारियों के अलावा बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग आदि समस्याओं का नाश होता है. इस व्रत के करने से शीतला देवी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

कैसे करें उपासना: अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ सफाई और निवृत्त होकर स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें और माता शीतला के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद मां शीतला को फूल, माला, सिंदूर, सोलह श्रृंगार सामग्री अर्पित करने के साथ घर में बने शुद्ध बासी ठंडे भोजन का भोग लगाएं. इसके बाद जल अर्पित करें. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर शीतला स्तोत्र का पाठ करें. सभी कष्ट दूर होंगे. ज्योतिष के अनुसार स्‍कंद पुराण में शीतला माता के स्वरूप का वर्णन किया गया है. ऐसी मान्‍यता है कि मां शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. इसके पीछे ऐसा संदेश दिया जाता है कि अब गर्मी का सीजन आ रहा है. पूरे गर्मियों के मौसम में ताजा खाने का ही प्रयोग करें, जिससे कि किसी तरह का कोई बीमारी ना उत्पन्न हो.

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