हल्द्वानी: माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (मौनी अमावस्या) 21 जनवरी शनिवार को मनाई जाएगी. माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है. मौनी अमावस्या पर मौन रहकर पवित्र नदियों जलकुंड में स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर दान-स्नान करने से इंसान के सारे पाप मिट जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
जानिए शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक मौनी अमावस्या 21 जनवरी को सुबह 6 बजकर 16 मिनट से लेकर अगले दिन रविवार, 22 जनवरी को रात 02 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के कारण मौनी अमावस्या 21 जनवरी को ही मनाई जाएगी. इस दिन सुबह 4:00 बजे से लेकर सूर्यास्त तक स्नान और दान-धर्म से जुड़े कार्य करने का शुभ मुहूर्त है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद गरीब और जरूरतमंद लोगों को ठंड से बचने के लिए कम्बल, गुड़ और तिल का दान कर सकते हैं, जिससे सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी.
पढ़ेंःPM Modi Muslim Statement: संतों ने किया मुस्लिम ब्रदरहुड का स्वागत, PFI को बताया बवाल की जड़
मौनी अमावस्या को लेकर मान्यता: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इससे तर्पण करने वालों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन नदी के घाट पर जाकर पितरों का तर्पण और दान करने से कुंडली के दोषों से मुक्ति पाई जाती है. इस दिन मौन व्रत रखने से वाक सिद्धि की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का विशेष महत्व होता है.
पढ़ेंःचौखुटिया में महिला पतंजलि का महासम्मेलन, बाबा रामदेव बोले- एक लाख साधकों का शहर बसाएंगे
क्या कहता है ज्योतिष: ज्योतिष के अनुसार इस बार शनिवार के दिन मौनी अमावस्या के पड़ने से इस बार शनि का शुभ संयोग बन रहा है. ऐसे में इस बार मौनी अमावस्या के दिन शनि देव की विधिवत पूजा करने से कई तरह के शुभ परिणामों की प्राप्ति होगी. शनि की साढ़े साती, ढैय्या या अन्य जन्मजात शनि दोषों की निवृत्ति होगी. इसलिए इस शनिवारी अमावस्या पर दान करने से अधिक लाभ होगा. इस बार मौनी अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है. ऐसे में शनिवार के दिन शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाएं और शनि चालीसा का पाठ करें.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में भगवान विष्णु स्नान करने आते हैं. इसलिए इस दिन हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा और नासिक में गोदावरी में स्नान करने से अमृत की बूंदों का स्पर्श प्राप्त होता है.