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गीता जयंती पर जानें शुभ मुहूर्त और इस तिथि का विशेष महत्व, ऐसे करें उपासना

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Published : Dec 2, 2022, 1:29 PM IST

Updated : Dec 3, 2022, 6:37 AM IST

ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Dr Naveen Chandra Joshi) के मुताबिक गीता जयंती (Geeta Jayanti Muhurta) मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन है, जो इस पर्व पर पूरे दिन रवि योग में सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए गीता के उपदेश हमेशा-हमेशा के लिए प्रासंगिक हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए उपदेश जीवन को जीने की कला, प्रबंधन, जीवन का मर्म, कर्म आदि हैं. गीता जयंती के मौके पर श्रीकृष्ण के उपदेशों को आप आत्मसात कर सकते हैं.

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हल्द्वानी: हिंदू धर्म में कई पुराण, वेद और ग्रंथ हैं. लेकिन श्रीमद्भागवत गीता को 18 महापुराणों में महत्वपूर्ण माना गया है. इसलिए कहा जाता है कि जो व्यक्ति गीता का पाठ करता है, उसे जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी गीता जयंती (Geeta Jayanti 2022) मनाई जाती है. जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए गीता के उपदेश हमेशा-हमेशा के लिए प्रासंगिक हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए उपदेश जीवन को जीने की कला, प्रबंधन, जीवन का मर्म, कर्म आदि हैं. गीता जयंती आज पड़ रही है और आप श्रीकृष्ण के उपदेशों को आत्मसात कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Dr Naveen Chandra Joshi) के मुताबिक गीता जयंती (Geeta Jayanti Muhurta) मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन है, जो इस पर्व पर पूरे दिन रवि योग में सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. गीता जयंती शनिवार 3 दिसंबर 2022 यानी आज पड़ेगी, सुबह 5:39 से एकादशी तिथि प्रारंभ होगी जिसका समापन रविवार 4 दिसंबर सुबह 05:34 पर होगा.

गीता जयंती पर ऐसे करें उपासना
पढ़ें-तुंगनाथ धाम के कपाट बंद, फिर भी पर्यटकों का जमावड़ा, सेंचुरी एरिया में अतिक्रमण

मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान दिया था. इस एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा और भागवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करना चाहिए. श्रीमद्भागवत गीता में ही इस बात का जिक्र है कि इस परम ज्ञान को दूसरो तक पहुंचाना चाहिए ऐसा करने से पुण्य मिलता है. इस दिन गीता ग्रंथ का दान महादानों में एक है, ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.
पढ़ें-भगवान मद्महेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान, मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

ऐसे करें गीता जयंती पर पूजा पाठ: गीता जयंती के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद पूजा के स्थान को साफ करें. इसके बाद चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा और श्रीमद्भागवत गीता रखें. इसके बाद भगवान कृष्ण और श्रीमद् भागवत गीता को जल, अक्षत, पीले पुष्प, धूप-दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें. इसके बाद गीता का पाठ जरूर करें.

हल्द्वानी: हिंदू धर्म में कई पुराण, वेद और ग्रंथ हैं. लेकिन श्रीमद्भागवत गीता को 18 महापुराणों में महत्वपूर्ण माना गया है. इसलिए कहा जाता है कि जो व्यक्ति गीता का पाठ करता है, उसे जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी गीता जयंती (Geeta Jayanti 2022) मनाई जाती है. जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए गीता के उपदेश हमेशा-हमेशा के लिए प्रासंगिक हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए उपदेश जीवन को जीने की कला, प्रबंधन, जीवन का मर्म, कर्म आदि हैं. गीता जयंती आज पड़ रही है और आप श्रीकृष्ण के उपदेशों को आत्मसात कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Dr Naveen Chandra Joshi) के मुताबिक गीता जयंती (Geeta Jayanti Muhurta) मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन है, जो इस पर्व पर पूरे दिन रवि योग में सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. गीता जयंती शनिवार 3 दिसंबर 2022 यानी आज पड़ेगी, सुबह 5:39 से एकादशी तिथि प्रारंभ होगी जिसका समापन रविवार 4 दिसंबर सुबह 05:34 पर होगा.

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मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान दिया था. इस एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा और भागवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करना चाहिए. श्रीमद्भागवत गीता में ही इस बात का जिक्र है कि इस परम ज्ञान को दूसरो तक पहुंचाना चाहिए ऐसा करने से पुण्य मिलता है. इस दिन गीता ग्रंथ का दान महादानों में एक है, ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.
पढ़ें-भगवान मद्महेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान, मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

ऐसे करें गीता जयंती पर पूजा पाठ: गीता जयंती के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद पूजा के स्थान को साफ करें. इसके बाद चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा और श्रीमद्भागवत गीता रखें. इसके बाद भगवान कृष्ण और श्रीमद् भागवत गीता को जल, अक्षत, पीले पुष्प, धूप-दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें. इसके बाद गीता का पाठ जरूर करें.

Last Updated : Dec 3, 2022, 6:37 AM IST
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