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अनुपमा गुलाटी हत्याकांड: राजेश गुलाटी की जमानत अर्जी खारिज

अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के आरोपी राजेश गुलाटी की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

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बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के आरोपी की जमानत याचिका खारिज
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Published : Jul 27, 2021, 8:13 PM IST

नैनीताल: देहरादून के बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के आरोपी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. अनुपमा गुलाटी हत्याकांड मामले में आजीवन सजा काट रहे राजेश गुलाटी की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अपने आप मे एक जघन्य अपराध है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया गया कि राजेश गुलाटी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. वह पिछले 11 साल से जेल में बंद हैं. जेल में उसका आचरण बहुत अच्छा पाया गया है. जिसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट भी दिया गया है. इस आचरण के आधार पर उनको जमानत दी जाए.

जिसका विरोध करते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि इनके खिलाफ निचली अदालत में 42 गवाह पेश हुए थे. सभी ने इस हत्या को निर्मम बताया. जो आरोप इन पर लगाए गए थे, वे सही पाए गए. लिहाज राजेश को जमानत नहीं देनी चाहिए.

पढ़ें- उत्तराखंड में 3 अगस्त तक बढ़ा कोरोना कर्फ्यू, जानें सरकार ने क्‍या दी छूट

बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड: राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की निर्मम हत्या 17 अक्टूबर 2010 को की थी. हत्या के बाद शव को छुपाने के लिए उसने शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रिज में डाल दिये थे. 12 दिसंबर 2010 को अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून आया. जिसके बाद हत्याकांड का खुलासा हुआ.

देहरादून कोर्ट ने राजेश गुलाटी को 1 सितंबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई. साथ ही 15 लाख रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया. जिसमें से 70 हजार राजकीय कोष में जमा करने व शेष राशि उसके बच्चों के बालिग होने तक बैंक में जमा कराने के आदेश दिए गये थे. कोर्ट ने इस घटना को जघन्य अपराध की श्रेणी में माना था.

पढ़ें- ऊर्जा प्रदेश में शट डाउन: मुख्य सचिव से भी नहीं बनी बात, बीती रात से हड़ताल जारी

राजेश गुलाटी पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. 1999 में राजेश ने लव मैरिज की थी. राजेश गुलाटी ने इस आदेश को हाइकोर्ट में 2017 में चुनौती थी. आज उनकी तरफ से अपील में जमानत हेतु प्रार्थना पत्र पेश किया गया. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

नैनीताल: देहरादून के बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के आरोपी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. अनुपमा गुलाटी हत्याकांड मामले में आजीवन सजा काट रहे राजेश गुलाटी की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अपने आप मे एक जघन्य अपराध है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया गया कि राजेश गुलाटी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. वह पिछले 11 साल से जेल में बंद हैं. जेल में उसका आचरण बहुत अच्छा पाया गया है. जिसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट भी दिया गया है. इस आचरण के आधार पर उनको जमानत दी जाए.

जिसका विरोध करते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि इनके खिलाफ निचली अदालत में 42 गवाह पेश हुए थे. सभी ने इस हत्या को निर्मम बताया. जो आरोप इन पर लगाए गए थे, वे सही पाए गए. लिहाज राजेश को जमानत नहीं देनी चाहिए.

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बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड: राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की निर्मम हत्या 17 अक्टूबर 2010 को की थी. हत्या के बाद शव को छुपाने के लिए उसने शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रिज में डाल दिये थे. 12 दिसंबर 2010 को अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून आया. जिसके बाद हत्याकांड का खुलासा हुआ.

देहरादून कोर्ट ने राजेश गुलाटी को 1 सितंबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई. साथ ही 15 लाख रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया. जिसमें से 70 हजार राजकीय कोष में जमा करने व शेष राशि उसके बच्चों के बालिग होने तक बैंक में जमा कराने के आदेश दिए गये थे. कोर्ट ने इस घटना को जघन्य अपराध की श्रेणी में माना था.

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राजेश गुलाटी पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. 1999 में राजेश ने लव मैरिज की थी. राजेश गुलाटी ने इस आदेश को हाइकोर्ट में 2017 में चुनौती थी. आज उनकी तरफ से अपील में जमानत हेतु प्रार्थना पत्र पेश किया गया. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

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