नैनीताल: सरोवर नगरी स्थित ऐतिहासिक राजभवन की वर्षगांठ को केक काटकर धूमधाम से मनाया गया. नैनीताल स्थित राजभवन ने शनिवार को 122 वर्ष में प्रवेश कर लिया है. तल्लीताल फांसी गधेरा स्थित सेंट जोजफ कॉलेज बोट स्टैंड में कार्यक्रम आयोजित किया गया. साथ ही इस मौके पर गणमान्य लोगों की उपस्थिति में छात्रों को राजभवन के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराया गया.
गौर हो कि नैनीताल स्थित राजभवन का इतिहास बड़ा रोचक है. जब देश की राजधानी दिल्ली के लिए ग्रीष्मकालील राजधानी के रूप में हिमाचल प्रदेश के शिमला को चुना गया तो वहीं, आगरा और अवध के लिए नैनीताल को चुना गया. नैनीताल में 1862 में सर्वप्रथम नोर्थ वेस्ट प्रोविन्स के ले. गवर्नर का प्रवास नैनीताल नगर में शुरू हुआ. 1862 में प्रथम राजभवन रैमजे हॉस्पिटल परिसर बनाया गया. 1865 में मालडन हाउस में स्थानांतरित हुआ. सेंट लू गार्ज में बने पुराने राजभवन के अवशेष आज भी मौजूद है.
ऐतिहासिक धरोहर में शुमार राजभवन को गौथिक शैली में निर्मित बेजोड़ इमारत है. जिसे अंग्रेजी के ई आकार में बनाया और इसकी नींव 27 अप्रैल 1897 को रखी थी. नैनीताल राजभवन 220 एकड़ में फैला हुआ है, जो लंदन के बकिंघम पैलेस का दूसरा रूप है. राजभवन के स्थापना दिवस कार्यक्रम में पहुंचे एनसीसी कैडेट्स को नैनीताल और राजभवन के इतिहास की जानकारी दी गई. साथ ही इस मौके पर उन्हें इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण की शपथ दिलाई गई. जिसके बाद छात्र-छात्राओं ने नैनी झील की साफ-सफाई की.
बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे इतिहासकार डॉक्टर अजय सिंह रावत ने कहा छात्रों को अपने राज्य और देश के इतिहास के बारे में जानकारी होनी चाहिए. क्योंकि जब तक हम अपनी जड़ों को नहीं जानेंगे तब तक हम अपने आप को नहीं पहचान सकते हैं. इसलिए जरूरी है की हमें अपने छात्र जीवन में कम से कम 3 दिन अपने शहर के इतिहास के बारे में पढ़ें. हमें अगर अपने इतिहास की जानकारी होगी तो हम अपनी ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित कर सकते हैं.