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अब प्यास बुझाने जंगलों से बाहर नहीं आएंगे जानवर, वन विभाग उठा रहा है ये बड़ा कदम

भीषण गर्मी में जंगली जानवरों को प्यास बुझाने के लिए कई बार बाहर का रुख करना पड़ता है. जिससे मानव और जंगली जानवरों में संघर्ष की नौबत आ जाती है लेकिन वन विभाग की नई पहल से यह समस्या हल होने जा रही है.

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Published : Jun 21, 2019, 9:30 PM IST

जंगल में तालाब

हल्द्वानीः भीषण गर्मी में जंगली जानवरों को अब अपनी प्यास बुझाने के लिए जंगल से बाहर आबादी वाले इलाकों में नहीं जाना पड़ेगा. वन विभाग पहल करते हुए जंगलों में जल संरक्षण के लिए पक्के और कच्चे तालाबों का निर्माण करा रहा है जिससे गर्मियों में जंगली जानवरों की जंगलों में प्यास बुझ सके और मानव वन्यजीव संघर्ष रोका जा सके.

जंगलों का लगातार हो रहा दोहन और बदलते मौसम चक्र के कारण प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं. जिसमें से अधिकांश जल स्रोत धीरे-धीरे समाप्ति की ओर हैं. इसके चलते पानी की तलाश में वन्यजीव जंगल से निकलकर आबादी वाले इलाकों की तरफ आ जाते हैं. जिससे कुछ समय से इंसान और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की खबरें भी आती हैं.

गर्मियों के दिनों में जंगलों में जानवरों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

तराई पूर्वी वन प्रभाग अब जंगलों में जगह-जगह कच्चे और पक्के तालाबों का निर्माण करा रहा है. जिससे बरसात के दौरान तालाबों में पर्याप्त जल का संरक्षण किया जा सके और गर्मियों में जानवरों के लिए पानी की संकट की समस्या दूर हो.

यही नहीं वन विभाग गर्मियों में इन तालाबों के सूख जाने की स्थिति में ट्यूबल और टैंकरों के माध्यम से पानी भी भर रहा है जिससे जंगली जानवरों को प्यास बुझाने में आसानी हो सके. साथ ही अगर वनों में आगजनी की घटना होती है तो आग बुझाने के दौरान इन तालाबों का सहारा भी लिया जा सकता है

यह भी पढ़ेंः केदरानाथ में मंडरा रहा आपदा का खतरा, फिर पुनर्जीवित हो रही है चौराबाड़ी झील

वहीं प्रभागीय वन अधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी का कहना है कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के जंगलों में कच्चे और पक्के तालाब निर्माण के लिए बजट उपलब्ध हो गया है और इसका काम भी चल रहा है. तालाब निर्माण हो जाने के बाद बरसात में भारी मात्रा में जल का संरक्षण होगा. साथ ही वाटर लेवल भी ठीक रहेगा.

हल्द्वानीः भीषण गर्मी में जंगली जानवरों को अब अपनी प्यास बुझाने के लिए जंगल से बाहर आबादी वाले इलाकों में नहीं जाना पड़ेगा. वन विभाग पहल करते हुए जंगलों में जल संरक्षण के लिए पक्के और कच्चे तालाबों का निर्माण करा रहा है जिससे गर्मियों में जंगली जानवरों की जंगलों में प्यास बुझ सके और मानव वन्यजीव संघर्ष रोका जा सके.

जंगलों का लगातार हो रहा दोहन और बदलते मौसम चक्र के कारण प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं. जिसमें से अधिकांश जल स्रोत धीरे-धीरे समाप्ति की ओर हैं. इसके चलते पानी की तलाश में वन्यजीव जंगल से निकलकर आबादी वाले इलाकों की तरफ आ जाते हैं. जिससे कुछ समय से इंसान और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की खबरें भी आती हैं.

गर्मियों के दिनों में जंगलों में जानवरों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

तराई पूर्वी वन प्रभाग अब जंगलों में जगह-जगह कच्चे और पक्के तालाबों का निर्माण करा रहा है. जिससे बरसात के दौरान तालाबों में पर्याप्त जल का संरक्षण किया जा सके और गर्मियों में जानवरों के लिए पानी की संकट की समस्या दूर हो.

यही नहीं वन विभाग गर्मियों में इन तालाबों के सूख जाने की स्थिति में ट्यूबल और टैंकरों के माध्यम से पानी भी भर रहा है जिससे जंगली जानवरों को प्यास बुझाने में आसानी हो सके. साथ ही अगर वनों में आगजनी की घटना होती है तो आग बुझाने के दौरान इन तालाबों का सहारा भी लिया जा सकता है

यह भी पढ़ेंः केदरानाथ में मंडरा रहा आपदा का खतरा, फिर पुनर्जीवित हो रही है चौराबाड़ी झील

वहीं प्रभागीय वन अधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी का कहना है कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के जंगलों में कच्चे और पक्के तालाब निर्माण के लिए बजट उपलब्ध हो गया है और इसका काम भी चल रहा है. तालाब निर्माण हो जाने के बाद बरसात में भारी मात्रा में जल का संरक्षण होगा. साथ ही वाटर लेवल भी ठीक रहेगा.

Intro:sammry- जंगली जानवरों के बुझेगा प्यास जंगलों में बनाए जा रहे हैं पक्के और कच्चे तालाब पानी का किया जाएगा संरक्षण।( विजुअल मेल से उठाएं जबकि बाइट और स्क्रिप्ट मोजो से)

एंकर- भीषण गर्मी में जंगली जानवरों को अब अपनी प्यास बुझाने के लिए जंगल से बाहर आबादी वाले इलाकों में नहीं जाना पड़ेगा। वन विभाग पहल करते हुए जंगलों में जल संरक्षण के लिए पक्के और कच्चे तालाबों का निर्माण कर रहा है जिससे कि गर्मियों में जंगली जानवरों का जंगलों में प्यास बुझ सके और मानव वन्यजीव संघर्ष रोका जा सके।



Body:जंगलों का लगातार हो रहा दोहन और बदलते मौसम चक्र के कारण प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं जिसमें से अधिकांश जल स्रोत धीरे-धीरे समाप्ति की ओर हैं। इसके चलते पानी की तलाश में वन्यजीव जंगल से निकलकर आबादी वाले इलाकों की तरफ आ जाते हैं जिससे कुछ समय से इंसान और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की खबरें भी आती हैं जिसे जंगली जानवरों को काफी नुकसान पहुंचता है। तराई पूर्वी वन प्रभाग पहल करते हुए विभागीय अधिकारी से निपटने के लिए अब जंगलों में जगह-जगह कच्चे और पके तालाबों का निर्माण करा रहा है जिससे कि बरसात के दौरान तालाबों में भारी संख्या में जल का संरक्षण किया जा सके और गर्मियों में जानवरों के लिए पानी की संकट की समस्या दूर हो। यही नहीं बन विभाग गर्मियों में इन तालाबों को सुख जाने की स्थिति में ट्यूबल और टैंकरों के माध्यम से पानी भी भर रहा है जिससे कि जंगली जानवरों को प्यास बुझाने में आसानी हो सके। यही नहीं अगर वनों में अग्नि की घटना होती है तो आग बुझाने के दौरान इन तालाबों का सहारा भी लिया जा सकता है।
वही प्रभागीय वन अधिकारी नितिन त्रिपाठी का कहना है कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के जंगलों में कच्चे और पक्के तालाब निर्माण के लिए बजट उपलब्ध हो गया है और इसका काम भी चल रहा है। तालाब निर्माण हो जाने के बाद बरसातों में भारी मात्रा में जल का संरक्षण होगा साथी वाटर लेवल भी ठीक रहेगा।

बाइट -नीतीश मणि त्रिपाठी प्रभागीय वन अधिकारी तराई पूर्वी वन प्रभाग


Conclusion:जंगलों में बेजुबानओं के लिए अब तक ऐसी व्यवस्था ना मात्रा थी जिससे घने जंगलों में उनकी प्यास बुझ सके। गर्मी में बढ़ते तापमान के साथ पानी की जरूरत बेजुबानओं के लिए भी बढ़ जाती है और गर्मी की तपिश में प्यास की वजह से कई बेजुबान अपनी जान तक गंवा बैठते हैं ऐसे में जंगल के तालाबों में पानी भरने की योजना जानवरों के लिए बेहद कारगर साबित होने वाली है।
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