हल्द्वानी: साल 1975 में महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय (Ministry of Women and Child Welfare) ने देशभर में आंगनबाड़ी केंद्रों को संचालित किया था. अगर बात करें उत्तराखंड की तो यहां लगभग 20,067 आंगनबाड़ी केंद्र और 5,021 मिनी आंगनबाड़ी चल रहे हैं. वहीं, नैनीताल जिले में लगभग 1,400 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं. जिसमें करीब 400 आंगनबाड़ी केंद्र हल्द्वानी (400 Anganwadi centers operated in Haldwani) में संचालित हो रहे हैं.
इन आंगनबाड़ी केंद्र में से करीब 50 प्रतिशत केंद्र किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं. जिनका किराया विभाग सीधे भवन स्वामियों के खातों में जमा करा देता है, लेकिन वर्तमान में केंद्र संचालिकायें भवन किराये के अजब भंवर में फंसी दिख रही है. बता दें कि विभाग ने साल 2021 से अब तक इस किराये का भुगतान नहीं किया है. जिस कारण अब संचालिकायें भवन स्वामियों द्वारा तालाबंदी और केंद्र खाली करने के नोटिस से दो चार हो रही है. वही, कई संचालिकायें ऐसी भी हैं, जो अपने खर्चे से केंद्र को चला रही है.
वर्तमान में कार्यकत्रियों की दयनीय स्थिति अधिकारियों और विभागीय मंत्री की उदासीनता को दर्शाती है. वहीं, महिला एवं बाल विकास मंत्री और विभागों के हाकिमों के बयान भी मेल नहीं खाते हैं. विभाग अनुसार बजट आने पर भवन किराए के भुगतान करने की बात कही जा रही है. वहीं, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य साल 2021 का पूरा भुगतान हो जाने की बात कहती नजर आ रही हैं. अगर ऐसे में रेखा आर्य की बात को सच माना जाए तो, इन सब में लाखों रुपये की रकम भुगतान न होने पर विभाग पर सवालिया निशान खड़े होते हैं.
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वहीं, हल्द्वानी में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र भी इससे अछूते नहीं हैं. जहां किराया बकाया होने के कारण भवन स्वामियों ने आंगनबाड़ी केंद्रों को खाली करने को बोल दिया है. वहीं, काठगोदाम के आंगनबाड़ी केंद्र का विवाद पुलिस के सामने जाकर निपटाया जा सका. जहां लिखित समझौते के बाद पुलिस ने केंद्र के ताले खुलवाए, यही समस्या तल्ला गोरखपुर, तिकोनिया आदि के केंद्र में भी देखी गई.
प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों का विवाद बढ़ता दिखा रहा है. संचालिकाओं में कर्ज और भवन स्वामियों के तगादे से परेशान कार्यकत्रियों ने अब आर पार का मन बना लिया है. आंगनबाड़ी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी ने सभी जिला अध्यक्ष के माध्यम से विभाग को आगामी 30 नवंबर तक का समय किराए का पूरा भुगतान करने को दिया गया है. अन्यथा प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्य बहिष्कार की बात कही है.