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रामपुर तिराहा गोलीकांड की 25वीं बरसी, शहीद आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि - शहीद आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि

2 अक्टूबर 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ हुई बर्बरता और गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की शहादत को याद किया गया. इस दौरान आंदोलनकारियों ने कहा कि जिस पर्वतीय राज्य की अवधारणा से उत्तराखंड की मांग की थी. वो सपना आज भी अधूरा है.

शहीद आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि
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Published : Oct 2, 2019, 10:44 PM IST

नैनीतालः 2 अक्टूबर 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ हुई बर्बरता और गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की शहादत को याद किया गया. इस दौरान आंदोलनकारियों ने कहा कि जिस पर्वतीय राज्य की अवधारणा से उत्तराखंड की मांग की थी. वो सपना आज भी अधूरा है.

शहीद आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि

बता दें कि जहां पूरा देश महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मना रहा हैं. वहीं, उत्तराखंड में 2 अक्टूबर का दिन धिक्कार दिवस के रूप में याद किया जा रहा है.गौरतलब है कि 1994 में उत्तराखंड राज्य की पृथक मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारी 1 व 2 अक्टूबर 1994 की रात दिल्ली के राजघाट पर धरने के लिए जा रहे थे.

ये भी पढ़ेंःबापू की 150वीं जयंती : ईटीवी भारत की खास प्रस्तुति का PM मोदी ने किया अभिनंदन

इसी दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर में फायरिंग कर दी. जिसमे दर्जन भर राज्य आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी. इसी घटना के विरोध में हर साल 2 अक्टूबर को काला दिन के रूप में मनाया जाता है.

वहीं, राज्य आंदोलनकारियें का कहना है कि उन्होंने जिस उत्तराखंड की अवधारणा के लिए उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को अलग करने की मांग की थी. वह उत्तराखंड आज भी नहीं बन सका है, और राज्य बनने के बाद भी दोनों ही राजनीतिक दलों ने प्रदेश की गरीब जनता को ठगा है. ऐसे में आज भी प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार समेत मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

नैनीतालः 2 अक्टूबर 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ हुई बर्बरता और गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की शहादत को याद किया गया. इस दौरान आंदोलनकारियों ने कहा कि जिस पर्वतीय राज्य की अवधारणा से उत्तराखंड की मांग की थी. वो सपना आज भी अधूरा है.

शहीद आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि

बता दें कि जहां पूरा देश महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मना रहा हैं. वहीं, उत्तराखंड में 2 अक्टूबर का दिन धिक्कार दिवस के रूप में याद किया जा रहा है.गौरतलब है कि 1994 में उत्तराखंड राज्य की पृथक मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारी 1 व 2 अक्टूबर 1994 की रात दिल्ली के राजघाट पर धरने के लिए जा रहे थे.

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इसी दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर में फायरिंग कर दी. जिसमे दर्जन भर राज्य आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी. इसी घटना के विरोध में हर साल 2 अक्टूबर को काला दिन के रूप में मनाया जाता है.

वहीं, राज्य आंदोलनकारियें का कहना है कि उन्होंने जिस उत्तराखंड की अवधारणा के लिए उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को अलग करने की मांग की थी. वह उत्तराखंड आज भी नहीं बन सका है, और राज्य बनने के बाद भी दोनों ही राजनीतिक दलों ने प्रदेश की गरीब जनता को ठगा है. ऐसे में आज भी प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार समेत मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

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नैनीताल में आज राज्य आंदोलनकारियों ने रामपुर तिराहा गोलीकांड की 25वीं बरसी पर राज्य के शहीदों को करा याद।

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2 अक्टूबर 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ हुई बर्बरता और गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की सहादत और कुर्बानियों को भी याद किया,और उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करे, आंदोलनकारियों का कहना है कि जिस पर्वतीय राज्य की अवधारणा से उन्होंने जिस उत्तराखंड की मांगा की और सपना देखा वो आज भी अधूरा है।


Body:आज जहां पूरा देश महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं तो वहीं उत्तराखंड में 2 अक्टूबर के दिन को काले इतिहास के रूप में भी मनाया जाता है।
क्योंकि 1994 में उत्तराखंड राज्य की प्रथक मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों 1और 2 अक्टूबर 1994 की रात दिल्ली के राजघाट पर धरने के लिए जा रहे थे इसी दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने दिल्ली जा रहे राज्य आंदोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर में फायरिंग कर दी जिसने दर्जन भर राज्य आंदोलनकारी की मौत हो गई जबकि कई महिला आंदोलनकारियों के साथ बलात्कार तक करा गया और इसी घटना के विरोध में हर साल आंदोलनकारी 2 अक्टोबर को काला दिन के रूप में मनाया जाता है।


Conclusion:वही शहीदों को याद करने के दौरान राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि उन्होंने जिस उत्तराखंड की अवधारणा के लिए उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को अलग करने की मांग की वह उत्तराखंड आज भी नहीं बन सका है, और राज्य बनने के बाद प्रदेश में दोनों ही राजनीतिक दलों ने प्रदेश की गरीब जनता को ठगा है, आज भी प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार सुमेत मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। प्रदेश में बारी-बारी से राज्य सरकार विकास के नाम पर पहाड़ों में जमीन को खुर्द बंद कर रही है और उत्तराखंड को नशे का आदी बना रही है और गांवों में शराब की फैक्ट्री खोल रही है जिस वजह से उत्तराखंड गर्त में जा रहा है।

बाईट- पदम श्री शेखर पाठक, राज्य आंदोलनकारी।
पीटीसी।


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