हल्द्वानी: मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को मिलने वाला फोर्टीफाइड मिठास सुगंधित दूध कोरोना संकट के चलते प्रदेश के अलग-अलग स्कूलों की सीआरसी सेंटर में डंप पड़ा है. ऐसे में अब शिक्षा विभाग दूध को आंचल डेयरी को वापस कर रहा है. आंचल डेयरी ने 28 टन फोर्टीफाइड दूध 1 किलो के पैकेट में तैयार कर शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराया था. जिससे कि मध्याह्न भोजन के दौरान बच्चों को दूध दिया जा सके, लेकिन स्कूल बंद होने के चलते दूध बच्चों को नहीं दिया जा सका.
मार्च महीने में लॉन्च की गई मुख्यमंत्री आंचल योजना के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को मध्यान्ह भोजन में दूध दिया जाना था. मगर कोरोना के कारण सभी स्कूल बंद हैं, जिसके कारण स्कूलों की सीआरसी सेंटर में डंप पड़ा है. सरकार ने स्कूलों को दूध सप्लाई का जिमा आंचल डेरी को दिया है. ऐसे में प्रदेश सरकार ने आंचल डेरी से 85 टन फोर्टीफाइड दूध की डिमांड की थी, जिसमें आंचल डेरी ने 1 किलो पैकेजिंग में 28 टन दूध की सप्लाई भी शिक्षा विभाग को की थी, मगर अब स्कूल बंद होने के चलते दूध सीआरसी सेंटर्स में दूध ऐसे ही पड़ा है.
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ऐसे में अब शिक्षा विभाग बच्चों के घर-घर दूध पहुंचाने के लिए आंचल डेयरी को दूध वापस भेज रहा है. जिससे कि 150 ग्राम और 180 ग्राम की छोटे-छोटे पैकेटों में दूध को बच्चों के घर-घर पहुंचाया जा सके.
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उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के निदेशक जीवन सिंह नगन्याल का कहना है कि डंप दूध की क्वालिटी लाइफ अभी बची हुई है. फिर भी बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से दूध की क्वालिटी को चेक किया जाएगा. जिसके बाद पैकेजिंग करते हुए शिक्षा विभाग आंचल डेयरी के माध्यम से बच्चों को घर पर ही दूध उपलब्ध करवाएगा.