हल्द्वानी: उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों में जाने के लिए पर्यटक हमेशा उत्सुक रहते हैं. शायद इसलिए कि कुछ दिन शांतवादियों में रहेंगे और महानगरों में फैलते प्रदूषण से थोड़ा निजात मिल सकेगी. लेकिन, अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि अब तक देश का ध्यान दिल्ली और एनसीआर में फैले प्रदूषण पर था, लेकिन हकीकत उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी ठीक नहीं.
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सर्वे के मुताबिक, हल्द्वानी शहर का पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 स्तर 270 से 300 के बीच आ रहा है. अब समझने वाली बात ये है कि हरे-भरे जंगलों का कटान, गांव में जलते चूल्हे और खुले में लगाई जाने वाली आग पीएम 2.5 स्तर को लगातार बढ़ा रहा है.
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विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदेश के कई शहरों में प्रदूषण का बढ़ता स्तर चिंताजनक है. हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्र में खनन से निकलने वाले धूल, बड़े पैमाने पर जलती लकड़ी के चूल्हे से निकलने वाले धुएं पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से रोजाना प्रदूषण का डाटा कलेक्ट नहीं होता है. इसलिए उनके मुताबिक जो रिपोर्ट सामने आई है वह भविष्य के लिहाज से बेहद चिंताजनक साबित होने वाली है.