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हल्द्वानी: हवा में फैल रहा 'जहर', प्रदूषण स्तर की रिपोर्ट चौंकाने वाली

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे के मुताबिक, हल्द्वानी में प्रदूषण स्तर चौंकाने वाला है. बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके चतुर्वेदी का कहना है कि ये चिंताजनक है.

पहाड़ के हवा में घुल रहा है जहर
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Published : Nov 23, 2019, 9:43 AM IST

Updated : Nov 23, 2019, 11:16 AM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों में जाने के लिए पर्यटक हमेशा उत्सुक रहते हैं. शायद इसलिए कि कुछ दिन शांतवादियों में रहेंगे और महानगरों में फैलते प्रदूषण से थोड़ा निजात मिल सकेगी. लेकिन, अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि अब तक देश का ध्यान दिल्ली और एनसीआर में फैले प्रदूषण पर था, लेकिन हकीकत उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी ठीक नहीं.

हल्द्वानी: हवा में फैल रहा 'जहर'


प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सर्वे के मुताबिक, हल्द्वानी शहर का पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 स्तर 270 से 300 के बीच आ रहा है. अब समझने वाली बात ये है कि हरे-भरे जंगलों का कटान, गांव में जलते चूल्हे और खुले में लगाई जाने वाली आग पीएम 2.5 स्तर को लगातार बढ़ा रहा है.

पढ़ेंः हल्द्वानी: शताब्दी एक्सप्रेस में 10 फीट लंबे किंग कोबरा को देखकर मचा हड़कंप

विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदेश के कई शहरों में प्रदूषण का बढ़ता स्तर चिंताजनक है. हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्र में खनन से निकलने वाले धूल, बड़े पैमाने पर जलती लकड़ी के चूल्हे से निकलने वाले धुएं पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से रोजाना प्रदूषण का डाटा कलेक्ट नहीं होता है. इसलिए उनके मुताबिक जो रिपोर्ट सामने आई है वह भविष्य के लिहाज से बेहद चिंताजनक साबित होने वाली है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों में जाने के लिए पर्यटक हमेशा उत्सुक रहते हैं. शायद इसलिए कि कुछ दिन शांतवादियों में रहेंगे और महानगरों में फैलते प्रदूषण से थोड़ा निजात मिल सकेगी. लेकिन, अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि अब तक देश का ध्यान दिल्ली और एनसीआर में फैले प्रदूषण पर था, लेकिन हकीकत उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी ठीक नहीं.

हल्द्वानी: हवा में फैल रहा 'जहर'


प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सर्वे के मुताबिक, हल्द्वानी शहर का पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 स्तर 270 से 300 के बीच आ रहा है. अब समझने वाली बात ये है कि हरे-भरे जंगलों का कटान, गांव में जलते चूल्हे और खुले में लगाई जाने वाली आग पीएम 2.5 स्तर को लगातार बढ़ा रहा है.

पढ़ेंः हल्द्वानी: शताब्दी एक्सप्रेस में 10 फीट लंबे किंग कोबरा को देखकर मचा हड़कंप

विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदेश के कई शहरों में प्रदूषण का बढ़ता स्तर चिंताजनक है. हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्र में खनन से निकलने वाले धूल, बड़े पैमाने पर जलती लकड़ी के चूल्हे से निकलने वाले धुएं पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से रोजाना प्रदूषण का डाटा कलेक्ट नहीं होता है. इसलिए उनके मुताबिक जो रिपोर्ट सामने आई है वह भविष्य के लिहाज से बेहद चिंताजनक साबित होने वाली है.

Intro:sammry- पहाड़ की हवा में घुल रहा है जहर पीएम 2.5 का अस्तर 50 से पहुंचा ऊपर।( इस खबर के विजुअल बाइट मेल से उठाएं )

एंकर- देश में बढ़ते प्रदूषण को लेकर भले ही हमारे माननीय सांसद पराली जलाने वाले किसानों का बचाव कर रहे हो लेकिन यह की हकीकत है कि आग जलने से जो धुआं उठता है प्रदूषण बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ उसी का है क्योंकि एक सर्वे में यह बात साफ हो चुकी है कि चूल्हे से से उठने वाले धुएं का पीएम 2.5 स्तर 900 से ऊपर तक चला जाता है जिससे अस्थमा और सांस संबंधी अनेक बीमारियां जन्म लेती है। लेकिन इस बात पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया कि खुले में आग जलाने और धुआं फैलाने वाली घटनाओं को कैसे नियंत्रित किया जा सके ।सबसे चौकाने वाले यह है कि भारत में पीएम 2.5 का सबसे सुरक्षित स्तर 50 है ।हरी-भरी वादियों में प्रदूषण के लिए सबसे महफूज मानी जाती है लेकिन यहाँ की पीएम 2.5 काअस्तर 50 से बढ़कर के 55 बीच पहुंच गया है। जबकि हल्द्वानी जैसे शहर में रोजाना शाम की पीएम 2.5 का स्तर 270 से 300 के बीच पहुंच रहा है।


Body:उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों जाने के लिए पर्यटक हमेशा उत्सुक रहते हैं शायद इसलिए कि कुछ दिन शांत वादियों में रहेंगे और महानगरों में फैलते प्रदूषण से थोड़ा निजात मिल सकेगी लेकिन अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि अब तक सारे देश का ध्यान दिल्ली और एनसीआर में फैले प्रदूषण पर है लेकिन हकीकत यह है कि उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रदूषण की स्थिति ठीक नहीं है एक सर्वे के दौरान जब गांव में चूल्हा जलाने वाले घरों में पीएम 2.5 स्तर 900 के पार निकलता है जबकि हल्द्वानी जैसे शहर का पीएम 2.5 स्तर 270 से 300 के बीच रहता है समझने वाली बात तो यह है कि हरे-भरे जंगलों का कटान गांव में जलते चूल्हे खुले में लगाई जाने वाली आग पीएम 2.5 लगातार बढ़ रहा है और उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों दूषित कर रहा है।
बाइट- पवन सोनी वर्मा रिसर्च

विशेषज्ञों के मुताबिक हालात बहुत ही चिंताजनक है क्योंकि रोज हो रहे कंट्रक्शन योजना बन रही नई सड़क से धूल की परते पेड़ पौधों पर लगातार जम रही धूल की परतें है जो ऑक्सीजन उत्पन्न कम रिलीज हो पा रही है यही नहीं हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्र में खनन से निकलने वाले धूल, बड़े पैमाने पर जलते लकड़ी के चूल्हे से निकलने वाले धुएं इन पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं हालांकि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से रोजाना प्रदूषण का डाटा कलेक्ट नहीं होता है इसलिए उनके मुताबिक जो रिपोर्ट सामने आई वह भविष्य के लिहाज से बेहद चिंताजनक साबित होने वाली नजर आ रही है।

बाइट आरके चतुर्वेदी क्षेत्रीय प्रबंधक प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड


Conclusion:सभी केंद्र सरकार तो कभी दिल्ली सरकार कभी हरियाणा सरकार तो कभी कोई अन्य सरकार सब जगह प्रदूषण का हंगामा बरपा है ।पिछले दिनों संसद में भी प्रदूषण को लेकर चर्चा हुई लेकिन प्रदूषण कम कैसे होगा इसका कोई समाधान नहीं निकाल रहा है ।पहाड़ों की हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने का मतलब यही है कि अगर आप उत्तराखंड में आकर अपने आप को पर्यावरण के प्रति सुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि आप दिल्ली एनसीआर ही नहीं उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों की हवा भी जहरीली हो रही है ।
Last Updated : Nov 23, 2019, 11:16 AM IST
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