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महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर की अनदेखी, राज्य सरकार ने बंद किया मानदेय

राज्य महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर कविता बिष्ट इन दिनों मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. सरकार से मिलने वाला उनका मानदेय भी बंद हो चुका है. कविता बिष्ट अपना जीवन यापन करने के लिए गांव में महिला सहायता केंद्र चला कर गुजर-बसर कर रही हैं.

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कविता बिष्ट
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Published : Sep 27, 2020, 5:22 PM IST

रामनगर: एसिड अटैक सर्वाइवर और राज्य महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर कविता बिष्ट को सरकार से मिलने वाला मानदेय बंद हो गया है. कविता बिष्ट को ₹13,500 मानदेय मिलता था, जो 2015 से 2017 अप्रैल तक मिला, वह अब बंद हो चुका है. यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार बदलते ही कविता को मानदेय मिलना बंद हो गया. कविता अब गांव में महिला सहायता केंद्र चला कर गुजर-बसर कर रही हैं.

एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट को मानदेय मिलना बंद.

उत्तराखंड राज्य महिला पुरस्कार से सम्मानित

साल 2014 में महिला दिवस के दिन उत्तराखंड राज्य महिला पुरस्कार से सम्मानित किया गया. कविता बिष्ट को 21 अगस्त 2015 को राज्य महिला सशक्तिकरण का उत्तराखंड का ब्रांड एंबेसडर बना दिया गया. साल 2016 में 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ; में नेशनल अवॉर्ड से भी गुजरात में सम्मानित किया गया. उसके बाद कविता 18 अन्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. जिसमें तेजस्वी नारी अवॉर्ड भी शामिल है.

अभी कविता बिष्ट जेएसआर दिव्यांग स्कूल के अंतर्गत महिलाओं को सशक्त करने के लिए रामनगर के कालूसिद्ध जशागांजा में कविता वूमेन सपोर्ट होम करके बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' के जरिए एक संस्था चला रही हैं, जिसके संचालक कविताएं एवं संदीप रावत हैं. यहां गांव की ग्रामीण लड़कियां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई काम सिखाए जाते हैं.

महिलाओं को रोजदार दे रहीं कविता

वहीं, जसागाजा की ग्राम प्रधान निधि मेहरा कहती हैं कि कविता बिष्ट इतना सब कुछ होने के बाद भी हम सब के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो आज ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. वहीं, पीएनजी महाविद्यालय के प्राचार्य जीसी पंथ कहते हैं कि कविता बिष्ट ने जो उनके साथ हुआ था. उस से प्रेरणा लेकर आज कई महिलाओं के उत्थान के लिए कई महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. ईश्वर उनकी ऊर्जा को बनाए रखें उनकी ताकत को बनाए रखें.

रामनगर: एसिड अटैक सर्वाइवर और राज्य महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर कविता बिष्ट को सरकार से मिलने वाला मानदेय बंद हो गया है. कविता बिष्ट को ₹13,500 मानदेय मिलता था, जो 2015 से 2017 अप्रैल तक मिला, वह अब बंद हो चुका है. यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार बदलते ही कविता को मानदेय मिलना बंद हो गया. कविता अब गांव में महिला सहायता केंद्र चला कर गुजर-बसर कर रही हैं.

एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट को मानदेय मिलना बंद.

उत्तराखंड राज्य महिला पुरस्कार से सम्मानित

साल 2014 में महिला दिवस के दिन उत्तराखंड राज्य महिला पुरस्कार से सम्मानित किया गया. कविता बिष्ट को 21 अगस्त 2015 को राज्य महिला सशक्तिकरण का उत्तराखंड का ब्रांड एंबेसडर बना दिया गया. साल 2016 में 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ; में नेशनल अवॉर्ड से भी गुजरात में सम्मानित किया गया. उसके बाद कविता 18 अन्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. जिसमें तेजस्वी नारी अवॉर्ड भी शामिल है.

अभी कविता बिष्ट जेएसआर दिव्यांग स्कूल के अंतर्गत महिलाओं को सशक्त करने के लिए रामनगर के कालूसिद्ध जशागांजा में कविता वूमेन सपोर्ट होम करके बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' के जरिए एक संस्था चला रही हैं, जिसके संचालक कविताएं एवं संदीप रावत हैं. यहां गांव की ग्रामीण लड़कियां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई काम सिखाए जाते हैं.

महिलाओं को रोजदार दे रहीं कविता

वहीं, जसागाजा की ग्राम प्रधान निधि मेहरा कहती हैं कि कविता बिष्ट इतना सब कुछ होने के बाद भी हम सब के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो आज ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. वहीं, पीएनजी महाविद्यालय के प्राचार्य जीसी पंथ कहते हैं कि कविता बिष्ट ने जो उनके साथ हुआ था. उस से प्रेरणा लेकर आज कई महिलाओं के उत्थान के लिए कई महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. ईश्वर उनकी ऊर्जा को बनाए रखें उनकी ताकत को बनाए रखें.

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