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भीमताल डैम की दीवार में पड़ी दरारें, अधिकारी बोले- ऑल इज वेल

नैनीताल के भीमताल झील में बने डैम पर खतरा मंडराने लगा है. इस डैम की दीवारों पर दरारें भी आने लगी हैं. वहीं, सिंचाई विभाग के अधिकारी कोई खतरा न होने की बात कह रहे हैं.

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Published : Jan 20, 2020, 4:17 PM IST

nainital
भीमताल डैम की दीवार में पड़ी दरारें

नैनीताल: ब्रिटिश शासन काल (साल 1880) में बने भीमताल डैम के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. इस डैम में बड़ी-बड़ी दरारें आ जाने के कारण कई जगहों से पानी का रिसाव हो रहा है. जो कभी भी बड़े हादसे को दावत दे सकता है. वहीं, इसको लेकर प्रशासन चैन की नींद सोता नजर आ रहा है.

भीमताल डैम की दीवार में पड़ी दरारें

सरोवर नगरी के भीमताल की ये झील बहुउद्देश्यी झील है. भीमताल झील का महत्व सिर्फ पर्यटन तक ही सीमित नहीं है. इस झील से हल्द्वानी के साथ तराई के कई इलाकों में गर्मियों के दौरान लोगों की प्यास बुझती है. इसके साथ ही सिंचाई के लिए भी इसका पानी प्रयोग किया जाता है, जिसका सारा दबाव भीमताल डैम पर पड़ता है.

साल 1880 में ब्रिटिश काल में बने इस डैम को सिर्फ 100 सालों के लिए बनाया गया था, लेकिन आज इस डैम को 135 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार द्वारा इसके रखरखाव को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिस कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

ये भी पढ़ें: सवालों के घेरे में जॉलीग्रांट एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था, ड्रेनेज सिस्टम और खोखली दिवारें बयां कर रहीं हकीकत

वहीं, इस मामले में स्थानीय लोग प्रशासन और सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि भीमताल की इस विरासत को बचाने के लिये आज तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भीमताल झील का वजूद ही नहीं रहेगा. सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मानें तो डैम की जांच की गई है. जिस कारण विभाग को कोई बड़ी समस्या नजर नहीं आ रही है, लेकिन तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं.

नैनीताल: ब्रिटिश शासन काल (साल 1880) में बने भीमताल डैम के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. इस डैम में बड़ी-बड़ी दरारें आ जाने के कारण कई जगहों से पानी का रिसाव हो रहा है. जो कभी भी बड़े हादसे को दावत दे सकता है. वहीं, इसको लेकर प्रशासन चैन की नींद सोता नजर आ रहा है.

भीमताल डैम की दीवार में पड़ी दरारें

सरोवर नगरी के भीमताल की ये झील बहुउद्देश्यी झील है. भीमताल झील का महत्व सिर्फ पर्यटन तक ही सीमित नहीं है. इस झील से हल्द्वानी के साथ तराई के कई इलाकों में गर्मियों के दौरान लोगों की प्यास बुझती है. इसके साथ ही सिंचाई के लिए भी इसका पानी प्रयोग किया जाता है, जिसका सारा दबाव भीमताल डैम पर पड़ता है.

साल 1880 में ब्रिटिश काल में बने इस डैम को सिर्फ 100 सालों के लिए बनाया गया था, लेकिन आज इस डैम को 135 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार द्वारा इसके रखरखाव को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिस कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

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वहीं, इस मामले में स्थानीय लोग प्रशासन और सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि भीमताल की इस विरासत को बचाने के लिये आज तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भीमताल झील का वजूद ही नहीं रहेगा. सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मानें तो डैम की जांच की गई है. जिस कारण विभाग को कोई बड़ी समस्या नजर नहीं आ रही है, लेकिन तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं.

Intro:Summry

नैनीताल के भीमताल डैम के अस्तित्व पर मंडराया खतरा, डैम में पड़ी दरार।

Intro

1880 में ब्रिटीश शासन काल मे तराई और पहाडी क्षेत्रो मे पानी की अपूर्ती के लिये बनाया गया भीमताल का डेम अब खतरे की जद में है,,,, डेम मे बडी बडी दरारे पड गयी है और जगह जगह से पानी का रीसाव हो रहा है जो आने वाले किसी बडे हादसे को न्योता दे रहा है लेकिन वही प्रशासन इन सब से अंजान बना हुआ है।
Body:नैनीताल के भीमताल की ये झील बहुउददेश्यी झील है भीमताल झील का महत्व सिर्फ पर्यटन तक ही सिमीत नही है,,, बल्की यह झील नैनीताल जिले की एक ऐसी झील है जो स्थानीय नही बल्कि हल्द्वानी के साथ तराई के कई इलाको मे गर्मियो के दोरान लोगो की प्यास बुझाती तो है साथ मे सिंचाई के लिये इसके पानी का प्रयोग किया जाता है जिसका सारा दबाव भीमताल के इस डेम मे पडता है,,,

बाइट- स्थानीय


          Conclusion:1880 में ब्रिटीश काल मे बने इस डेम को सिर्फ 100 सालो के लिये बनाया गया था और इसकी आयु सिर्फ सो साल थी लेकिन आज इस डेम को 135 साल से भी ज्यादा हो गये है लेकिन प्रशासन और सरकार द्वारा इसके रख रखाव के लिये आज तक कोई कदम नही उठाये गये है जिस कारण आज भीमताल डेम भारी दबाव के चलते जगह जगस से रिसने लगा है और दरारे पडने लगी जो जिस्से स्थानिय लोगो के साथ साथ तराई में रहने वाले लोगो के लिए भी खतरे बने हुए है,,, स्थानीय लोग प्रशासन और सरकार पर आरोप लागा रहे है की भीमातल की इस विरासत को बचाने के लिये आज तक कोई कदम नही उठाये गये है,,, और आज स्थिती यहा पहुच गयी है की इस डेम को कैसे बचाया जाय यह बडा सवाल आ खडा हुआ है अगर जल्द कोई कदम नही उठाये गये तो भीमताल झील का वजुद ही नही रहेेगा,,,

वही सिचाई विभाग के अधिकारीयो का कहना है की उन्हाने डेम की जांच की है पर उन्हे कोई बडी समस्या नजर नहीं आयी,,, लेकिन तस्वीरे कुछ और ही बया कर रही है।

बाइट- स्थानीय।
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