रामनगर: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों के गढ़ के रूप में जाना जाता है, लेकिन साल 2019 में यहां 8 बाघों की मौत हुई है. कारण जो भी रहा हो लेकिन वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह चिंताजनक है. उनका कहना है कि कॉर्बेट पार्क में जिस तरह से बाघों की संख्या बढ़ रही है, उतना ही तेजी से उनका प्रभुत्व घटता जा रहा है.
कॉर्बेट नेशनल पार्क में एक साल में हुई 8 बाघों की मौत
क्र.सं. | तारीख (साल 2019) | किस जगह हुई मौत | मौत का कारण |
1 | 4 मार्च | सोननदी रेंज | स्वाभाविक |
2 | 3 मई | बिजरानी रेंज | आपसी संघर्ष |
3 | 27 मई | ढेला रेंज | रेस्क्यू के दौरान |
4 | 24 जून | सोननदी रेंज | आपसी संघर्ष |
5 | 21 सितंबर | ढेला रेंज | आपसी संघर्ष |
6 | 25 नवंबर | बिजरानी रेंज | आपसी संघर्ष |
7 | 16 दिसंबर | बिजरानी रेंज | आपसी संघर्ष |
8 | 25 दिसंबर | कालागढ़ रेंज | अभी रिपोर्ट नहीं आई |
बता दें, साल 2018 में कॉर्बेट नेशनल पार्क में 9 बाघोंं की मौत हुई थी. जिसमें 6 बाघों की प्राकृतिक मौत हुई थी, जबकि 3 बाघों की मौत दुर्घटना में हुई थी.
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वहीं, बाघों की लगातार हो रही मौत से वन्यजीव प्रेमी खासे चिंतित हैं. वन्यजीव प्रेमी करन बिष्ट का कहना है कि बाघों की राजधानी कॉर्बेट में बाघों की मौत चिंताजनक है. कॉर्बेट प्रशासन को पार्क में गश्त बढ़ानी चाहिए. इससे कॉर्बेट की इमेज को धब्बा लग रहा है. तो वहीं, कॉर्बेट प्रशासन के उपनिदेशक चंद्रशेखर जोशी बाघों की मौत को स्वाभाविक बता रहे हैं.