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बड़ी खबरः प्रदेश में 600 HIV पीड़ित लापता, अब होगी खोजबीन - एडस

एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को लिए हल्द्वानी और देहरादून में एआटची सेंटर खोला गया है, जहां इस रोग से पीडि़त मरीजों का इलाज किया जाता है.

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Published : Apr 20, 2019, 5:49 PM IST

हल्द्वानीः प्रदेशभर के करीब 600 एचआईवी पॉजिटिव मरीज लापता हो गए हैं. इनमें से ज्यादातर ऐसे मरीज हैं, जिनकी दवा शुरू हो गई थी, लेकिन वे दवा लेने के लिए एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर्स नहीं पहुंच रहे हैं. विभाग अब एनजीओ और अन्य माध्यमों के सहारे इन मरीजों की तलाश कर रहा है, ताकि उनकी काउंसिलिंग की जा सके.

पढ़ें- उत्तराखंड मौसम: पांच जिलों में बारिश और आंधी-तूफान की संभावना

एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के लिए हल्द्वानी और देहरादून में एआरटी सेंटर्स खोले गए है, जहां इस रोग से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश में करीब 4000 एचआईवी पॉजिटिव मरीज हैं, जो हल्द्वानी और देहरादून के एआरटी सेंटर्स में पंजीकृत हैं.

अकेले हल्द्वानी में ही एचआईवी पॉजिटिव के करीब 2796 मरीज पंजीकृत हैं. जिसमें से 321 मरीज लापता हैं, यानि वे अपना इलाज नहीं करा रहे हैं. एआरटी के डॉक्टर अशोक कुमार का कहना है कि वर्तमान में उनके यहां जो भी मरीज हैं, उनका ट्रीटमेंट सेंट्रल के जो नियम हैं उनके अनुसार किया जाता है.

यहां मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जाता है. इसके अलावा उन्हें अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं और समय-समय पर उनकी कांउसिलिंग का जाती है. कई मरीज ऐसे हैं, जो समाज में हिन भावना के चलते अपने आप को छुपा लेते हैं. इसके अलावा एनजीओ और अन्य संस्थाओं के जरिए भी ऐसे मरीजों का पता लगाया जाता है. इस समय कुछ मरीज मिसिंग हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. यहां पर जो मरीज पंजीकृत हैं उनका नाम और पता गोपनीय रखा जाता है.

हल्द्वानीः प्रदेशभर के करीब 600 एचआईवी पॉजिटिव मरीज लापता हो गए हैं. इनमें से ज्यादातर ऐसे मरीज हैं, जिनकी दवा शुरू हो गई थी, लेकिन वे दवा लेने के लिए एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर्स नहीं पहुंच रहे हैं. विभाग अब एनजीओ और अन्य माध्यमों के सहारे इन मरीजों की तलाश कर रहा है, ताकि उनकी काउंसिलिंग की जा सके.

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एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के लिए हल्द्वानी और देहरादून में एआरटी सेंटर्स खोले गए है, जहां इस रोग से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश में करीब 4000 एचआईवी पॉजिटिव मरीज हैं, जो हल्द्वानी और देहरादून के एआरटी सेंटर्स में पंजीकृत हैं.

अकेले हल्द्वानी में ही एचआईवी पॉजिटिव के करीब 2796 मरीज पंजीकृत हैं. जिसमें से 321 मरीज लापता हैं, यानि वे अपना इलाज नहीं करा रहे हैं. एआरटी के डॉक्टर अशोक कुमार का कहना है कि वर्तमान में उनके यहां जो भी मरीज हैं, उनका ट्रीटमेंट सेंट्रल के जो नियम हैं उनके अनुसार किया जाता है.

यहां मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जाता है. इसके अलावा उन्हें अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं और समय-समय पर उनकी कांउसिलिंग का जाती है. कई मरीज ऐसे हैं, जो समाज में हिन भावना के चलते अपने आप को छुपा लेते हैं. इसके अलावा एनजीओ और अन्य संस्थाओं के जरिए भी ऐसे मरीजों का पता लगाया जाता है. इस समय कुछ मरीज मिसिंग हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. यहां पर जो मरीज पंजीकृत हैं उनका नाम और पता गोपनीय रखा जाता है.

Intro:स्लग- प्रदेश में एचआईवी के मरीज हुए ग़ायब।
रिपोर्टर- भावनाथ पंडित हल्द्वानी
एंकर- प्रदेश में एचआईवी रोग के इलाज के लिए बनाए गए(एआरटी )सेंटर यानी एंटी रेटरोवायरल थेरेपी से प्रदेश में करीब 600 मरीज ऐसे हैं जो गायब है और जिनका कुछ पता नहीं चल रहा है। विभाग अब इन मरीजों को एनजीओ और अन्य माध्यमों के सहारे से तलाश कर काउंसलिंग कर रहा है। एचआईवी पीड़ितों के लिए हल्द्वानी और देहरादून में आर्टि सेंटर खोला गया है जहां एचआईवी पीड़ितों का इलाज किया जाता है।


Body:जानकारी के मुताबिक प्रदेश में करीब 4000 एचआईवी पीड़ित मरीज है जो हल्द्वानी और देहरादून एआरटी सेंटर में पंजीकृत हैं। और इनका इलाज चल रहा है लेकिन इनमें से करीब 600 मरीज ऐसे हैं जो इलाज नहीं करा रहे हैं या उनका कोई पता नहीं है। अब एआरटी सेंटर इन एचआईवी पीड़ित मरीजों को एनजीओ और अन्य संस्थाओं के माध्यम से तलाश कर रहा है और इनकी काउंसलिंग करा रहा है। बात हल्द्वानी एआरटी सेंटर की करें तो वर्तमान में यहां 2796 मरीजों का इलाज चल रहा है जिसमें से 321 ऐसे हैं जो गायब है या अपना इलाज नहीं करा रहे हैं।



Conclusion:एआरटी के डॉक्टर अशोक कुमार का कहना है कि वर्तमान में उनके यहां जो भी मरीज है उनका ट्रीटमेंट सेंट्रल के नियम कौन के अनुसार किया जा रहा है । मरीजों को मुफ्त में इलाज किया जाता है और सभी सुविधाएं दी जाती है ।कुछ मरीज गायब हैं और कुछ मरे इलाज छोड़ चुके हैं ऐसे में एनजीओ और अन्य माध्यमों के सहारे उनको बुलाकर समय-समय पर काउंसलिंग की जाती है। कई मरीज ऐसे हैं जो समाज के हिना भावनाओं के चलते अपने आप को छुपा लेते हैं। और अधिकतर मरीजों का कांटेक्ट नंबर और उनका पता भी एआरटी सेंटर में उपलब्ध है जिनको फोन के माध्यम से समय-समय को बुलाया जाता है और उनकी काउंसलिंग का इलाज भी किया जाता है। सेंटर में उन रोगियों की पता और फोन नंबर उपलब्ध है जो गोपनीय रखा गया है।
बाइट- डॉक्टर अशोक कुमार एआरटी
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