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उत्तराखंड में बढ़ रहे AIDS के मरीज, एआरटी सेंटर पर न डॉक्टर न फार्मासिस्ट, भगवान भरोसे पेशेंट

उत्तराखंड के पहाड़ों में एड्स के मरीज तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं. कुमाऊं मंडल में वर्तमान समय में 3,310 एचआईवी संक्रमित मरीज एक्टिव हैं. लेकिन, इन मरीजों का इलाज और देखरेख भगवान भरोसे चल रहा है. क्योंकि सुशीला तिवारी अस्पताल के एआरटी सेंटर में न तो कई डॉक्टर उपलब्ध हैं और नहीं कोई फार्मासिस्ट.

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Published : Jul 23, 2022, 3:54 PM IST

Updated : Jul 23, 2022, 7:37 PM IST

AIDS patients increasing in Uttarakhand
उत्तराखंड में बढ़ रहे AIDS के मरीज

हल्द्वानी: कुमाऊं की खूबसूरती हर किसी को अपना बना लेती है. लेकिन, इस खूबसूरती के पीछे एक काला स्याह भी है. जिसे सुनकर आप भी दंग हो जाएंगे. क्योंकि, उत्तराखंड के पहाड़ों में एड्स के मरीज तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं. लापरवाही की वजह से एचआईवी का खतरा बढ़ता ही जा रहा है और यह खतरा हाई रिस्क ग्रुप में कई गुना ज्यादा है.

बात कुमाऊं मंडल की करें तो कुमाऊं मंडल में वर्तमान समय में 3,310 एचआईवी संक्रमित मरीज एक्टिव हैं. इन मरीजों का हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल एआरटी सेंटर में इलाज चल रहा है. लेकिन एआरटी सेंटर में इन मरीजों का इलाज राम भरोसे चल रहा है. क्योंकि इन सेंटर में न तो कोई डॉक्टर उपलब्ध है और नहीं कोई फार्मासिस्ट. ऐसे में इन मरीजों का इलाज कैसे हो रहा है, ये अपने आप में बड़ा सवाल है.

उत्तराखंड में बढ़ रहे AIDS के मरीज.

आंकड़े कर रहे तस्दीक: हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में एआरटी सेंटर में 3,310 मरीज पंजीकृत है. इसमें अल्मोड़ा से 397 मरीज, बागेश्वर से 267, चंपावत से 200, नैनीताल से 670, पिथौरागढ़ से 151, ऊधमसिंह नगर से 1,166 मरीज रजिस्टर्ड हैं. उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिले के 459 मरीजों का इलाज भी इसी सेंटर से होता है.

वहीं, पिछले साल 2021 से मार्च 2022 तक 268 एचआईवी मरीज पंजीकृत किए गए थे. जिसमें 84 पुरुष, 77 महिलाएं और 7 बच्चे पॉजिटिव पाए गए हैं. वहीं इस साल अप्रैल 2022 से 15 जुलाई तक 166 पॉजिटिव मरीज पंजीकृत किए गए हैं. जिसमें 115 पुरुष, 46 महिलाएं और पांच बच्चे पॉजिटिव पाए गए.

पढ़ें: उत्तराखंड के जेलों में कैदियों को HIV का खौफ, हल्द्वानी जेल में 8 कैदी संक्रमित

बताया जा रहा है कि एआरटी सेंटर के डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं. जबकि सेंटर का प्रभार सीनियर डॉक्टर परमजीत सिंह के पास है. स्थानीय लोगों का कहना है कि साल 2017 से इस सेंटर पर कोई फार्मासिस्ट भी तैनात नहीं है. ऐसे में एआरटी सेंटर में इन मरीजों के साथ पूरी तरह से लापरवाही बरती जा रही है. डॉक्टर और फार्मासिस्ट नहीं होने के चलते सेंटर का काम काउंसलर एवं अन्य स्टाफ से कराया जा रहा है.

इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने एआरटी सेंटर के प्रभारी डॉ परमजीत सिंह की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्हें कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है और कहा कि इस मामले में जवाब हॉस्पिटल के एमएस और प्रिंसिपल ही दे पाएंगे.

वहीं, सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य अरुण जोशी का कहना है कि एआरटी सेंटर को वैकल्पिक व्यवस्था पर चलाया जा रहा है. एचआईवी मरीजों का इलाज और दवा देना कोई बड़ी बात नहीं है. गिनी चुनी दवाइयां होती हैं, जो स्टाफ के द्वारा दे दी जाती हैं.

हल्द्वानी: कुमाऊं की खूबसूरती हर किसी को अपना बना लेती है. लेकिन, इस खूबसूरती के पीछे एक काला स्याह भी है. जिसे सुनकर आप भी दंग हो जाएंगे. क्योंकि, उत्तराखंड के पहाड़ों में एड्स के मरीज तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं. लापरवाही की वजह से एचआईवी का खतरा बढ़ता ही जा रहा है और यह खतरा हाई रिस्क ग्रुप में कई गुना ज्यादा है.

बात कुमाऊं मंडल की करें तो कुमाऊं मंडल में वर्तमान समय में 3,310 एचआईवी संक्रमित मरीज एक्टिव हैं. इन मरीजों का हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल एआरटी सेंटर में इलाज चल रहा है. लेकिन एआरटी सेंटर में इन मरीजों का इलाज राम भरोसे चल रहा है. क्योंकि इन सेंटर में न तो कोई डॉक्टर उपलब्ध है और नहीं कोई फार्मासिस्ट. ऐसे में इन मरीजों का इलाज कैसे हो रहा है, ये अपने आप में बड़ा सवाल है.

उत्तराखंड में बढ़ रहे AIDS के मरीज.

आंकड़े कर रहे तस्दीक: हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में एआरटी सेंटर में 3,310 मरीज पंजीकृत है. इसमें अल्मोड़ा से 397 मरीज, बागेश्वर से 267, चंपावत से 200, नैनीताल से 670, पिथौरागढ़ से 151, ऊधमसिंह नगर से 1,166 मरीज रजिस्टर्ड हैं. उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिले के 459 मरीजों का इलाज भी इसी सेंटर से होता है.

वहीं, पिछले साल 2021 से मार्च 2022 तक 268 एचआईवी मरीज पंजीकृत किए गए थे. जिसमें 84 पुरुष, 77 महिलाएं और 7 बच्चे पॉजिटिव पाए गए हैं. वहीं इस साल अप्रैल 2022 से 15 जुलाई तक 166 पॉजिटिव मरीज पंजीकृत किए गए हैं. जिसमें 115 पुरुष, 46 महिलाएं और पांच बच्चे पॉजिटिव पाए गए.

पढ़ें: उत्तराखंड के जेलों में कैदियों को HIV का खौफ, हल्द्वानी जेल में 8 कैदी संक्रमित

बताया जा रहा है कि एआरटी सेंटर के डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं. जबकि सेंटर का प्रभार सीनियर डॉक्टर परमजीत सिंह के पास है. स्थानीय लोगों का कहना है कि साल 2017 से इस सेंटर पर कोई फार्मासिस्ट भी तैनात नहीं है. ऐसे में एआरटी सेंटर में इन मरीजों के साथ पूरी तरह से लापरवाही बरती जा रही है. डॉक्टर और फार्मासिस्ट नहीं होने के चलते सेंटर का काम काउंसलर एवं अन्य स्टाफ से कराया जा रहा है.

इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने एआरटी सेंटर के प्रभारी डॉ परमजीत सिंह की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्हें कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है और कहा कि इस मामले में जवाब हॉस्पिटल के एमएस और प्रिंसिपल ही दे पाएंगे.

वहीं, सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य अरुण जोशी का कहना है कि एआरटी सेंटर को वैकल्पिक व्यवस्था पर चलाया जा रहा है. एचआईवी मरीजों का इलाज और दवा देना कोई बड़ी बात नहीं है. गिनी चुनी दवाइयां होती हैं, जो स्टाफ के द्वारा दे दी जाती हैं.

Last Updated : Jul 23, 2022, 7:37 PM IST
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