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रामनगर: 25 महिला जिप्सी चालकों को वाहनों का इंतजार, ट्रेनिंग के 8 महीने बाद भी बेरोजगार

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में जिप्सी चालक की ट्रेनिंग ले चुकीं 25 महिलाएं इन दिनों परेशान हैं. महिलाओं को कहना है कि उनकी ट्रेनिंग के बाद 8 महीने का समय गुजर चुका है. लेकिन अभी तक उनको जिप्सियां नहीं दी गई हैं. उधर, कॉर्बेट प्रशासन का कहना है कि जो कंपनी जिप्सियां बनाती है, उसने जिप्सी बनानी बंद कर दी है. इस कारण महिलाओं को जिप्सी नहीं मिली है.

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Published : May 23, 2022, 3:32 PM IST

रामनगर: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में जिप्सी चालक की ट्रेनिंग ले चुकीं 25 महिलाएं काम नहीं मिलने से परेशान हैं. महिला जिप्सी चालकों का कहना है उनकी ट्रेनिंग को एक साल का समय होने जा रहा है. लेकिन अभी तक उनको वाहन नहीं मिले हैं. वो अभी तक अपनी जिप्सियों का इंतजार कर रही हैं. उन्होंने कहा है कि कॉर्बेट प्रशासन उनके लिए वाहनों का तत्काल प्रभाव से इंतजाम करे.

तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Former CM Tirath Singh Rawat) की घोषणा के बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 50 जिप्सी चालकों का चयन किया गया था, जिसमें से 25 महिलाओं को जिप्सी चलाने की ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है. महिला चालकों को ट्रेनिंग लिए 8 माह से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन 25 महिलाओं को अभी तक उनकी जिप्सियां नहीं मिल पाई हैं.

महिला जिप्सी चालकों को वाहनों का इंतजार

इसलिए नहीं मिल रहीं जिप्सियां: महिलाओं को कॉर्बेट प्रशासन द्वारा वीर चंद सिंह गढ़वाली योजना (Veer Chandra Singh Garhwali Yojana) के तहत जिप्सियां भी ऋण में उपलब्ध करवानी थी, जिसका कार्य रुका हुआ है. इसका मुख्य कारण यह भी है कि जिप्सी कंपनी ने जिप्सियां बनाना बंद कर दिया है, जिसकी वजह से यह मामला लंबित पड़ा हुआ है.

वहीं, ट्रेनिंग लेकर आई महिलाओं ने कहा कि कॉर्बेट प्रशासन लगातार कहा जा रहा है कि वह पुरानी जिप्सियां लेकर कॉर्बेट पार्क में चला सकती हैं लेकिन अगर कोर्बेट प्रशासन हमें पुरानी जिप्सियों पर ही ऋण उपलब्ध करवा देता है, तो हम तैयार हैं. क्योंकि हममें से कोई गृहणी है तो कोई छात्राएं हैं. ऐसे में वो जिप्सी खुद नहीं ले सकतीं.
पढे़ं- GST से उत्तराखंड को हर साल करोड़ों का घाटा, जून की डेडलाइन से सरकार परेशान, अब PM से गुहार

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नीरज शर्मा (Deputy Director Neeraj Sharma) ने कहा कि कॉर्बेट प्रशासन भी इसको लेकर चिंतित है. उन्होंने कहा कि जिप्सियां ना बनने की वजह से यह मामला लटका हुआ है. उन्होंने कहा है कि जल्द ही इन महिलाओं के लिए पार्क के अंदर चलने वाले वाहन को तलाश रही है. जल्द ही यह कार्य होने पर इन महिलाओं को वीर चंद्र गढ़वाली योजना के तहत ऋण उपलब्ध करवाकर वाहन दे दिए जाएंगे.

रामनगर: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में जिप्सी चालक की ट्रेनिंग ले चुकीं 25 महिलाएं काम नहीं मिलने से परेशान हैं. महिला जिप्सी चालकों का कहना है उनकी ट्रेनिंग को एक साल का समय होने जा रहा है. लेकिन अभी तक उनको वाहन नहीं मिले हैं. वो अभी तक अपनी जिप्सियों का इंतजार कर रही हैं. उन्होंने कहा है कि कॉर्बेट प्रशासन उनके लिए वाहनों का तत्काल प्रभाव से इंतजाम करे.

तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Former CM Tirath Singh Rawat) की घोषणा के बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 50 जिप्सी चालकों का चयन किया गया था, जिसमें से 25 महिलाओं को जिप्सी चलाने की ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है. महिला चालकों को ट्रेनिंग लिए 8 माह से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन 25 महिलाओं को अभी तक उनकी जिप्सियां नहीं मिल पाई हैं.

महिला जिप्सी चालकों को वाहनों का इंतजार

इसलिए नहीं मिल रहीं जिप्सियां: महिलाओं को कॉर्बेट प्रशासन द्वारा वीर चंद सिंह गढ़वाली योजना (Veer Chandra Singh Garhwali Yojana) के तहत जिप्सियां भी ऋण में उपलब्ध करवानी थी, जिसका कार्य रुका हुआ है. इसका मुख्य कारण यह भी है कि जिप्सी कंपनी ने जिप्सियां बनाना बंद कर दिया है, जिसकी वजह से यह मामला लंबित पड़ा हुआ है.

वहीं, ट्रेनिंग लेकर आई महिलाओं ने कहा कि कॉर्बेट प्रशासन लगातार कहा जा रहा है कि वह पुरानी जिप्सियां लेकर कॉर्बेट पार्क में चला सकती हैं लेकिन अगर कोर्बेट प्रशासन हमें पुरानी जिप्सियों पर ही ऋण उपलब्ध करवा देता है, तो हम तैयार हैं. क्योंकि हममें से कोई गृहणी है तो कोई छात्राएं हैं. ऐसे में वो जिप्सी खुद नहीं ले सकतीं.
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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नीरज शर्मा (Deputy Director Neeraj Sharma) ने कहा कि कॉर्बेट प्रशासन भी इसको लेकर चिंतित है. उन्होंने कहा कि जिप्सियां ना बनने की वजह से यह मामला लटका हुआ है. उन्होंने कहा है कि जल्द ही इन महिलाओं के लिए पार्क के अंदर चलने वाले वाहन को तलाश रही है. जल्द ही यह कार्य होने पर इन महिलाओं को वीर चंद्र गढ़वाली योजना के तहत ऋण उपलब्ध करवाकर वाहन दे दिए जाएंगे.

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