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इस अस्पताल में बीते साल 228 बच्चों की हुई मौत, पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवाएं

सुशीला तिवारी अस्पताल में हर महीने इलाज के दौरान 19 नवजात बच्चों की मौत हो रही है. ऐसे में सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.

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हल्द्वानी
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Published : Jan 7, 2020, 4:43 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 5:30 PM IST

हल्द्वानी: राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में बच्चों की लगातार हो रही मौत के बाद कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल भी अलर्ट पर है. वहीं, अगर बात सुशीला तिवारी अस्पताल की करें तो यहां साल 2019 में एक जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक 1401 नवजात बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया. जिसमें से 228 बच्चों की मौत हो गई.

उत्तराखंड में भी अच्छे नहीं है हालात

पिछले वर्ष 228 नवजात बच्चों की मौत पर अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहा है. ऐसे में बताया जा रहा है कि सुशीला तिवारी अस्पताल में हर महीने इलाज के दौरान 19 नवजात की मौत हो गई और ये सभी नवजात 28 दिनों से कम के थे.

पढ़ें- ऋषिकेश रेप कांड: HC के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी पुलिस, शासन से मिली मंजूरी

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य चंद्रप्रकाश भैसोड़ा के मुताबिक, पिछले साल हुई बच्चों की मौत में अधिकतर बच्चे की मौत कम वजन होना या फिर गंभीर बीमारियों के कारण हुई है. इसमें अधिकतर बच्चे कुमाऊं मंडल सहित उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के भी हैं.

पढ़ें- चौबटिया-नागपानी-दिहोली सड़क मार्ग बनने पर विवाद जारी, सेना की फायरिंग रेंज है पास

चंद्रप्रकाश भैसोड़ा ने कहा कि राजस्थान में लगातार हो रही बच्चों की मौत पर यहां भी अस्पताल प्रशासन अलर्ट पर है. अगर यहां भी इस तरह की कोई हालत दिखते हैं तो अस्पताल प्रशासन मुस्तैद है.

हल्द्वानी: राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में बच्चों की लगातार हो रही मौत के बाद कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल भी अलर्ट पर है. वहीं, अगर बात सुशीला तिवारी अस्पताल की करें तो यहां साल 2019 में एक जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक 1401 नवजात बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया. जिसमें से 228 बच्चों की मौत हो गई.

उत्तराखंड में भी अच्छे नहीं है हालात

पिछले वर्ष 228 नवजात बच्चों की मौत पर अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहा है. ऐसे में बताया जा रहा है कि सुशीला तिवारी अस्पताल में हर महीने इलाज के दौरान 19 नवजात की मौत हो गई और ये सभी नवजात 28 दिनों से कम के थे.

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मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य चंद्रप्रकाश भैसोड़ा के मुताबिक, पिछले साल हुई बच्चों की मौत में अधिकतर बच्चे की मौत कम वजन होना या फिर गंभीर बीमारियों के कारण हुई है. इसमें अधिकतर बच्चे कुमाऊं मंडल सहित उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के भी हैं.

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चंद्रप्रकाश भैसोड़ा ने कहा कि राजस्थान में लगातार हो रही बच्चों की मौत पर यहां भी अस्पताल प्रशासन अलर्ट पर है. अगर यहां भी इस तरह की कोई हालत दिखते हैं तो अस्पताल प्रशासन मुस्तैद है.

Intro:sammry- हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में 1 सालों में हुई है 228 नवजात बच्चों की मौत। राजस्थान के बाद यहां भी अस्पताल प्रशासन अलर्ट पर।


एंकर- राजस्थान के सरकारी अस्पताल में बच्चों की लगातार हो रही मौत के बाद कुमाऊ के सबसे बड़े हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल भी अलर्ट पर है । बात सुशीला तिवारी अस्पताल की करें तो वर्ष 2019 में 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक 1401 नवजात बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया जिसमें 228 बच्चों की मौत हुई है। गीता जिस बच्चों को अन्य अस्पतालों को रेफर किया गया।


Body:पिछले वर्ष 228 नवजात बच्चों की मौत पर अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो रहा है। ऐसे में बताया जा रहा है कि सुशीला तिवारी अस्पताल में हर महीने इलाज के दौरान 19 नवजात बच्चों की मौत हो रही है और येसभी नवजात बच्चे 28 दिनों से कम के हैं। यही नहीं अस्पताल प्रशासन है 33 बच्चों को यहां से अन्य अस्पतालों को भी रेफर किया है।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य चंद्रप्रकाश भैसोड़ा के मुताबिक पिछले साल हुई बच्चों की मौत में अधिकतर बच्चे की मौत कम वजन होना या गंभीर बीमारियों के शिकार के चलते हुई है इसमें अधिकतर बच्चे कुमाऊं मंडल सहित उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के भी रहने वाले हैं। बच्चे की गंभीर स्थिति होने के चलते अधिकतर मौतें होती है।


Conclusion:उन्होंने कहा कि राजस्थान में लगातार हो रही बच्चों की मौत पर यहां भी अस्पताल प्रशासन अलर्ट पर है अगर यहां भी इस तरह की कोई दिखते होती है तो उसके लिए अस्पताल प्रशासन मुस्तैद हैं।

बाइट- चंद्रप्रकाश भैसोड़ा प्राचार्य हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज
Last Updated : Jan 7, 2020, 5:30 PM IST
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