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भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती, राजनीतिक योगदान को किया याद - पूर्व सीएम हरीश रावत

इस मौके पर स्कूली छात्रों और एनसीसी के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया गया. कार्यक्रम स्थल पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत के योगदान को लोगों के बीच रखा.

धूमधाम से मनाई गई भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती.
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Published : Sep 10, 2019, 1:32 PM IST

हल्द्वानी: उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री और देश के चौथे गृहमंत्री भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती हल्द्वानी में भी धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. हल्द्वानी के तिकोनिया स्थित पंत पार्क में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, पूर्व सीएम हरीश रावत, पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बची सिंह रावत ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनके योग्दान को याद किया गया.

धूमधाम से मनाई गई भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती.

इस मौके पर स्कूली छात्रों और एनसीसी के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया गया. कार्यक्रम स्थल पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत के योगदान को लोगों के बीच रखा. उन्होंने कहा कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने उत्तराखंड और देश के लिए जो योगदान दिया है उसको कभी भुलाया नहीं जा सकता है.

पढ़ें-स्टिंग मामला: हरदा ने खुद को बताया बेकसूर, कहा- मेरे ही घर हुई चोरी और मुझे ही बना डाला चोर

उन्होंने कहा कि उन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाइयां लड़ी और देश को आजाद करते हुए मुख्यमंत्री और गृहमंत्री पद तक पहुंचना उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है.वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री बची सिंह रावत ने भी गोविंद बल्लभ पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि गोविंद बल्लभ पंत एक कुशल राजनेता थे. उनके आदर्शों को आज ग्रहण करने की जरूरत है, तभी देश तरक्की की ओर बढ़ सकता है.

राजनीति सफरनामा

गोविन्द बल्लभ पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव मे दस सितंबर 1887 को हुआ था. इनकी मां का नाम गोविन्दी देवी और पिता का नाम मनोरथ पंत था. बचपन में ही पिता की मौत हो जाने के बाद उनकी परवरिश उनके नाना बद्री दत्त जोशी ने की. गोविन्द बल्लभ पंत को 1937 से 1939 तक उन्होंने ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला. संयुक्त प्रांत में 1946 के चुनावों में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया और उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया. गोविन्द बल्लभ पंत 1946 से 1947 तक संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के सीएम रहे. देश के आजाद होने के बाद पंत 1954 तक उत्तर प्रदेश के सीएम रहे. जिसके बाद गोविन्द बल्लभ पंत 1955 से 1961 तक गृहमंत्री रहे. वहीं 7 मार्च, 1961 में चौहत्तर साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

हल्द्वानी: उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री और देश के चौथे गृहमंत्री भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती हल्द्वानी में भी धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. हल्द्वानी के तिकोनिया स्थित पंत पार्क में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, पूर्व सीएम हरीश रावत, पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बची सिंह रावत ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनके योग्दान को याद किया गया.

धूमधाम से मनाई गई भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती.

इस मौके पर स्कूली छात्रों और एनसीसी के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया गया. कार्यक्रम स्थल पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत के योगदान को लोगों के बीच रखा. उन्होंने कहा कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने उत्तराखंड और देश के लिए जो योगदान दिया है उसको कभी भुलाया नहीं जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि उन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाइयां लड़ी और देश को आजाद करते हुए मुख्यमंत्री और गृहमंत्री पद तक पहुंचना उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है.वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री बची सिंह रावत ने भी गोविंद बल्लभ पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि गोविंद बल्लभ पंत एक कुशल राजनेता थे. उनके आदर्शों को आज ग्रहण करने की जरूरत है, तभी देश तरक्की की ओर बढ़ सकता है.

राजनीति सफरनामा

गोविन्द बल्लभ पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव मे दस सितंबर 1887 को हुआ था. इनकी मां का नाम गोविन्दी देवी और पिता का नाम मनोरथ पंत था. बचपन में ही पिता की मौत हो जाने के बाद उनकी परवरिश उनके नाना बद्री दत्त जोशी ने की. गोविन्द बल्लभ पंत को 1937 से 1939 तक उन्होंने ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला. संयुक्त प्रांत में 1946 के चुनावों में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया और उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया. गोविन्द बल्लभ पंत 1946 से 1947 तक संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के सीएम रहे. देश के आजाद होने के बाद पंत 1954 तक उत्तर प्रदेश के सीएम रहे. जिसके बाद गोविन्द बल्लभ पंत 1955 से 1961 तक गृहमंत्री रहे. वहीं 7 मार्च, 1961 में चौहत्तर साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

Intro:sammry- धूमधाम से मनाई जा रही है भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132 वी जयंती जगह-जगह हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम।

एंकर- उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री और देश के चौथे गृहमंत्री भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132 वी जयंती उत्तराखंड सहित पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है हल्द्वानी के तिकोनिया स्थित पंत पार्क में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हरदेश पूर्व सीएम हरीश रावत पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बच्ची सिंह रावत ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत के मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनको याद किया।


Body:इस मौके पर स्कूली छात्रों और एनसीसी के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया गया। कार्यक्रम स्थल पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हरदेश ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत की योगदान को लोगों को बीच बताते हुए कहा कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत कि उत्तराखंड और देश के लिए जो योगदान दिया है उसको कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाइयां लड़ी और देश को आजाद करते हुए मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के पद तो पहुंचे उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है।

बाइट इंद्रा हिरदेश नेता प्रतिपक्ष


Conclusion:कैबिनेट मंत्री बच्ची सिंह रावत में भी गोविंद बल्लभ पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि गोविंद बल्लभ पंत एक कुशल राजनेता थे और उनके आदर्शों को आज ग्रहण करने की जरूरत है तभी देश तरक्की की और जा सकता है।
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