हल्द्वानीः विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अर्चना सागर की कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी सौतेले बाप को 10 साल की कठोर कारावास और 30 हजार रुपए का जुर्माना की सजा सुनाई है. साथ ही पीड़िता के मां को भी कोर्ट ने सजा सुनाते हुए आरोप के दौरान बिताई गई अवधि को सजा माना है. साथ ही कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल को 100000 निर्भया फंड से देने के निर्देश दिए हैं.
वहीं, शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि एक महिला अपने पति को छोड़कर आरोपी आनंद सिंह राणा के साथ रह रही थी. इस दौरान महिला के साथ एक डेढ़ साल की उसकी बच्ची भी थी. इस दौरान जब महिला की बच्ची 13 साल की हुई, तो वर्ष 2011 में आरोपी आनंद सिंह राणा निवासी बिन्दुखत्ता, जो हल्द्वानी में किराए पर रहकर काम करता था. उसने अपनी सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. इस बात को जब पीड़िता ने अपने मां से कहा तो मां ने भी उसका साथ नहीं दिया. तभी सौतेले पिता ने उसको अपने किसी परिचित के पास दिल्ली भेज दिया, जहां पीड़िता ने वर्ष 2016 में आपबीती बताई, जिसके बाद पीड़िता को हल्द्वानी लाया गया.
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जिसके बाद एनजीओ के माध्यम से पीड़िता को हल्द्वानी कोतवाली ले जाकर सौतेले पिता आनंद सिंह राणा और मां सुषमा सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया. वहीं, पुलिस आनंद सिंह राणा के विरुद्ध धारा 364, 376, 323, 506 के तहत मामला दर्ज कर पति-पत्नी को गिरफ्तार कर जेल भेजा.
साथ ही उन्होंने बताया कि पूरे मामले में 14 गवाहों का परीक्षण किया गया, जिसमें आनंद सिंह राणा को दोषी पाते हुए 10 साल की कठोर कारावास और 30,000 का जुर्माना लगाया गया है, जबकि पीड़िता की मां को कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि पीड़िता की मां भी इस पूरे मामले में दोषी हैं. ऐसे में मां द्वारा जेल में बिताई गई सजा को सजा माना है.