हरिद्वार: दो दिन पूर्व ही उत्तराखंड के चारधामों में से एक बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए. इस मौके पर करीब 18 हजार लोगों ने बाबा के दर्शन किये. लेकिन कपाट खुलने के समय शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को प्रोटोकॉल ना होने का हवाला देते हुए दर्शन करने से रोक दिया गया. जिसकी वजह से धर्मनगरी हरिद्वार के संतों में रोष व्याप्त है. संतों ने इस विषय पर एक बड़े आंदोलन की बात भी कही है.
धरने पर बैठे शंकराचार्य: बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर जहां एक ओर मुख्य रावल भिमालिंग के साथ साथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों और पुजारी ने सबसे पहले मंदिर में प्रवेश किया तो वहीं इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को मंदिर समिति के सीओ द्वारा यह कहते हुए प्रवेश से रोका गया कि उनका प्रोटोकॉल नहीं है. जिसके बाद शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को आदि शंकराचार्य के समाधि स्थल पर करीब एक घंटा धरने पर बैठना पड़ा. शंकराचार्य को मंदिर में प्रवेश करने से रोके जाने पर धर्मनगरी के संतों में खासी नाराजगी है.
शंकराचार्य को दर्शन से रोके जाने पर संतों में रोष: हरिद्वार के श्रीजयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का कहना है कि शंकराचार्य को साक्षात शिव का अवतार माना जाता है. ऐसे में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए रोका जाना बेहद दुखद है. देवभूमि में शंकराचार्य को बाबा केदारनाथ के दर्शन से वंचित करना शंकराचार्य का अपमान हैं. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य को बाबा के सबसे पहले दर्शन करने का अधिकार है. जो मुख्य पुजारी है उनको अपने साथ ले जाकर शंकराचार्य जी को बाबा के दर्शन कराने चाहिए थे, उन्होंने कहा कि धार्मिक प्रदेश में ऐसा होना सही नहीं है.
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वहीं इस विषय पर बोलते हुए भारत साधु समाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता स्वामी ऋषिश्वरानंद ने कहा कि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को बाबा के दर्शन से यह कहते हुए रोका जाना कि उनका प्रोटोकॉल नहीं है, यह बहुत गलत है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो भारत साधु समाज को एक बड़ा आंदोलन करने पर विवश होना पड़ेगा.