हरिद्वार: पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती की गुरु बहन सुभद्रा मां श्री रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम में ब्रह्मलीन हो गईं. सुभद्रा मां 89 वर्ष की थी और वे कई वर्षों तक हिमालय क्षेत्र के तपोवन में कठोर तपस्या करती रहीं. देर शाम 7:30 बजे पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती रामकृष्ण मिशन अस्पताल पहुंची और गुरु बहन सुभद्रा मां के पार्थिक देह देख रो पड़ीं. इस दौरान उमा भारती अपनी गुरु बहन के चेहरे को निहारती रहीं.
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आप सबको एक दुःखद सूचना दे रही हूँ , मेरे गुरु श्री पेजावर स्वामी जी की वरिष्ठतम शिष्या सुभद्रा माता ने आज हरिद्वार में शरीर त्याग दिया ।
— Uma Bharti (@umasribharti) February 4, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Uma Bharti (@umasribharti) February 4, 2021
उमा भारती कर्नाटक के उडुपी के पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेश्वर तीर्थ की शिष्या हैं और उन्होंने सुभद्रा मां से ही शिक्षा-दीक्षा ली थी. मां सुभद्रा उमा भारती की बड़ी गुरु बहन थी, जो उन्हें बहुत प्यार-दुलार करती थी. सुभद्रा मां का संन्यासी पूर्व नाम वारिजा था और वे मूल रूप से कर्नाटक के उडुपी की रहने वाली थीं. संन्यास दीक्षा के बाद वे हिमालय भ्रमण में आईं और यहीं की होकर रह गईं.
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मेरे आध्यात्मिक जगत की “माँ” जो साधना व तपस्या की प्रतिमूर्ति थीं, सेवा एवं दयालुता ही जिनके जीवन का पर्याय था, बाह्य आडंबरों से कोसों दूर, स्नेह, वात्सल्य, संवेदनाओँ से भरपूर ऐसी माँ हम सब को छोड़कर आज मोक्षधाम को प्रस्थान कर गई हैं, ऐसी श्रद्धामयी #माँ को शतशः प्रणाम 🙏🏻🙏🏻 pic.twitter.com/NuNDplAeVM
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) February 4, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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पिछले दिनों जब उमा भारती अपनी गुरु दीदी सुभद्रा मां को देखने मिशन आई थी. तब स्वामी दयाधिपानंद महाराज के समक्ष मां सुभद्रा ने उमा भारती से वचन लिया था कि वह उनका अंतिम संस्कार करेंगी. ऐसे में उन्हें जब मां सुभद्रा के ब्रह्मलीन होने का खबर मिला तो वह दिल्ली से सीधे हरिद्वार पहुंची. सुभद्रा मां को शुक्रवार को उत्तरकाशी के गंगोरी क्षेत्र में असी गंगा घाट के पास स्थित आश्रम में भू समाधि दी जाएगी.
सुभद्रा मां पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण की धर्ममाता भी हैं. ऐसे में आचार्य बालकृष्ण और उनसे जुड़े लोग सुभद्रा मां की सेवा में लगे थे. बाबा रामदेव भी उनसे मिलते आते रहते थे. शुक्रवार को आचार्य बालकृष्ण उनके अंतिम संस्कार में भाग लेने उत्तरकाशी जाएंगे.