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हरदा ने बताई वजह, आखिर उनकी 'भूल' क्यों नहीं सुधार रही त्रिवेंद्र सरकार

साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार ने हरकी पैड़ी से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. गंगा सभा इस शासनादेश को तभी से निरस्त करने की मांग उठा रही है. लेकिन आजतक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

हरिद्वार
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Published : Jul 14, 2020, 7:57 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 1:39 PM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार ने हर की पैड़ी पर बह रही मां गंगा की अविरल धारा को स्कैप चैनल घोषित किया था. जिसका विरोध साधु-संतों और तीर्थ पुरोहित लगातार करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक 16 दिसंबर 2016 लिए गए इस शासनादेश को निरस्त नहीं किया गया है. आखिर इसके पीछे क्या कारण है ईटीवी भारत में यह जानने की कोशिश की.

इस मामले में गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी का कहना है कि हरीश रावत सरकार ने इस शासनादेश को लाकर जो पाप किया था, उसे त्रिवेंद्र सरकार ने सुधारने का प्रयास नहीं किया था. जब मुख्यमंत्री बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत पहली बार हर की पौड़ी आए थे तो उन्होंने तभी भी सीएम से आग्रह किया था कि इस शासनादेश को जल्द से जल्द निरस्त किया जाए. बावजूद इसके सरकार ने इस कोई ध्यान नहीं दिया.

हरदा का गलती को क्यों नहीं सुधार रही त्रिवेंद्र सरकार

पढ़ें- अपनी 'कारस्तानी' पर हरदा की माफी, कहा- सत्तासीन होने पर बदलूंगा गंगा स्कैप चैनल का निर्णय

त्रिवेंद्र सरकार इस शासनादेश को क्यों निरस्त नहीं कर रही है, इसको लेकर जब त्रिपाठी से पूछा गया तो उन्होंने कहा इस शासनादेश को लाने का मकसद सिर्फ और सिर्फ अपना स्वार्थ है. जब यह स्वार्थ संपन्न हो जाएगा तब जाकर सरकार इसे निरस्त करेगी.

वहीं, गंगा सभा के मौजूदा महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि जब से यह शासनादेश आया है तब से ही गंगा सभा इसका विरोध कर रही है. गंगा सभा पदाधिकारी समय-समय पर कांग्रेस और बीजेपी सरकार ज्ञापन और मुख्यमंत्री से मिलकर शासनादेश निरस्त करने की मांग करते रहे है, लेकिन अब तक सरकार ने इस ध्यान नहीं दिया है. अगर सरकार अब इसे निरस्त करती है तो वे कोर्ट में जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे.

इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत क्या सोचते जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें तकलीफ है कि यह शासनादेश उन्होंने जारी किया था. इस शासनादेश को जारी करने का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार में रह रहे लोगों के हित में था. यदि इस शासनादेश को जारी नहीं किया जाता तो हरिद्वार में काफी संख्या में लोगों के मकान तोड़े जाते. जिनकी संख्या सैकड़ों में भी पहुंच सकती था. उस समय उनके पास कोई रास्त नहीं था. इसीलिए उन्होंने ये फैसला लिया था, लेकिन आज की सरकार इस निर्णय को बदल सकती है.

पढ़ें- हरदा बने 'राजनैतिक नर्तक', कोरोनाकाल में खोज रहे 'घुंघरू की थिरकन'

उत्तर प्रदेश सरकार के बन रहे होटल को हरीश रावत ने गलत ठहराया और कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार को जमीन दी गई है, इससे होटल अलकनंदा का महत्व कम हो जाएगा. जिसका कोई लाभ नहीं है. त्रिवेंद्र सरकार इस शासनादेश को कहीं न कहीं इसलिए भी निरस्त नहीं कर रही है. क्योंकि, उत्तर प्रदेश सरकार का जो होटल बन रहा है वह अभी संपूर्ण नहीं हुआ है. माना जा रहा है कि जब यह होटल बनकर तैयार हो जाएगा तब त्रिवेंद्र सरकार इस शासनादेश को निरस्त करेगी. जिससे उत्तर प्रदेश सरकार का बन रहा होटल मझधार में न अटके.

बता दें कि साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार ने हरकी पैड़ी से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश होने के बाद भी गंगा किनारे अवैध रूप से हुए भारी संख्या में निर्माणों को ध्वस्त होने से बचा लिया था. उस समय की तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने टेक्निकल बदलाव कर गंगा किनारे अवैध निर्माण करने वालों को फायदा पहुंचाया था. आज हरीश रावत खुद के निर्णय को पलटने की मांग कर रहे हैं.

हरिद्वार: उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार ने हर की पैड़ी पर बह रही मां गंगा की अविरल धारा को स्कैप चैनल घोषित किया था. जिसका विरोध साधु-संतों और तीर्थ पुरोहित लगातार करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक 16 दिसंबर 2016 लिए गए इस शासनादेश को निरस्त नहीं किया गया है. आखिर इसके पीछे क्या कारण है ईटीवी भारत में यह जानने की कोशिश की.

इस मामले में गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी का कहना है कि हरीश रावत सरकार ने इस शासनादेश को लाकर जो पाप किया था, उसे त्रिवेंद्र सरकार ने सुधारने का प्रयास नहीं किया था. जब मुख्यमंत्री बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत पहली बार हर की पौड़ी आए थे तो उन्होंने तभी भी सीएम से आग्रह किया था कि इस शासनादेश को जल्द से जल्द निरस्त किया जाए. बावजूद इसके सरकार ने इस कोई ध्यान नहीं दिया.

हरदा का गलती को क्यों नहीं सुधार रही त्रिवेंद्र सरकार

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त्रिवेंद्र सरकार इस शासनादेश को क्यों निरस्त नहीं कर रही है, इसको लेकर जब त्रिपाठी से पूछा गया तो उन्होंने कहा इस शासनादेश को लाने का मकसद सिर्फ और सिर्फ अपना स्वार्थ है. जब यह स्वार्थ संपन्न हो जाएगा तब जाकर सरकार इसे निरस्त करेगी.

वहीं, गंगा सभा के मौजूदा महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि जब से यह शासनादेश आया है तब से ही गंगा सभा इसका विरोध कर रही है. गंगा सभा पदाधिकारी समय-समय पर कांग्रेस और बीजेपी सरकार ज्ञापन और मुख्यमंत्री से मिलकर शासनादेश निरस्त करने की मांग करते रहे है, लेकिन अब तक सरकार ने इस ध्यान नहीं दिया है. अगर सरकार अब इसे निरस्त करती है तो वे कोर्ट में जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे.

इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत क्या सोचते जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें तकलीफ है कि यह शासनादेश उन्होंने जारी किया था. इस शासनादेश को जारी करने का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार में रह रहे लोगों के हित में था. यदि इस शासनादेश को जारी नहीं किया जाता तो हरिद्वार में काफी संख्या में लोगों के मकान तोड़े जाते. जिनकी संख्या सैकड़ों में भी पहुंच सकती था. उस समय उनके पास कोई रास्त नहीं था. इसीलिए उन्होंने ये फैसला लिया था, लेकिन आज की सरकार इस निर्णय को बदल सकती है.

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उत्तर प्रदेश सरकार के बन रहे होटल को हरीश रावत ने गलत ठहराया और कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार को जमीन दी गई है, इससे होटल अलकनंदा का महत्व कम हो जाएगा. जिसका कोई लाभ नहीं है. त्रिवेंद्र सरकार इस शासनादेश को कहीं न कहीं इसलिए भी निरस्त नहीं कर रही है. क्योंकि, उत्तर प्रदेश सरकार का जो होटल बन रहा है वह अभी संपूर्ण नहीं हुआ है. माना जा रहा है कि जब यह होटल बनकर तैयार हो जाएगा तब त्रिवेंद्र सरकार इस शासनादेश को निरस्त करेगी. जिससे उत्तर प्रदेश सरकार का बन रहा होटल मझधार में न अटके.

बता दें कि साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार ने हरकी पैड़ी से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश होने के बाद भी गंगा किनारे अवैध रूप से हुए भारी संख्या में निर्माणों को ध्वस्त होने से बचा लिया था. उस समय की तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने टेक्निकल बदलाव कर गंगा किनारे अवैध निर्माण करने वालों को फायदा पहुंचाया था. आज हरीश रावत खुद के निर्णय को पलटने की मांग कर रहे हैं.

Last Updated : Jul 16, 2020, 1:39 PM IST
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